Saturday, September 28, 2024
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सांसद दिवाकर ने की राजा महेन्द्र प्रताप को ‘‘भारत रत्न’’ देने की मांग

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। सांसद राजेश कुमार दिवाकर ने लोकसभा में सत्र के दौरान नियम 377 के तहत राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न दिये जाने का मांग की। सांसद ने अध्यक्ष से कहा कि मैं आपका ध्यान हाथरस के राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की ओर आकर्षित करना चाहूंगा, जो कि एक सच्चे देशभक्त, क्रान्तिकारी, पत्रकार और समाज सुधारक थे। उन्होंने 29 अक्टूबर, 1915 को अफगानिस्तान में अस्थाई आजाद हिन्द सरकार का गठन किया। अस्थाई सरकार के वह स्वयं राष्ट्रपति थे। उन्होंने अपनी आर्य परम्परा का निर्वाह करते हुये 32 वर्ष तक देश के बाहर रहकर अंग्रेज सरकार को न केवल तरह-तरह से ललकारा, बल्कि अफगानिस्तान में बनाई अपनी ‘‘आजाद हिन्द फौज’’ द्वारा कबाईली इलाकों पर हमला करके कई इलाके अंग्रजों से छीनकर अपने अधिकार में ले लिये थे।
राजा महेन्द्र प्रताप जीवन पर्यन्त मानवता का प्रचार करते रहे। वह जाति, पंथ, रंग आदि भेदों को मानवता के विरूद्ध घोर अन्याय, पाप और अत्याचार मानते थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विस्तार के लिये अपनी जमीन दान में दी और इसके अलावा वृन्दावन के 80 एकड़ का एक बाग ‘‘आर्य प्रतिनिधि सभा’’ को दान में दिया था, जिसमें ‘‘आर्य समाज गुरूकुल’’ और ‘‘राष्ट्रीय विश्वविद्यालय’’ स्थापित हैं। यही नहीं, उन्होंने वृन्दावन में प्रेम महाविद्यालय की स्थापना भी की, जो कि भारत में प्रथम तकनीकी शिक्षा का केन्द्र था।
वह जातिगत, छुआछूत के घोर विरोधी थे और भारतीयों को उच्च शिक्षा देने के पक्षधर थे और इसलिये शैक्षिक संस्थानों की हमेशा मद्द किया करते थे। उनकी राष्ट्रवादी सोच के कारण कुछ विरोधी उन पर आर.एस.एस. का एजेन्ट होने का आरोप लगाते रहते थे और राजनीतिक कारणों से राजा महेन्द्रप्रताप को इतिहास में वो स्थान नहीं मिला, जिसके वे अधिकारी थे।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री श्री मोदीजी ने काबुल की संसद में राजा महेन्द्रप्रताप सिंह पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा था कि ‘‘फ्रंटियर या सीमान्त गांधी को जानने वाले लाखों लोग मिल जायेगे, लेकिन राजा महेन्द्र प्रताप का नाम कितने लोग जानते हैं उनके और अफगानिस्तान के किंग के बीच बातचीत को भाईचारे की भावना का प्रतीक बनाया।’’
उनके देश प्रेम व वीरता की गाथा इतिहास में दबी रह गई है। मेरे संसदीय क्षेत्र के लोगों की भावनाओं को महसूस करते हुये मेरी मांग है कि ऐसे राष्ट्रवादी वीर सपूत को ‘‘भारत रत्न’’ से विभूषित करना चाहिये।
हाथरस की जनता की यह मांग है कि हाथरस जनपद के कलेक्ट्रेट परिसर में उनकी विशाल मूर्ति स्थापित की जाये, ताकि उनके बलिदान और यादों को वर्षो तक याद किया जा सके। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह मुरसान राज्य से आकर हाथरस राज्य के राजा बने थे। अतः मुरसान के स्थानीय लोगों की भी यह मांग है कि मुरसान रेलवे स्टेशन का नाम राजा महेन्द्रप्रताप के नाम से होना चाहिये।