मैं वोमे्न्स डे वाले दिन कुछ नहीं कहती एक चिढ़ सी होती है, इसलिए नहीं कि लड़कियां अभी भी पीछे हैं। सामाजिक रूप से गौर किया जाए तो कई पहलू दिखाई देते हैं कहीं आर्थिक स्थिति, कहीं अशिक्षा, कहीं धर्मांधता या परिवेश ऐसा होता है कि लड़कियां आगे बढ़ नहीं पाती हैं। लेकिन मुझे क्रोध इसलिए आता है महिला सम्मान या महिला दिवस सिर्फ मीटिंग, इटिंग और फंक्शन मात्र तक सिमट रहे हैं और जमीनी हकीकत से दूर हो रहें हैं। मैं ऐसा नहीं कह रही कि लड़कियों का विकास नहीं हो रहा है या वह नए कीर्तिमान नहीं स्थापित कर रही हैं, लेकिन अभी भी कहीं न कहीं स्त्रियां दुखी और पीड़ित हैं। उनकी भावनाओं की कद्र नहीं होती है और उन्हें दोयम दर्जा मिलता है। अखरने वाली बात यह भी लगती है कि महिला का सम्मान किसी एक दिन का मोहताज क्यों? जब वो सम्माननीय है तो उसे सहयोग कर उसका सम्मान बढ़ाइये।
महिला दिवस क्यों मनाया जाता है इसकी जानकारी भी सही तरीके से लोगों नहीं होती है। लेकिन प्रचार-प्रसार करने में लोग आगे रहते हैं। एक नजर इस बात पर कि महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? 8 मार्च को पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाता और करीब 29 देशों में इस दिन सार्वजनिक छुट्टी होती है। साधारणतया इस दिन लोग महिला के त्याग, समर्पण या किसी उपलब्धि की सराहना करते हैं। स्त्री को कोई उपहार देकर महिला दिवस की खुशी जाहिर करते हैं। सही है, लेकिन ये सिर्फ एक मनोरंजन का साधन भर होता है। स्त्रियों को पूजना या उपहार देना महिला दिवस नहीं है बल्कि सही मायनों में उनका आत्मबल बढ़ाना और और जमाने के साथ कदमताल मे सहयोग करना, उनके लिए सम्मान से कम नहीं है।
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