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Daily Archives: 5th February 2019

ममता सरकार का सी बी आई पर सर्जिकल स्ट्राईक

बंगाल में पुलिस कमिश्नर को बचाने के चक्कर में ममता सरकार अब पूरी तरह तानाशाह की भूमिका मे आ गयी है। ममता बनर्जी जिस तरह बंगाल मे खुलेआम हिंसात्मक रवैये पर उतारू है उससे तो अब लग रहा की बंगाल की जनता को ममता का मोह छोड़ना पड़ सकता है। गत दिनों शारदा चिट फण्ड मामले मे कमिश्नर से पूछताछ करने गयी सी बी आई के छः अधिकारियों को पुलिस ने ममता के इसारे पर घेर कर गिरफ्तार कर लिया जो लोकतंत्र की खुलेआम हत्या है। नए सियासी ड्रामे में इस मामले को दबाने के लिए अब ममता अनसन पर बैठ गयी है जो इस बात का प्रतीक है कि ममता पूरे घोटाले से जनता का ध्यान हटाकर चुनाव को अपने पक्ष मे करना चाहती है। खैर ममता दीदी की सच्चाई अब धीरे धीरे जनता के बीच आ रही। पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की संख्या 50 लाख से 2 करोड़ के आसपास है लेकिन एक भी फ्री सस्ते इलाज वाले मल्टी सुपरटेलिटी हाॅस्पिटल नहीं है, या हैं भी तो सब फुल हैं और उनमें लूट चल रही है मैं ये बात इस लिए कह रहा हूँ कि बंगाल में अस्पतालों में पूर्वी उत्तर प्रदेश और सिलीगुड़ी जैसे बाहरी इलाकों से लोग इलाज के लिए आते हैं जिनमे सबसे अधिक संख्या हिन्दुओ की होती है और इन गरीब लोगों को बहुत मुश्किल से इलाज मिल पाता है क्योंकि बहुत भीड़ होती है यहाँ के अस्पतालों में।
अभी कुछ दिन पहले की बात है मैं एक राज्य सरकार के सरकारी अस्पताल में किसी के इलाज के लिए गया था वो बाहर से आए थे और वह अचानक बीमार हो गए थे उनके पास कोई भी रेफर डाॅक्यूमेंट या हेल्थ रिकाॅर्ड नहीं था तो उनका पर्चा नहीं बन रहा था तो मैंने वहाँ की डायरेक्टर की अस्सिस्टेंट से बात की पर्चा बन गया। जब मैं उनके वहाँ से निकल कर फ्लोर पर अपने मरीज के पास जा रहा था तभी मैंने देखा एक बच्ची और उसका परिवार सिलीगुड़ी से इलाज के लिए 12 बजे पहुँचे बच्ची के पेट में बहुत दर्द हो रहा था और वह सीढ़ी के कोने में लोट रही थी काफी टाइम से बच्ची तड़प रही थी उसका परिवार गरीब था इलाज कहाँ कराता, तो वह सीधा बस से 12 बजे बच्ची को लेकर यहाँ पहुँचे, न जाने कितनी तकलीफ से वह बच्ची यहाँ पहुँची होगी आप सोच भी नहीं सकते। हाॅस्पिटल में उनके पिता इधर उधर दौड़ रहे थे माँ बच्ची को पकड़ के बैठी थी 7 साल की मासूम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है सभी डाॅक्टर सामने से निकल जा रहे थे माँ कह रही थी हमारी मदद करो कोई नहीं सुन रहा था मैं खड़ा देख रहा था अपने मरीज का पर्चा जमा कराने के बाद मैं 5 मिनट बाद लौटा और उनसे उनके बारे में बात की और फिर चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट के रूम में पहुँचा जहाँ अपना पर्चा बनवाया था तो उनकी वार्डेन कहीं गयी हुई थी मैं 10 मिनट इंतेजार करने के बाद वापस उस बच्ची के पास गया उसे देखने वहाँ से 2 मिनट की दूरी पर वो बिल्डिंग थी जब पहुँचा तो वह बच्ची और उसका परिवार वहाँ मौजूद नहीं था मैंने जब उनको ढूँढना शुरू किया तो वह मुझे हाॅस्पिटल के बाहर आॅटो पर बैठकर जाते हुए दिखे। पता नहीं उस बच्ची का क्या हुआ होगा ऐसा हमारे बहुत से गरीब हिन्दू भाइयों बहनों के साथ रोजाना कहीं न कहीं होता है ये इतने अमीर नहीं हैं कि किसी पास के बड़े हाॅस्पिटल में इलाज करवा सके।

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सर्कस कलाकार डेयरडेविल हैंः श्वेता त्रिपाठी

मिर्जापुर । वेब शो मिर्जापुर में अपने प्रदर्शन के लिए मिली प्रशंसा के बाद, अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता लेखक राजू मुरुगन के रोमांस ड्रामा सर्कस के साथतमिल फिल्म में शुरुआत करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
मेहन्दी, जो एक सर्कस कलाकार है, का कैरेक्टर निभा रही श्वेता ने इसके लिए असल में सर्कस कलाकारों से प्रशिक्षण लिया है।
अपनी ट्रेनिंग के बारे में बात करते हुए श्वेता कहती हैं, “मैं वाकई उत्साहित हूं क्योंकि यह मेरी पहली तमिल फिल्म है। असल सर्कस कलाकारों से प्रशिक्षण लेना एक बहुत बड़ी सीख थी। मैं हमेशा किताबों और शो से जाना था कि सर्कस कलाकारों का जीवन आसान नहीं होता है, लेकिन उनके साथ समय बिताने और उनसे सीखने ने उनके द्वारा निरंतर जीवन और मौत के बीच जूझने के संघर्ष का एहसास कराया। उनके पास अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षा उपकरण नहीं होते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय कलाकार के पास होते हैं। बावजूद इसके उनका काम काफी प्रेरणादायक है।
श्वेता ने विभिन्न राज्यों के पेशेवरों से प्रशिक्षण लिया. तमिलनाडु के थेनी जिले से आए कलाकारों ने श्वेता को एक जोखिम भरे स्टंट के लिए प्रशिक्षित किया।
श्वेता कहती हैं, “मैंने तमिलनाडु के चिन्नमन्नूर और मदुरै के असल सर्कस कलाकारों से प्रशिक्षण लिया। इसका नाम राजा सर्कस था। मैंने चलने और झुकने जैसी छोटी बारीकियों का अभ्यास किया. मैंने चाकू फेंकना भी सीख लिया है। हालांकि मुझे यह फिल्म में नहीं करना है, लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि एक्ट के हर पहलू को जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है।” 90 के दशक में सेट की गई एक प्रेम कहानी, मेहंदी सर्कस, सर्कर ट्रूप की एक लड़की और कोडाइकनाल के एक नौजवान के बीच के रिश्ते पर केंद्रित है।

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सीएसजेएम के स्थापना दिवस साप्ताहिक समारोह में विद्यार्थियों का प्रतिभा प्रदर्शन

डाॅ. दीपकुमार शुक्लः कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में स्थापना दिवस सप्ताहिक समारोह के दूसरे दिन विज्ञान प्रदर्शनी एवं वॉल पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय परिसर के छात्र-छात्राएं भारी संख्या में प्रदर्शनी एवं वाॅल पेंटिंग में प्रतिभाग करने हेु पहुंचे। विज्ञान प्रदर्शनी में 25 टीमों ने प्रतिभाग किया तो वाॅल पेंटिंग में 21 टीमों ने। विज्ञान प्रदर्शनी का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. विनोद कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ.अनिल यादव, स्थापना दिवस समारोह के संयोजक डाॅ.सुधांशु राय एवं यूआईईटी के निदेशक डॉक्टर आरएन कटियार ने फीता काटकर किया। इस अवसर पर कुलसचिव ने वहां पर उपस्थित अलग-अलग विभागों जैसे यूआईटी एजुकेशन पैरामेडिकल बायो साइंसेज फार्मेसी इत्यादि विभागों की माॅडल को देख कर उनकी सराहना की। किसी बायो मेडिकल वेस्ट पर तो किसी ने ड्रोन का माॅडल बनाया। जो अत्यंत सराहनीय था। इस अवसर पर निर्णयाक के रूप में एचबीटीयू के प्रोफेसर प्रशांत वर्मा मौजूद रहे। जिन्होंने इस प्रदर्शनी के विजेता का निर्णय किया। प्रथम स्थान पर विजेता यूआईटी के एमएसएमई विभाग के योगेश सक्सैना, रजत कुमार एवं यशदीप की टीम रही तो वहीं वॉल पेंटिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ संयोजक डाॅ. सुधांशु राय एवं फाइन आर्ट के निदेशक डाॅ. बृजेश कटियार ने किया। डाॅ. सुधांशु राय ने बताया कि वाॅल पेंटिंग में 21 टीमों ने प्रतिभाग किया। जिसमें परिसर के फाइनेंस डिपार्टमेंट, होटल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट, शिक्षा विभाग के साथ-साथ वीरेंद्र स्वरूप महाविद्यालय, अभिनव सेवा संस्थान, चित्र डिग्री कॉलेज, डीसी लॉ काॅलेज आदि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने पेंटिंग की प्रतियोगिता में अपना दमखम दिखाया। डाॅ. बृजेश कटियार ने बताया कि कल इस प्रतियोगिता के विजेता घोषित किए जाएंगे।

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