गर्मियां शुरू होते ही मीडिया वर्ल्ड सनस्क्रीन के विज्ञापनों से पट जाते हैं। इन विज्ञापनों में ऐसा बताया जाता हैं कि हम सभी को लगता है कि अगर इसे इस्तेमाल किए बिना बाहर निकल गए, तो त्वचा की खराब कर ही वापस आना है, क्योंकि इस तरह की चेतावनी आम है कि जब भी कोई तेज धूप के सीधे संपर्क में आता है, तो गर्मी लगने के साथ-साथ त्वचा के बर्न होने, रंग सांवला होने, चेहरे पर झुर्रियां आने और यहां तक कि सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के असर से त्वचा का कैंसर तक होने का डर रहता है। तेज गर्मी में त्वचा को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने में सनस्क्रीन बड़ी फायदेमंद होती है, लेकिन इसका इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से सोच-समझकर ही करना चाहिए। वैसे, बाजार में सनस्क्रीन भरी पड़ी है क्या आपको ये सन प्रोटेक्शन देगी जिससे आप तेज धूप से अपनी त्वचा का बचाव कर सकते हैं। पूरी जानकारी दे रही हैं जन सामना की ब्यूटी एडवाइजर व सी डब्लू सी ब्यूटी एन मेकअप स्टूडियो की सेलिब्रिटी शालिनी योगेन्द्र गुप्ता ।
क्या है एसपीएफ –एसपीएफ सूर्य की किरणों से बचाव का एक मानक शब्द है। यह एक रेटिंग फैक्टर है जो बताता है कि कोई सनस्क्रीन या सनब्लाॅक आपको किस स्तर तक बचाव देता है। एसपीएफ रेटिंग का आधार सुरक्षित त्वचा पर सूरज की किरणों का असर होने में लगने वाले समय और बिना प्रोटेक्शन वाली त्वचा पर सूर्य की किरणों के असर में लगने वाले समय की तुलना है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी को एक घंटा धूप में रहने से सनबर्न होता है तो एसपीएफ 15 उसे 15 घंटे धूप में रहने की आजादी देगा, मतलब सनबर्न होने में 15 गुना ज्यादा समय लगेगा। मगर ऐसा तभी हो सकता है जब इन पूरे 15 घंटों में धूप का असर एक सा हो, जो कि संभव नहीं है। मसलन सुबह के समय धूप का असर कम होता है और दोपहर में काफी ज्यादा।