Friday, April 19, 2024
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Daily Archives: 5th June 2018

गीतों पर झूमे भक्त

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। नवीन मार्केट व्यापार संगठन के तत्वाधान में दीपक कुमार सविता की अध्यक्षता में परेड चौराहे पर भजन संध्या एवं भंडारे का आयोजन किया गया जानकारी देते हुए दीपक कुमार सविता ने बताया कि कई वर्षों से परेड चौराहे पर भंडारे एवं भजन संध्या का कार्यक्रम किया जाता है। जिसमें भगवान के गीतों भक्तों ने आनंद लिया एवं भंडारे में सभी व्यापारी भाइयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया एवं राहगीरों, व्यापारी भाइयों, आम जनता ने प्रसाद चखा मुख्य रुप से उपस्थित दीपक कुमार सविता, राकेश लौरी अरोड़ा, नरेश भगतानी, कमलेश शर्मा, आशू गुप्ता, रवि अरोड़ा आदि लोग मौजूद।

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समर कैम्प का समापन हुआ

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। कानपुर सरस्वती शिशु विद्या मंदिर आनन्दपुरी में आयोजित बीस दिवसीय समर कैम्प का आयोजन किया गया जिसमें 72 बालक, बालिकाओ ने भाग लिया जुडो,कराटे, कम्प्यूटर, मेहन्दी, संगीत गायन तथा वंदन, रंगोली में सीखने आय बच्चों ने बताया लोक नृत्य, बेलडिजाइन, सेल्फ जुडो कराटे, कमप्यूटर में बेसिक सिखाया कझा 10 तथा 12 की निःशुल्क शिक्षण की व्यवस्था की गई विद्यालय के प्रबंधक विकास जैन, आनन्द झा, रमेश विश्वकर्मा, शिव शंकर, पूनम गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार, उर्मिला, सलोनी, रूबी, प्रदीप मिश्रा, विद्यालय संरक्षक मुन्नी लाल वर्मा तथा बाहर से आये प्रशिझक उपस्थित रहे।

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दो दिवसीय राज्‍यपाल सम्‍मेलन राष्‍ट्रपति भवन में शुरू हुआ

संघीय ढांचे में राज्‍यपाल महत्‍वपूर्ण कड़ी है: राष्‍ट्रपति
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के उदघाटन संबोधन के साथ दो दिवसीय राज्‍यपाल और उप.राज्‍यपाल सम्‍मेलन ;4 जून को राष्‍ट्रपति भवन में शुरू हुआ। यह राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित होने वाला 49वां सम्‍मेलन है और राष्‍ट्रपति श्री कोविंद की अध्‍यक्षता में दूसरा सम्‍मेलन है।
अपने आरंभिक संबोधन में राष्‍ट्रपति ने कहा कि शासन प्रणाली में राज्‍यपाल पद की विशेष गरिमा है। राज्‍य सरकार में राज्‍यपाल की भूमिका संरक्षक और मार्गदर्शक की होती है और वे संघीय ढांचे में महत्‍वपूर्ण कड़ी हैं। राज्‍य के लोग राज्‍यपाल के कार्यालय और राजभवन को आदर्श और मूल्‍यों के स्रोत के रूप में देखते हैं।

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हनुमान बनाम महिरावण रामायण की एक्शन, साहस और रहस्य से भरी एक अनकही कहानी हैः डॉ एजिल वेंदन, निर्देशक

‘‘साक्षात्कार’’
⇒गेमिंग से फिल्मों तक, कैसा रहा ये बदलाव?
गमाया की स्थापना भारतीय संस्कृति और विरासत को हमारे बच्चों जान सके, इस सिद्धांत के साथ स्थापित किया गया था। हम बच्चों को भारतीय पौराणिक कथाओं और विरासत तक ले जाना चाहते थे। हम ये सब मनोरंजक और खेल के रूप में लाना चाहते थे। जब हमने गमाया लिजेंड गेम्स पर काम किया, जिसमें रामायण के पात्र हैं, तो हमें लगा कि गेम को बढ़ावा देने के लिए वीडियो बनाने की जरूरत है। वीडियो बनाने की प्रक्रिया ने फिल्म बनाने के विचार को जन्म दिया। हनुमान बनाम महिरावण रामायण की एक्शन, साहस और रहस्य से भरी एक अनकही कहानी है, इसलिए हमने इसे शुरू किया।
फिल्म बनाना हमेशा से मेरी आकांक्षा रही है। गेमिंग ने प्रोड्क्शन के लिए एक ठोस आधार बनाया, जो समय और बजट बाधाओं के भीतर फिल्म को वितरित करने में महत्वपूर्ण रहा है।
ये बदलाव सुखद रहा है। उदाहरण के लिए, अगर हमें एक दृश्य में कई पात्रों को एक साथ शूट करना है, जिसमें बहुत सारे पेड़ हैं, तो सामान्य फिल्म दृष्टिकोण ये होता है कि शॉट के हर पहलू में ज्यादा विस्तार हो. ये एक महान शॉट हो सकता है। लेकिन, ऐसे जटिल दृश्यों को प्रबंधित कर उन्हें प्रस्तुत करने में जो व्यावहारिक दिक्कतें है, वो हमें नीचे भी गिरा सकती है. इसके बजाए, हमने कैमरे और प्रकाश से दूरी के आधार पर पात्रों के विभिन्न स्तरों को शामिल करने के लिए गेमिंग तकनीक का उपयोग किया। इसलिए, दोनों क्षेत्रों के बारे में मेरे ज्ञान ने मुझे इस फिल्म के लिए आवश्यक गुणवत्ता और संसाधनों के बीच संतुलन बनाने में मदद की।
⇒यह एक बहु-देशीय परियोजना है, क्या यह चुनौतीपूर्ण था?
हां, यह चुनौतीपूर्ण और रोमांचक था. हनुमान बनाम महिरावण 5 देशों में बनाई गई है। हमने जापान, ऑस्ट्रेलिया, मेक्सिको, भारत और यूएसए के विभिन्न कलाकारों और स्टूडियो के साथ काम किया है।
इसके अलावा, बाहरी टीमों से एक्टिंग, एनीमेशन और चरित्र गुणवत्ता प्राप्त करना सबसे बड़ी चुनौती थी। विभिन्न टीमों से कम्युनिकेट करने के लिए दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। मुझे व्यक्तिगत रूप से विभिन्न पात्रों के विभिन्न मूड, अभिव्यक्तियों और शरीर के रूपों को समझाने के लिए एनिमेटेड फ्रेम पर काम करना पड़ा. मैं विस्तृत प्रतिक्रिया भी भेजूंगा, ताकि टीम हमारी इच्छा और प्रत्येक शॉट के निर्देशों को बेहतर ढंग से समझ सके. मुझे यकीन है कि सर्वोत्तम गुणवत्ता पाने के लिए जो दबाव होता है, उससे कुछ टीमें निराश होती है, लेकिन मैं इन टीमों के धैर्य के लिए आभारी हूं। मेरे दिमाग में एक निश्चित मानक सेट था, जिस पर मैंने काम किया था. लेकिन जब भी आवश्यकता हो, मैं हमेशा सुधार के लिए तैयार था।

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समाज से नशे का चलन खत्म करना होगाः संजय कटियार

जहानाबादः जन सामना ब्यूरो। जिला फतेहपुर के ग्राम डिघरूवा में 1 जून से 4 जून तक चल रहे सामवेदीय वृहद यज्ञ का कार्य सम्पन्न हुआ। यज्ञ के अन्तिम दिन सोमवार 4 जून को समाज सुधार सत्र के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय कुर्मिक्षत्रिय महासभा कानपुर के जिलाध्यक्ष डॉ0 अनिल कटियार ने कहा कि किसी भी समाज में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने के लिये बालक, बालिकाओं को समान शिक्षा के अवसर हर परिवार को देना चाहिए। शिक्षा की मशाल से हर प्रकार की कुरीतियों को खत्म किया जा सकता है। समाज सुधार विषय के मुख्यवक्ता वरिष्ठ जिलाउपाध्यक्ष अखिल भारतीय कुर्मिक्षत्रिय महासभा कानपुर महानगर एवं जिलामंत्री भाजपा कानपुर दक्षिण संजय कटियार ने अपने उदबोधन में कहा कि समाज सुधार का क्षेत्र अतिव्यापक है। इसकी कोई सीमा नहीं है, समाज में सुधारने के कई क्षेत्र हो सकते हैं उन्होंने कहा कि आज समाज के सुधारने की बात करने वाले को उसकी ही जाति से जोड़कर देखने की मानसिकता विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा फैलाई गई जातिवादी राजनीति के कारण हो गई है। हम सभी को ऐसी संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकलना होगा तभी हम सम्पूर्ण समाज चाहे वह किसी भी जाति अथवा धर्म से ताल्लुक रखता हो अपने में सुधार कर पायेगा, सुधार हमेशा हमसे और हमारे घर परिवार से ही शुरू होने चाहिए तभी घर से गली, मुहल्ला और गाँव, शहर और तब राष्ट्रीय सुधार हो पायेगा, समाज में आज नशे का चलन बहुत बढ़ रहा है खासकर के युवाओं में इसको रोकने की जिम्मेदारी हम सभी की है क्योंकि यदि हमारे युवा यदि नशे में डूब गये तो समझ लीजिए कि हमारा परिवार समाज और राष्ट्र सभी कुछ नष्ट हो जायेगा, आज हमारा देश दुनिया मे सबसे जवान देश है क्योंकि आज हमारी कुल आबादी का 65 प्रतिशत भाग युवा हैं।

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वेस एंडरसन की आइल ऑफ डॉग्स भारत में जुलाई को रिलीज होगी

वितरण कंपनी रनअवे-ल्यूमिनोसिटी के माध्यम से फॉक्स स्टार स्टूडियो भारत में फिल्म रिलीज करेगा
‘आइल ऑफ डॉग्स’ में ऑल-स्टार वॉयस कास्ट है, ब्रायन क्रैनस्टन से स्कारलेट जोहानसन तक
मुम्बई। दुनिया भर में दर्शकों का मन जीतने के बाद, वेस एंडरसन की नवीनतम कृति आइल ऑफ डॉग्स विशेष वितरण कंपनी रनअवे-ल्यूमिनोसिटी के माध्यम से फॉक्स स्टार स्टूडियो द्वारा जुलाई 6 को भारत भर के सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी। आइल ऑफ डॉग्सश् को वेस एंडरसन की सबसे कलात्मक और विस्तृत फिल्म के रूप में बताया जा रहा है। रॉयल टेनेनबाम्स और फैंटास्टिक मिस्टर फॉक्स के जरिए दर्शकों को आकर्षित करने के बाद और हाल ही में द ग्रैंड बुडापेस्ट होटल के लिए प्रशंसित निर्देशक वेस एंडरसन अपने नवीनतम फिल्म आइल ऑफ डॉग्स के साथ हॉलीवुड में धूम मचा रहे है।
फिल्म में ऑल-स्टार वॉयस कास्ट है, जिसमें ब्रायन क्रैनस्टन (ब्रेकिंग बैड), स्कारलेट जोहानसन (लुसी), योको ओनो, बिल मरे (लॉस्ट इन ट्रांसलेशन), फ्रांसिस मैकडॉर्मैंड (थ्री बिलबोर्ड आउटसाइड एबिंग, मिसौरी) और लेव श्रेबर (एक्स-मेन) शामिल है।
आइल ऑफ डॉग्सश् एक एनिमेटेड स्टॉप मोशन कॉमेडी फिल्म है, जो जापान में एक द्वीप पर सेट है। ये एक अत्याचारी मेयर द्वारा शहर के बाहर कूड़ेदान से बना है. जैसा कि शीर्षक से पता चलता है कि फिल्म कुत्तों के एक घबराए हुए झुंड को ले कर है, जो जापान में कैनिन फ्लू फैलने से अपने द्वीप से निर्वासित हो जाते हैं।
वेस एंडरसन द्वारा निर्देशित, आइल ऑफ डॉग्स 6 जुलाई, 2018 को स्पेशियलिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी रनअवे-ल्यूमिनोसिटी डिस्ट्रीब्यूशन द्वारा पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

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पहली बार मंच पर कविता पढ़ता कवि

पहली बार कविता का पाठन करना है।
नीर का मन आज बहुत घबराया है।।
अपनी लिखी हुई कविता के शब्द जैसे दिख नही रहे।
सारे के सारे शब्द जैसे पन्ने से फुर हो गए।।
उसपे बड़े बड़े कवियों ने बड़ा अच्छा मंच सजाया है।
देख देख कर मंच की सज्जा नीर का मन घबराया है।।
ऐसा लग रहा था आज बस दम निकल जायेगा।
इतने बड़े नामो के बीच मे सब खो जाएगा।।
जैसे तैसे कविता का उच्चारण शुरू किया।
होठ लड़खड़ा गए और पैर भी अंदर तक कांप गए।।
लगता था आज अपनी ही कविता मैं कह नही पाऊंगा।
पता नही आज अपनी जान कैसे बचाऊँगा।।
पढ़ते पढ़ते आँखो से आँशु बहने लगे ।
शीर्षक माँ ने आज फिर मुझे बचाया है।।
बचपन से आज तक माँ ही काम आयी है।
कविता पाठन में भी मेरी लाज माँ ने बचाई है ।।

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