कानपुर, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश भाजपा द्वारा पूरे प्रदेश में शुक्रवार से तीन दिवसीय ’बूथ चलो अभियान’ शुरू किया गया। बूथ चलो अभियान में भाजपाइयों ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के साथ ही पार्टी की सदस्यता व बूथ समिति के पुनर्गठन का कार्य किया। इस अभियान में प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित जिले के पदाधिकारियों को बूथों का प्रवासी बनाया गया। रविवार को अंतिम दिन दक्षिण जिले के लगभग सभी 1058 बूथों पर घर घर संपर्क कर बूथ चलो अभियान का शाम को समापन किया गया। मिशन 2019 को फतह करने के लिए भाजपा अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही कारण है कि पार्टी के बड़े से लेकर छोटे नेता तक को इस अभियान को संपन्न कराने के लिए प्रवासी बनाकर बूथों पर भेजा गया। पार्टी का मूलमंत्र भी यही है कि ’बूथ जीतो चुनाव जीतो’ इसी मंत्र पर भाजपाइयों ने 3 दिनों तक काम करते हुए बूथों पर जाकर अपना जमकर पसीना बहाया। बूथ 28 पर रविवार को अंतिम दिन भाजपा दक्षिण जिले के महामंत्री शिव शंकर सैनी एवं मंडल अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव ने पहुंचकर अभियान में हिस्सा लिया। इस मौके पर सैनी ने कहा कि पार्टी का यह अभियान पूर्ण रूप से सफल रहा। 18 साल की आयु पूरी कर चुके तमाम युवा अभी तक मतदाता नहीं बने थे उनसे न केवल मतदाता फार्म भराया गया बल्कि पार्टी का ऑनलाइन सदस्य भी उनकी सहमति से बनाया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व के आग्रह व निर्देश पर प्रत्येक बूथ पर कम से कम 50 नए भाजपा के सदस्य बनाए गए। भाजपाइयों द्वारा नए वोटर बनाने के लिए युवाओं को घर पर ही उपलब्ध कराए गए मतदाता फार्म व भाजपा की दिलाई गई निःशुल्क सदस्यता के प्रति लोगों ने भाजपाइयों के प्रति आभार जताया। कई लोगों ने बताया कि वे वोटर बनने के लिए काफी दिनो से प्रयास कर रहे थे परंतु उन्हें फार्म नहीं मिल पा रहा था। भाजपा ने उनकी इस दिक्कत को दूर कर दिया है। बूथ चलो अभियान में प्रवासी प्रकाश वीर आर्य, रणविजय सिंह राठौर, धर्मेंद्र राय, मनोज पाल, प्रकाश सिंह चैहान, रविन्द्र त्रिपाठी, दिलीप सिंह, गुंजनधर गुप्ता, सुनील दीक्षित आदि लोग मौजूद थे।
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मोक्ष म्यूजिक कंपनी रिलीज करेगी दमदार आईएएस अफसर डॉ. हरिओम की गजल
डॉ. हरिओम की इस गजल पर कत्थक की अच्छी जुगलबंदी बन सकती है। राज महाजन
“मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ, सिकंदर हूँ मगर हारा हुआ हूँ”। भारत के दबंग आई ए एस और अब मशहूर गजल गायक के तौर पर अपनी पहचान बना चुके डॉक्टर हरिओम ने करीब 10 वर्ष पहले जब ये शेर लिखा होगा तो उन्होंने कभी यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन यह शेर आम लोगों की जुबान पर चढ़ जाएगा। आज आलम यह है कि चाहे शेरो-शायरी का मंच हो या सोशल मीडिया की दुनिया, डॉक्टर हरिओम का यह शेर खास लोकप्रिय है। अपनी इस गजल को 3 साल पहले हरिओम ने अपने एल्बम ’रोशनी के पंख’ में गाया और देखते ही देखते गजल और खासकर यह शेर हर किसी का चहेता बन गया और गजल गायकी में डॉक्टर हरिओम का सिक्का चल निकला। आजकल हरिओम जहाँ कहीं भी जाते हैं, उनके चाहने वाले उनसे इस गजल को जरूर सुनना चाहते हैं। इस मशहूर गजल की धुन बनाई थी मशहूर गजल गायक हुसैन बंधुओं ने जो गजल गायकी में हरिओम के गुरू भी हैं। हुसैन बंधु भी इस गजल को अक्सर स्टेज पर गाते हैं।