Friday, April 26, 2024
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Daily Archives: 10th March 2018

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर किया महिलाओं का सम्मान

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शुक्रवार को लाजपत भवन में महिला दिवस शक्ति स्वरूपा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। रजत श्री फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रुप में महापौर प्रमिला पांडेय ने किया। अरमान ग्रुप द्वारा गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अनुष्का सेंगर ने दुर्गा स्तुति की प्रस्तुत करी कुछ समय के बाद 11 महिलाओं का सम्मान शॉल, शील्ड और मोमेंटो देकर सम्मानित किया और सभी को बधाईयां दी। समाजसेवा से जुड़ी 12 विशिष्ट महिलाओं का सम्मान रजत श्री फाउंडेशन संस्था के अध्यक्ष अरविंद सिंह और महामंत्री दीप्ती सिंह द्वारा किया गया। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ उत्साहवर्धन के लिए 11 बेटियां भी सम्मानित हुई। इस अवसर पर महामंत्री दीप्ती सिंह, विनोद सिंह, अनीता सिंह, नेहा जायसवाल, करिश्मा सिंह, ख्वाईश सेंगर आदि लोग मौजूद रहीं।

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विरोध की कमजोर नींव पर खड़ी विपक्षी एकता

देश के वर्तमान राजनैतिक पटल पर लगातार तेजी से बदलते घटनाक्रमों के अनर्तगत ताजा घटना आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर वित्तमंत्री अरुण जेटली के बयान को आधार बनाकर तेलुगु देशम पार्टी के दो केंद्रीय मंत्रियों का एनडीए सरकार से उनका इस्तीफा है। एक आर्थिक मामले को किस प्रकार राजनैतिक रंग देकर फायदा उठाया जा सकता है यह चन्द्रबाबू नायडू ने अपने इस कदम से इसका एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। क्योंकि जब केन्द्र सरकार आन्ध्रप्रदेश को विशेष पैकेज के तहत हर संभव मदद और धनराशि दे रही थी तो ष्विशेष राज्यष् के दर्जे की जिद राजनैतिक स्वार्थ के अतिरिक्त कुछ और क्या हो सकती है।
कहना गलत नहीं होगा कि पूर्वोत्तर की जीत के साथ देश के 21 राज्यों में फैलते जा रहे भगवा रंग की चकाचैंध के आगे बाकी सभी रंगों की फीकी पड़ती चमक से देश के लगभग सभी राजनैतिक दलों को अपने वजूद पर संकट के बादल मंडराते नजर आने लगे हैं। मोदी नाम की तूफानी बारिश ने जहाँ एक तरफ पतझड़ में भी केसरिया की बहार खिला दी वहीं दूसरी तरफ काँग्रेस जैसे बरगद की जड़ें भी हिला दीं।
आज की स्थिति यह है कि जहाँ तमाम क्षेत्रीय पार्टियां अपने आस्तित्व को बनाए रखने के लिए एक दूसरे में सहारा ढूंढ रही हैं तो कांग्रेस जैसा राष्ट्रीय राजनैतिक दल भी इसी का जवाब ढूंढने की जद्दोजहद में लगा है।
जो उम्मीद की किरण उसे और समूचे विपक्ष को मध्यप्रदेश और राजस्थान के उपचुनावों के परिणामों में दिखाई दी थी वो पूर्वोत्तर के नतीजों की आँधी में कब की बुझ गई।
यही कारण है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्दशेखर राव ने हाल ही में कहा कि देश में एक गैर भाजपा और गैर कँग्रेस मोर्चे की जरूरत है और उनके इस बयान को तुरंत ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ओवैसी जैसे नेताओं का समर्थन मिला गया। शिवसेना पहले ही भाजपा से अलग होने का एलान कर चुकी है।
इससे पहले, इसी साल के आरंभ में शरद पवार भी तीसरे मोर्चे के गठन की ऐसी ही एक नाकाम कोशिश कर चुके हैं। उधर मायावती ने भी उत्तर प्रदेश के दोनों उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा करके अपनी राजनैतिक असुरक्षा की भावना से उपजी बेचैनी जाहिर कर दी है।
राज्य दर राज्य भाजपा की जीत से हताश विपक्ष साम दाम दंड भेद से उसके विजय रथ को रोकने की रणनीति पर कार्य करने के लिए विवश है।
लेकिन कटु सत्य यह है कि दुर्भाग्य से भाजपा का मुकाबला करने के लिए इन सभी गैर भाजपा राजनैतिक दलों की एकमात्र ताकत इनका वो वोटबैंक है जो इनकी उन नीतियों के कारण बना जो आज तक इनके द्वारा केवल अपने राजनैतिक हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाती रही हैं न कि राष्ट्र हित को।
हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं है कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक वाली ये सभी पार्टियां यदि मिल जाएं तो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। लेकिन एक सत्य यह भी कि जाति आधारित राजनैतिक जमीन पर खड़े होकर अपने वोट बैंक को राजनैतिक सत्ता में परिवर्तित करने के लिए, जनता को अपनी ओर आकर्षित करना पड़ता है जिसके लिए इनके पास देश के विकास का कोई ठोस प्रोपोजल या आकर्षण नहीं है।

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सरकार के नकारेपन पर खुश हो बोली बेटी मदद नही तो मौत ही सही

कानपुरः अर्पण कश्यप। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इच्छा म्रत्यु को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने सभी को सम्मान से मरने का अधिकार दिया है। ये खबर सुन जहॉ लोग सकते में है वही कानपुर की रहने वाली अनामिका मिश्रा मस्कुलर डिसट्रॉफी से पीड़ित मां-बेटी खुश हुयी उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। उन्होने रोते हुये कहा कि – घुट-घुटकर मरने से अच्छा है एक बार ही मर ले जिसके लिये प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को खून से प्रार्थना पत्र भी लिख चुकी है।
मामला – कानपुर शहर के शंकराचार्य नगर की रहने वाली शशि मिश्र के पति की 15 साल पहले मौत हो चुकी है। शशि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी से पीड़ित हैं।
इस वजह से चलने-फिरने में असमर्थ हैं और बीते 27 साल से बेड पर हैं। 6 साल पहले इकलौती बेटी अनामिका (33) भी इसी बीमारी की चपेट में आकर लाचार हो गई। शशि के मुताबिक, बेटी के इलाज में घर में रखी जमापूंजी खत्म हो गई। रिश्तेदारों ने मदद तो की लेकिन बाद में उन्होनें भी किनारा कर लिया।
– अब स्थिति यह है कि बिस्तर से उठना भी मुश्किल हो गया है। मां-बेटी मोहल्ले के लोगों के रहमो-करम पर जीने को मजबूर हैं।
अनामिका ने बी कॉम किया हुआ है। उन्होंने बताया-मेरे पिता एक बिजनेसमैन थे। मां की 1985 में अचानक तबियत खराब हुई थी। तब हमें पता चला था कि इनको मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है। जब तक पिता जी थे, उन्होंने मां का इलाज कराया। उनकी मौत के बाद घर की जमा पूंजी, जमीन बेचकर हम इलाज कराते रहे।

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