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Daily Archives: 14th September 2017

स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों में लक्ष्य के अनुरूप प्रगति लायें: डीएम

2017.09.14 01 ravijansaamnaस्वच्छता ही सेवा की शपथ अभियान के दौरान दिलायें: डीएम
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने विकास भवन के सभाकक्ष में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण लक्ष्य एवं पूर्ति विषय पर आयोजित पंचायत सेक्रेट्री, खण्ड प्रेरक, आपरेटर की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जनपद की प्रत्येकदशा में अक्टूबर 2018 तक ओडीएफ कराना है। यह तभी संभव है जब गांव में निर्धारित शौचालयों का निर्माण शीघ्र हो जो गढ्ढे खोदे गये है उनके सापेक्ष शीघ्र शौचालय मानक के अनुरूप बने साथ ही ग्रामीण शौचालय के शौच प्रारंभ कर उसका उपयोग करना शुरू करें। 

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साहब भारत इसी तरह तो चलता है

Untitled-1 copyवैसे तो भारत में राहुल गाँधी जी के विचारों से बहुत कम लोग इत्तेफाक रखते हैं (यह बात 2014 के चुनावी नतीजों ने जाहिर कर दी थी) लेकिन अमेरिका में बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में जब उन्होंने वंशवाद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में  “भारत इसी तरह चलता है  ” कहा, तो सत्तारूढ़ भाजपा और कुछ खास लोगों ने भले ही उनके इस कथन का विरोध किया हो लेकिन देश के आम आदमी को शायद इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा होगा। काबिले तारीफ बात यह है कि वंशवाद को स्वयं भारत के एक नामी राजनैतिक परिवार के व्यक्ति ने अन्तराष्ट्रीय मंच पर बड़ी साफगोई के साथ स्वीकार किया, क्या यह एक छोटी बात है? यूँ तो हमारे देश में वंश या  ‘घरानों’ का आस्तित्व शुरू से था लेकिन उसमें परिवारवाद से अधिक योग्यता को तरजीह दी जाती थी जैसे संगीत में ग्वालियर घराना,किराना घराना, खेलों में पटियाला घराना,होलकर घराना,रंजी घराना,अलवर घराना आदि लेकिन आज हमारा समाज इसका सबसे विकृत रूप देख रहा है।
अभी कुछ समय पहले उप्र के चुनावों में माननीय प्रधानमंत्री को भी अपनी पार्टी के नेताओं से अपील करनी पड़ी थी कि नेता अपने परिवार वालों के लिए टिकट न मांगें। लेकिन पूरे देश ने देखा कि उनकी इस अपील का उनकी अपनी ही पार्टी के नेताओं पर क्या असर हुआ। आखिर पूरे देश में ऐसा कौन सा राजनैतिक दल है जो अपनी पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले एक साधारण से कार्यकर्ता को टिकट देने का जोखिम उठाता है?

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मशीन व मजदूर के नाम पर उगाही कर रहा कोटेदार !

2017-09-14-01 - - SSP--ration barrra village⇒उपभोक्ताओं ने घटतौली का भी लगाया आरोप
⇒कोटेदार ने कहा कि अधिकारियों का मुंह बन्द रखता हूं।
कानपुर, अर्पण कश्यप। बर्रा क्षेत्र में एक राशन की सरकारी दुकान पर आज राशन कार्ड धारक उपभोक्ताओं ने हंगामा किया और कोटेदार पर कई आरोप लगाए।
बर्रा गांव में राशन की सरकारी दुकान के संचालक राम सजीवन आज राशन वितरण का कार्य कर रहे हैं। इस दौरान राशन लेने आयीं बीना शुक्ला, शान्ती देवी, शोभा शुक्ला, आशा सिंह, कलावती, पारूल सहित अन्य कई राशन कार्ड धारकों ने बताया कि राशनिंग दुकानदार यहां पर लगाई गई अंगूठा स्कैन करने वाली मशीन की कीमत के नाम पर हर राशन उपभोक्ता से उगाही कर रहा है। वहीं दुकान पर कार्य करने वाले मजदूर की मजदूरी भी उगाही करने का आरोप उपभोक्ताओं ने लगाया। उन्होंने यह भी बताया कि राशन में घटतौली भी की जा रही है। हंगामा करने के दौरान राशन दुकानदार ने कई राशन कार्ड धारकों को राशन नहीं दिया जबकि उनके दस्तखत बनवा लिए गए। वहीं 70 वर्षीय शोभा शुक्ला ने बताया कि कोटेदार कई बार से उनके हिस्से का राशन नहीं दे रहा है। कई उपभोक्ताओं ने बताया कि कोटेदार यह धमकी देता है कि चाहे कहां शिकायत कर लो मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि मैं सभी अधिकारियों का मुंह बन्द रखता हूं।

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उपेक्षा का शिकार हिन्दी

कहा जाता है कि ज्ञान जितना अर्जित किया जाये उतना ही कम होता है फिर चाहे वह किसी क्षेत्र का हो, सांस्कृतिक हो या भाषायी। लेकिन भाषायी क्षेत्र की बात करें तो हिन्दी भाषा को सम्मान व उचित स्थान दिलाने के लिए हर वर्ष पूरे देश में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। बावजूद इसके हिन्दी को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है। ज्यादातर सरकारी विभागों में सिर्फ हिन्दी दिवस का बैनर लगाकर हिन्दी पखवाड़ा मनाकर इति श्री कर ली जाती है। यह एक श्रृद्धान्जलि ही हिन्दी के प्रति कही जा सकती है। वहीं न्यायालयी क्षेत्र की बात करें तो वहां भी सिर्फ लकीर ही पीटी जाती है। लिखा पढ़ी में अंग्रेजी प्रयोग करने वाले व्यक्तियों को ज्यादा बुद्धिमान माना जाता है अपेक्षाकृत हिन्दी लिखने व बोलने वालों के। यह नारा भी सिर्फ मुंह चिढ़ाने के अलावा कुछ नहीं दिखता कि ‘हिन्दी में कार्य करें, हिन्दी एक….।।’ लेकिन क्या आप जानते हैं कि 14 सितम्बर के दिन ही हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है? कहा जाता है कि जब वर्ष 1947 में भारत से ब्रिटिश हुकूमत का पतन हुआ तो देश के सामने भाषा का सवाल एक बड़ा सवाल था क्योंकि भारत देश में सैकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां थीं और उस दौरान भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा बनाए गए। बाद में डाॅक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया। वहीं डाॅ0 भीमराव आंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी (संविधान का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी) के चेयरमैन थे। संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी। इसके बाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ।

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