Saturday, November 30, 2024
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जन अधिकार पार्टी का चुनाव कार्यकाल खुला

कानपुर देहात। जिले के तहसील सिकंदरा क्षेत्र के अन्तर्गत कस्बा सिकंदरा में निकाय चुनाव को लेकर जन अधिकार पार्टी ने अपने चुनावी कार्यालय का उद्घाटन किया। जन अधिकार पार्टी ने सिकंदरा नगर पंचायत अध्यक्ष पद से डॉ वीरेंद्र सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। चुनावी कार्यालय का उद्घाटन जिलाध्यक्ष मोहर सिंह कुशवाहा द्वारा फीता काट कर किया गया। जिलाध्यक्ष मोहर सिंह कुशवाहा ने वार्ता करते हुए कहा कि भाजपा और सपा उम्मीदवारो से कड़ी टक्कर होने के उपरान्त जन अधिकार पार्टी विजयश्री हासिल करेगी। चुनावी कार्यालय उद्घाटन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष लल्लन सिंह कुशवाहा, जिलाध्यक्ष मोहर सिंह कुशवाहा, आकाश सक्सेना, अनुराग सिंह, पप्पू, मोहन, मोहित, रानू, श्यामू, रोहित इत्यादि मौजूद रहे।

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मजदूर अधिकारों में कटौती के खिलाफ वामपंथी ताकतें आंदोलन तेज करेंगी-वामदल

चकिया; चन्दौली। मोदी सरकार जब से आई है लगातार मजदूर अधिकारों में कटौती करती जा रही है, जिसके खिलाफ वामपंथी ताकतें संघर्ष तेज करेंगी। उक्त बातें आज मजदूर दिवस के अवसर पर स्थानीय गांधी पार्क में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वामपंथी नेताओं ने कही।
वामपंथी नेताओं ने आगे कहा की वर्तमान दौर की डबल इंजन की सरकार मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान सबके अधिकारों में कटौती कर रही है और जब लोग आवाज उठा रहे हैं तो उनकी आवाजों को बंद करने के लिए दमन का सहारा ले रही है। दिल्ली में जंतर मंतर पर धरने पर बैठी महिला पहलवानों के न्याय के लिए आवाज उठा रहे लखनऊ में आइसा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया जो उनके दमनकारी चरित्र को उजागर करता है।
सभा शुरू होने से पहले वामपंथी कार्यकर्ता 1 मई मजदूर दिवस जिंदाबाद,मजदूरों के अधिकारों में कटौती बंद करो,यौन शोषण के आरोपी को बचाना बंद करो, मजदूर किसान एकता जिंदाबाद, दुनिया के मजदूरों एक हो सहित तमाम नारे लगाते हुए चकिया स्थित काली पोखरे से जुलूस निकाल चकिया के तमाम गलियों से होते हुए गांधी पार्क पहुंचे।

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जाति-संप्रदाय से परे नवोदय विद्यालयों में सिर्फ नव उदय की राष्ट्रीय भावनाः कृष्ण कुमार यादव

लखनऊ। नवोदय विद्यालय समिति के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य की क्षेत्रीय एल्मुनी मीट -2023 का आयोजन लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया। देश-विदेश से पधारे नवोदय विद्यालय के तमाम पुरा विद्यार्थियों ने जहाँ अपने यादगार अनुभव साझा किये वहीं नवोदय विद्यालय की प्रगति के विभिन्न आयामों पर भी चर्चा हुई।
मुख्य अतिथि के रूप में नवोदय विद्यालय समिति के संयुक्त आयुक्त ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि यह गर्व की बात है कि नवोदय के विद्यार्थी आज देश-दुनिया में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। अप्रैल, 1986 में दो नवोदय विद्यालयों से आरंभ हुआ यह सफर आज 649 तक पहुँच चुका है। बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी नवोदयन्स सदैव से अव्वल रहे हैं। नवोदय शिक्षक सेवा भाव से कार्य करते हुए भारत के सुनहरे भविष्य को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न नवोदय विद्यालयों के पुरा विद्यार्थियों का डाटा बेस तैयार करने हेतु एक पोर्टल भी लांच किया।
नवोदय के पुरा छात्र और संप्रति लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने कहा कि हमारे व्यक्तित्व और कैरियर के निर्माण में नवोदय का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यदि मैं नवोदय में नहीं रहता तो शायद ही यहाँ तक पहुँच पाता। ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने में नवोदय का अहम योगदान है।

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ऑक्सफोर्ड पब्लिक जूनियर हाई स्कूल का परिणाम हुआ घोषित

♦ रिजल्ट व पुरस्कार मिलने के बाद खिल उठे बच्चों के चेहरे
इटावा। शिवा कॉलोनी स्थित ऑक्सफोर्ड पब्लिक जूनियर हाई स्कूल के मेधावी छात्र छत्राओं को स्कूल के प्रबंधक प्रवक्ता आर के चौधरी ने बच्चों के रिजल्ट घोषित होने के बाद मेधावी छात्र छात्राओं को पुरस्कार देकर बच्चों का हौसला बढ़ाया और विद्यालय के स्टाफ को बहुत-बहुत बधाई दी और कहा कि अब आपकी मेहनत से इन बच्चों ने अच्छा स्थान पाया है इससे बच्चों को प्रेरणा मिलेगी और यह बच्चे अच्छे कार्य में अपना ज्ञान व समय देंगे। बच्चों ने अध्यापक को सम्मान दिया और कहा कि हमारा विद्यालय बहुत अच्छा है और हमारे अध्यापक अच्छी पढ़ाई कराते हैं जिससे आज हमने अपने क्लास में उच्च स्थान प्राप्त किया है। ऐसे अध्यापक बहुत कम मिलते हैं जो निःस्वार्थ बच्चों को पढ़ाते हैं। कक्षा -8 में प्रथम स्थान पर अमन राज, द्वितीय स्थान पर खुशी, तृतीय स्थान पर रौनक, कक्षा -7 में प्रथम स्थान पर यासमीन, द्वितीय स्थान पर मेघा, तृतीय स्थान पर आयुष ,कक्षा- 6में प्रथम स्थान पर आकांक्षा, द्वितीय स्थान पर आदित्य ,तृतीय स्थान पर अभिषेक कक्षा 5- में प्रथम स्थान पर सुनीति, द्वितीय स्थान पर सुमित, तृतीय स्थान पर शीलू ,कक्षा -4 में प्रथम स्थान पर राशि, द्वितीय स्थान पर हिमांशु शर्मा, तृतीय स्थान पर तान्या कक्षा -3 में प्रथम स्थान पर दीपाली, द्वितीय स्थान पर प्रगति, तृतीय स्थान पर मोहम्मद शमशाद।

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“महिलाओं को नई दिशा और बेटियों को सही समझ दे रहा है पिंकीश फ़ाउंडेशन”

कभी-कभी कुछ लोगों का काम उनकी शालिन शख़्सियत के पीछे छुप जाता है, क्योंकि वो लोग वाहवाही लूटने हेतु काम नहीं करते; बल्कि सच में समाज को आगे ले जाने के लिए और लोगों को उपयोगी होने के लिए काम करते है। किसी भी अपेक्षा के बिना unconditional and औरों को appreciate करने वाला काम अगर कोई करता है तो वो है “पिंकीश फ़ाउंडेशन”
फेसबुक पर “पिंकीश फ़ाउंडेशन” द्वारा फेसबुक ग्रुप और पेज पर चल रहे लाजवाब काम को देखकर आज मन की गहराई से कुछ भावनाएँ फूट रही है। ये लेख कोई किसीको मक्खन लगाने के लिए नहीं लिख रही हूँ, बल्कि आँखों देखी घटना का विवरण है। पिंकीश से जुड़े मुझे शायद पाँच साल तो हो ही गए। जब से जुड़ी हूँ तब से पिंकीश को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर होते देखा है।
सोशल मीडिया का सही उपयोग ऐसे भी होता है यह में समाज को समझाना चाहती हूँ। आजकल लोगों ने सोशल मीडिया को ज़हर उगलने का ज़रिया बना रखा है; ऐसे में पिंकीश फ़ाउंडेशन अपने नेक कामों का ढ़िंढोरा पिटे बिना चुपचाप अपना बेनमून काम करते आगे बढ़ रहा है। जिसके लिए आदरणीय अरुण गुप्ता सर और गोर्जियस और pure heart शालिनी जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है।
महज़ फेसबुक पेज द्वारा संचालन करते देश के कोने-कोने में अपनी चेइन बनाकर लोगों को नेक काम के लिए जोड़ कर प्रोत्साहित करना और अपनी गरिमामयी पहचान खड़ी करना कोई छोटी बात नहीं। पिंकीश के साथ एक से बढ़कर एक प्रबुद्ध, पढ़े-लिखे और इंटेलिजेंट लोग स्वैच्छिक तौर पर जुड़े है, जो अपना कीमती समय देते नेक काम के लिए कड़ी से कड़ी की तरह जुड़कर चेइन को आगे बढ़ा रहे है।
गाँव-गाँव, शहर-शहर बेटियों को माहवारी और स्वच्छता का सही ज्ञान देते सेनेटरी पेड़ को नि:शुल्क बाँटने का काम इतनी बखूबी निभा रहे है कि कहना पड़ेगा hats off pinkish team साथ ही पिंकीश के फेसबुक ग्रुप में लगातार कोई न कोई प्रतियोगिता और डिबेट जैसी गतिविधियों से महिलाओं को प्रोत्साहित करते रहते है।

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बागपत के अमन बने टाइम्स ग्रुप के कॉन्टेस्ट विजेता

बागपत। उत्तर प्रदेश में बागपत के ट्यौढी गांव निवासी अमन कुमार ने टाइम्स ग्रुप द्वारा आयोजित अभियान व्हाट मेकस अस वन में प्रतिभाग कर रचनात्मक जवाब दिया, जिसके लिए द टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप द्वारा उनको आकर्षक उपहार से सम्मानित किया जाएगा। अमन ने बताया कि अभियान के अंतर्गत भारत की विविधता में एकता को बनाए रखने का जवाब एक शब्द में पूछा था जिसका जवाब उन्होंने इमोशंस अर्थात भावनाएं लिखा था जिसके आधार पर टीम ने उनको ईमेल भेजकर विजेता घोषित किया।
एक युवा स्वयंसेवक के रूप में अमन द्वारा विभिन्न सामाजिक अभियानों का नेतृत्व किया जा रहा है जिसके अंतर्गत वो युवा सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा एवं साक्षरता, स्वच्छता, योग एवं खेलकूद, इंटरनेट मीडिया, सामुदायिक विकास आदि क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम संचालित करने के साथ साथ क्षेत्र के युवाओं को मोटिवेट करने में भी अग्रणी है। पूर्व में जहां विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं के अधिकारियों ने अमन से विभिन्न मुद्दों पर राय ली,

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पुलिस कांस्टेबल ने मंदिर में शादी कर बनाये सम्बन्ध और अब दूसरी शादी की तैयारी की

कानपुर, जन सामना। पुलिस कमिश्नरेट के गुजैनी थाना का एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक युवक से युवती की जानपहचान हुई। दोनों में बात बड़ी तो एक मंदिर में जाकर शादी कर ली। समय गुजरा तो मन बदला और अब युवक दूसरी शादी करने जा रहा है। यह जानकारी जब युवती को हुई तो उसने पुलिस आयुक्त को एक तहरीर दी। किंतु जांच पड़ताल की आड़ में अब पुलिस मामले को रफादफा करने में जुटी है।
गुजैनी थाना क्षेत्र की रहने वाली एक युवती ने आरोप लगाया है कि आरोपी पर कार्यवाही करने के बजाय उसे बचाने में जुटी है।
पीड़ित युवती के मुताबिक आरोपी व्यक्ति घाटमपुर थाना क्षेत्र का निवासी है, उप्र पुलिस में कांस्टेबल पद पर है और वर्तमान में आगरा में तैनात है।
यह भी बताया कि आरोपी कांस्टेबल ने एक मंदिर में शादी कर अनेक बार सम्बन्ध बनाये हैं। यह भी बताया कि वह 2015 से सम्बन्ध बनाता रहा है और अब 5 मई 2023 को दूसरी शादी करने जा रहा है।

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समर्थन देने वाले क्या भूल जाएंगे अपना राजनीतिक भविष्य.?

पवन कुमार गुप्ता; रायबरेली। उक्त विषय उनके लिए अवश्य विचारणीय होगा जो चुनावी मैदान में उतरने की इच्छा रखते हैं और भविष्य में राजनीति में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। उनके लिए इस विचार पर मंथन करना जरूरी होगा कि किस पार्टी को या फिर उम्मीदवार को अपना सहयोग, समर्थन दिया जाए, जिससे कि वह उसके राजनीतिक भविष्य का रोड़ा भी ना बन सके। इसके साथ ही वह जिसे आज जिसे अपना समर्थन दे रहा है भविष्य में उसके लिए मजबूत विपक्ष का चेहरा न हो। क्योंकि अक्सर यही देखने को मिलता है कि जिस उम्मीदवार को एक बार कुर्सी मिली तो उसे छोड़ने की इच्छा नहीं होती और कई उदाहरण ऐसे हैं भी कि दो – तीन बार से लगातार एक ही उम्मीदवार के हांथ में कुर्सी लगी है।
फिलहाल नगर निकाय चुनाव में उतरे उम्मीदवारों का भविष्य तो नतीजे आने के बाद ही तय होंगे लेकिन दिग्गज नेताओं के कहने पर पार्टी के हक में अपना समर्थन देने वाले राजनीति से जुड़े लोग क्या अपना राजनीतिक भविष्य भूल जाएंगे। ये बात उनके लिए अत्यंत विचारणीय होगा और उन्हें यदि समर्थन देना ही होगा तो ऐसे उम्मीदवार को देंगे जो भविष्य में उनके सामने मजबूत विपक्ष बनकर न खड़ा हो सके। क्योंकि यह राजनीति है दोस्त, यहां कोई किसी का सगा नहीं।

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दिहाड़ीदार मजदूरों की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार कौन ?’

बदलते दौर में विभिन्न आपदाओ के कारण सबसे बड़ा संकट दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए हुआ है। जिनके बारे देश के अंदर बहुत ही कम चर्चा हुई और इनकी आर्थिक सहायता के लिए देश की सरकार ने कुछ नहीं सोचा। कोई संदेह नहीं कि देश का मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा शोषण का शिकार है। दिहाड़ीदार मजदूर के लिए भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। शहरों में रोजी-रोटी की तलाश में आने वाले मजदूर भूख से मर रहें है दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए जिम्मेवार कौन है ? देशभर में करोड़ों लोग दिहाड़ीदार श्रमिक हैं। एक मजदूर देश के निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता है।
किसी भी समाज, देश संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहमियत किसी से भी कम नहीं आंकी जा सकती। इनके श्रम के बिना औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती। दिहाड़ीदार मजदूर की गतिविधियों या डेटा के संग्रह को किसी कानूनी प्रावधान के तहत संजोकर नहीं रखा जाता है मतलब ये की सरकार इनका खाता नहीं रखती है। इन दिहाड़ीदार मजदूरो/अनौपचारिक / असंगठित क्षेत्र का जीडीपी और रोजगार में योगदान के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख स्थान है। देश के कुल श्रमिकों में से, शहरी क्षेत्रों में लगभग 72 प्रतिशत दिहाड़ीदार/अनौपचारिक क्षेत्र में लगे हुए हैं।
शहरी विकास में दिहाड़ीदार/अनौपचारिक क्षेत्र का महत्व बहुत ज्यादा है। भारत के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 500 मिलियन श्रमिकों के भारत के कुल कार्यबल का लगभग 90ः अनौपचारिक क्षेत्र में लगा हुआ है। यही नहीं प्रवासी दिहाड़ीदार मजदूर न केवल आधुनिक भारत, बल्कि आधुनिक सिंगापुर, आधुनिक दुबई और हर आधुनिक देश का निर्माता है जो आधुनिकता की ग्लैमर सूची में खुद को ढालता है। भारत में शहरी अर्थव्यवस्था विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के अनुरूप है, जो अनौपचारिक श्रमिकों दिहाड़ीदार मजदूरों और असंगठित क्षेत्र द्वारा लाइ गई है। देखे तो यही वो बैक-एंड इंडिया है जो आधुनिक अर्थव्यवस्था के पहियों को चालू रखने के लिए फ्रंट-एंड इंडिया को दैनिक जरूरत का समर्थन प्रदान करता है।

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स्व बालादीन, नगर के प्रतिरक्षा संस्थानों में आज भी जीवित हैं जिनकी स्मृतियां

कानपुर। 60 के दशक में नगर के रक्षा प्रतिष्ठानों और पतित पावन मां गंगा नदी के किनारे स्थापित आयुध उपस्कर निर्माणी उपनाम (किले) से प्रसिद्ध संस्थान में कार्यरत रहते हुए मजदूरों की समस्याओं को दूर करने व उनके हक की आवाज को बुलंद करने के साथ मजदूरों में एकजुटता एवं संगठन पर बल देते हुए सुरक्षा संस्थान के प्रबंधन को लगभग बीस वर्षों तक झकझोरते व प्रबंधन के द्वारा अनेकों बार निलंबन के बाद, वहीं संस्थान के गेट पर ही रात दिन धरना, आंदोलनों के जरिए मजदूरों को उनके काम के घंटों का निर्धारण व अतिरिक्त काम के घंटों (ओवरटाइम) का आवश्यक परिश्रमिक ,बोनस आदि के लिए लंबी लड़ाई लड़ने का काम किया, जिसको बाद में प्रबंधन द्वारा माने जाने सफलता प्र
अर्जित की। बालादीन जी उच्च शिक्षित, हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक व साहित्य में रुचि रखते थे। उनको जानने वाले बताते हैं, कि सुरक्षा संस्थान के प्रबंधन द्वारा मजदूरों को अंग्रेजी में ही दिशा निर्देश दिए जाते थे जिससे मजदूर काम करने में असहज महसूस करने लगे। मजदूरों की ऐसी स्थिति देखता है उन्होंने फैक्ट्री प्रबंधन को फैक्ट्री के अंदर हिंदी में कार्य करने और विभागो तथा अधिकारियों की लिखी नाम पट्टिका अंग्रेजी भाषा के बजाय हिंदी में परावर्तित करने के लिए प्रबंधन को पत्र लिखा। बाद में फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा ऐसी व्यवस्था को नामंजूर किए जाने पर बालादीन ने आक्रोश में आकर सुरक्षा संस्थान के अंदर सभी विभागों और अधिकारियों की अंग्रेजी में लिखी नाम पट्टिका को काले रंग से पोत दिया।
बालादीन के मजदूर हितों और मजदूर एकता की गूंज जब महान राजनीतिज्ञ, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा और कार्यों के प्रवर्तक तथा देश भर के मजदूर संगठनों के बीच मेलमिलाप और मजदूरों की समस्याओं से अवगत होने और उससे निजात पाने की दिशा में क्रियाशील दंतोपंत ठेंगड़ी को सुनाई पड़ी तो भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के प्रथम अधिवेशन में कोषाध्यक्ष का पदभार सौंपा।

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