Saturday, April 20, 2024
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विविधा

(भूजल गोष्ठी) का आयोजन विकास भवन सभागार में सम्पन्न

कानपुर नगर। जनपद में दिनांक 16 से 22 जुलाई, 2022 तक आयोजित “भूजल सप्ताह” के समापन के उपलक्ष्य में आज भूगर्भ जल विभाग खण्ड कानपुर द्वारा भूजल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन हेतु जन-जागरूकता के लिये (भूजल गोष्ठी) का आयोजन विकास भवन सभागार में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में विधायक घाटमपुर सरोज कुरील द्वारा प्रतिभाग किया गया। गोष्ठी में वर्षा जल संचयन एवं भूजल पुर्नभरण हेतु जनपद के अधिकारियों द्वारा विस्तृत चर्चा की गयी, जिसमें मुख्य अथिति द्वारा रूफटाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली से वर्षा जल का संचयन एवं भूजल रिचार्ज करने का संदेश दिया गया है।

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ये मौसम रंगीन समा

लहलहाती, तन को जलाती गर्मी को मात देने जब आसमान से झमाझम बारिश बरसती है तब नीरस मन की कोरी किताब से भी रोमांटिक पंक्तियाँ जन्म लेने लगती है। कौन अछूता रह सकता है इस भीगे-भीगे मौसम की आह्लादित शीतलता से।
बारिश की छम-छम बूँदों की बौछार से लयबद्ध रव सुनाई देते ही खिलखिलाती तुम्हारी हंसी की सरगम याद आती है, भीग जाता हूँ बिना बारिश छुए भी जब काली अंधेरी बरसती रात में तुम्हारी बेपनाह याद आती है। जहाँ जाती हो सराबोर हर शै हो जाती है, साथ में हंसी की बारिश लिए जो फिरती हो।

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अब तो सोच बदलो

आज हम 21वीं सदी की दहलीज़ पर खड़े है औरतों ने अपनी अठारहवीं सदी वाली छवि बदलकर रख दी है, हर क्षेत्र में नारी एक सक्षम योद्धा सी अपना परचम लहरा रही है और परिवार का संबल बनकर खड़ी है, फिर भी कुछ लोगों की मानसिकता नहीं बदली। चाहे कितनी ही सदियाँ बदल जाए कामकाजी और नाईट ड्यूटी करने वाली स्त्रियों के प्रति कुछ अवधारणा कभी नहीं बदलेगी। घर से बाहर निकलकर काम करने वाली औरतों को एक अनमनी नज़रों से ही क्यूँ देखता है समाज का एक खास वर्ग? चंद हल्की मानसिकता वाली औरतों को नज़र में रखते रात को बाहर काम करने वाली हर महिला को आप गलत नहीं ठहरा सकते। मुखर महिला यानी बदचलन, किसी मर्द के साथ हंस कर बात करने पर महिला को शक कि नज़रों से ही देखा जाता है।

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परिवार से प्रीत करो

15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है, पर आज कुछ गली मोहल्लों में गुज़र कर देखो तो लगभग हर घर में शांति का माहौल छाया है। कहाँ है संयुक्त परिवार से उठती हंसी खुशी की किलकारियां? विभक्त होते तितर-बितर हो रहे है परिवार। आजकल सबको अकेलापन रास आने लगा है। संयुक्त परिवार के फ़ायदे कोई जानता ही नहीं। जैसे पाँच ऊँगलियां जुड़ कर मुट्ठी बनती है और मुट्ठी ताकत बन जाती है वैसे ही संयुक्त परिवार की ताकत भी ज़िंदगी की हर चुनौतियों से लड़ने में अहम भूमिका निभाती है।

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पैदल चलिए, मोटापा घटाएं

बदन का भारी होना, मोटापा, भोजन का ठीक से एवं समय से न पचना तथा कब्ज की षिकायत का आए दिन बने रहना, खट्टी डकारें, छाती की जलन, गैस, थकान एवं बदन के जोड़-जोड में दर्द और अकड़न का रहना इन तमाम षिकायतों का एक ही सटीक इलाज है- घूमना यानी पैदल चलना। आज जब इंसान भौतिक सुख-सुविधाओं की लिप्सा एवं दौड़भाग में पड़ा है, उसके पास वक्त की निहायत कमी हो गई है। जरा भी कहीं चार कदम भी चलना पड़ता है, तो वह गाड़ी, स्कूटर की जरुरत महसूस करता है।

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एलोवेरा में बड़े-बड़े गुण

यह ‘कुमारी’ हमारे आपके सबके परिचय की है। इसे ही कन्या, घृतकुमारी, घीकुआर, ग्वारपाठा, स्थूलदला या ‘एलोएवेरा’ कहते हैं।
कुमारी के बाहर के पत्तों के सूखने पर भी इसके भीतर से नए पल्लव़ आते रहते हैं। यह हमेशा ताजी रहती है, इसलिए इसे कुमारी कहते हैं। हम इसे अपने घर में भी लगा सकते हैं। यदि वनस्पति जड़ के साथ घर में लटका दी जाए फिर भी काफी दिनों तक ताजी रहती है। यह इसकी विशेषता है। इसका पेड़ छोटा होता है, पत्ते लंबे, रसपूर्ण और किनारे से कांटेदार होते हैं। पुराना हो जाने पर इस पेड़ के मध्य से एक डंडी निकलती है और उस पर काले रंग के फूलों का गुच्छा आ जाता है।
घृतकुमारी स्वाद में बहुत कड़वी होती है परंतु शरीर पर इसका षीत प्रभाव पड़ता है।

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स्थापना दिवस पर एम्प्लॉयीज़ को मिली सफलता तथा गुणवत्ता को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी

जन सामना डेस्क। भारत की अग्रणी पीआर संस्था, पीआर 24×7 संबंधित उद्योग में इस माह 16 वर्षों का लम्बा सफर तय कर चुकी है। 27 फरवरी को स्थापना दिवस के मौके पर कंपनी के वरिष्ठ सदस्यों ने नए सदस्यों के मनोबल को बढ़ाते हुए अपने अनुभव साझा किए। एकता और एकजुटता की अवधारणा को सर्वाेपरि रखते हुए, पीआर 24×7 ने अपने स्थापना दिवस पर टीम के निष्ठा भाव को बरकरार रखने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों को भी कार्यक्रम में शामिल किया। इसके साथ ही सीएसआर गतिविधि के चलते वृद्धजनों के लिए तम्बोला आदि खेलों का आयोजन किया तथा कई उपहार दिए। देश के अन्य राज्यों में कार्यरत सदस्यों ने भी वर्चुअल रूप से जुड़कर अपने अनुभव साझा किए। टीम के अहम् सदस्य और प्रोडक्शन मैनेजर, वीडियो; आसिफ पटेल को स्टैंड आउट परफॉर्मर के रूप में पुरस्कृत किया गया।
टीम को संबोधित करते हुए, पीआर 24×7 के फाउंडर अतुल मलिकराम ने कहा, मैं अपनी टीम के सभी सदस्यों को उनके निरंतर समर्थन और कड़ी मेहनत के लिए धन्यवाद् और बधाई देना चाहता हूँ। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि यह मेरी टीम के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि पीआर 24×7 ने रीजनल पीआर में ऊँची उड़ान भरी है। साथ ही सभी क्लाइंट्स को भी धन्यवाद् देना चाहता हूँ, क्योंकि एक कमरे के ऑफिस से कंपनी की नींव रखकर पीआर 24×7 को आज देश की रीजनल पीआर की चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से एक बनाने में क्लाइंट्स का प्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ा योगदान रहा है। 16 वर्षों की यह बेहद सुंदर और साहसिक यात्रा रही है, भविष्य में भी क्लाइंट्स के साथ की कामना करता हूँ।
कंपनी के विस्तार के बारे में बात करते हुए, पीआर 24×7 की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, नेहा गौर ने कहा,  एक दशक से अधिक समय से अपने क्लाइंट्स के भरोसे को कायम रखने में समर्थ रहे हैं। हमारा आदर्श हमेशा से एक ही रहा है- हमारे क्लाइंट्स को सर्वाेत्तम सेवा प्रदान करना। अपनी ब्रांड कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी की प्रभावशीलता को आगे बढ़ाते हुए, रीजनल मार्केट्स में अपनी साख बनाने के साथ ही अब हम डिजिटल और प्रिंट दोनों क्षेत्रों में महानगरों में अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं।

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कामुकता ही कामयाबी का मापदंड

पहले के ज़माने में शादीशुदा स्त्री के कुछ दायरे और बहू के औधे की गरिमा हुआ करती थी। किसी खानदान की इज्जत और शाख होती है बहूएं। ससुराल वाले कितने भी मार्डन क्यूँ न हो, अपने घर की लक्ष्मी को पूरी दुनिया के सामने गैर मर्द के साथ हर सीमाएं पार करते कामुक हरकतें करते हुए कैसे देख सकते है। भले ही उनके प्रोफ़ेशन का हिस्सा हो। आज के आधुनिक ज़माने में कुछ लोगों को ऐसी बातें दकियानुसी और पुराने खयालात वाली लग सकती है। पर क्या हम खुद अपने घर की बहू बेटियों को ऐसी हालत में देख सकते है। कई हीरोइनों ने शादी के बाद क्षेत्र सन्यास ले लिया है। कहने का मतलब ये नहीं की शादी के बाद काम छोड़ दो, पर आप किसी के घर की मर्यादा हो इज्जत हो इस बात को याद रखकर एक सीमा तय करते काम करना चाहिए।

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नियति का न्याय

कभी-कभी हम न चाहते हुए भी किसी पर अंधा विश्वास कर जाते है। वैसे तो बढ़े-बूढ़े यानि बुजुर्ग कह गए है की हर कदम फूँक-फूँक कर रखना चाहिए, पर राम तो अपनी बेटी के विवाह के समय अपने मित्र पर अंधा विश्वास कर गया। बेटी का विवाह हो गया, पर कुछ समय पश्चात ही परिवार की संकीर्ण सोच उमा पर हावी होने लग गई। उमा सदैव ही माता-पिता के प्रति समर्पित लड़की थी। तलाक जैसे शब्द तो उसके शब्दकोष में थे ही नहीं। उमा उस परिवार में स्वयं को असहाय महसूस करने लगी, पिता के प्यार के कारण वापस घर आना भी उसे स्वीकार नहीं था। अतः अंतिम निर्णय उसने स्वयं को समाप्त करना चुना।

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माँ

बहुत ही पुरानी बात हैं,जब गावों में बिजली नहीं होती थी,मकान कच्चे होते थे,रसोई में चूल्हे पर खाना बनता था और सुख सुविधा के नाम पर एक चार पाई बिछी रहती थी। साल में एक ही बार दर्जी घर में आके पूरे साल के कपड़े सील जाता था।
ऐसी सादगी की जिंदगी हुआ करती थी। उन्ही दिनों की बात हैं,एक गांव में मास्टरजी अपने छ: बच्चे और बीमार पत्नी के साथ रहते थे। एक कमरा, रसोई घर और बड़ा सा औंसारा ये था उनका कच्चा सा घर। पढ़ाने जाने से पहले खाना बना के जाते थे और घर के बाकि के काम वह बच्चों की मदद से कर लिया करते थे। वैसे बहुत मुश्किल था ऐसी गृहस्थी निभाना पर निभ रही थी जैसे तैसे।

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