कानपुर नगर, जन सामना संवाददाता। 2 जुलाई की रात हुये बिकरू हत्या कांड के दौरान पुलिस से लूटे गये हथियारों की बरामदगी के लिये मुनादी तक कराई गई। फिर भी पुलिस के हाथ खाली रहे। टीमे लगा कर आरोपियों व लूटे गये हथियारों की बरामदी के लिये भरसक प्रयास कर रही थी। इसी क्रम में 50 हजार का इनामी शशिकांत पुलिस के गिरफ्त में आया। जो की बिकरू कांड में उस रात घटना में सम्मलित था। जिसकी निशानदेही पर विकास दुबे के घर से एके 47 व 17 कारतूस बरामद हुये। वही शशिकांत के घर से भी लूटी गयी इंसास राइफल बरामद की गयी है।
एडीजी लाॅ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने आज प्रेसवार्ता के दौरान किया खुलासा।
ये क्या! दरोगा हप्पू सिंह हुये ब्लैकमेल!
खुद उन्हें भी नहीं पता कि आखिर ब्लैकमेल करने वाला है कौन
डैशिंग दरोगा हप्पू सिंह (योगेश त्रिपाठी) ने अपनी दमदार पर्सनैलिटी से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हालांकि, एण्ड टीवी के हप्पू की उलटन पलटन के बिल्कुल नये एपिसोड्स में हप्पू एक ब्लैमेलर के जाल में फंसता नजर आयेगा, जो उसकी जान लेना चाहता है। हप्पू को पहले एक रहस्यमयी मेडल मिलता है और उसके बाद उसे जान से मारने की धमकी मिलती है। शो के आगामी एपिसोड्स में दर्शकों को एक-के-बाद-एक कई रोमांचक घटनायें देखने को मिलेंगी। हालांकि, इसके पीछे की सच्चाई दर्शकों को चैंका देगी। यह मेडल किसलिये है और हप्पू को ब्लैकमेल क्यों किया जा रहा है? जानने के लिये आगे पढ़ें!
अमेरिका में रोक से परेशान हुए दुनिया भर के छात्र
क्या भारत को अब विदेशी शिक्षा के आकर्षण को थामने के नए अवसर प्राप्त होंगे? -डॉo सत्यवान सौरभ
हाल ही में कोविड-19 के चलते दुनिया भर के अलग-अलग देशों ने अपने शिक्षण संस्थानों में जो दूसरे देशों से आने वाले छात्रों हैं उनके लिए नियमों में बदलाव किया है, जिस से पूरे विश्व के छात्र तनाव में आ गए है जहाँ एक ओर अमेरिका जैसे देश में अब सिर्फ कुछ ही छात्रों को वीज़ा देने की बात कही जा रही है जिसके अंतर्गत वहां जो ऑनलाइन कोर्सेज मौजूद है, उनके लिए स्टूडेंट वीज़ा नहीं मिलेगा।
वही दूसरी ओर ब्रिटन जैसे देशों ने ये साफ कर दिया है कि वहां पर स्नातक और पीजी कोर्सेज के लिए अगर आप पीएचडी कर रहे है तो वहां पर आपको केवल 2 वर्ष रहने का वीज़ा ही मिल सकता है। और ऐसे ही अलग-अलग देशों में हो रहा है चाहे यूरोप के दूसरे देश हो या फिर चीन, वहां पर कोविड के चलते छात्रों के पढ़ाई पर भी असर पड़ा है. नियमों का यह बदलाव भारतीय छात्रों पर क्या असर डालेगा, क्या कोविड के इस दौर में भी विदेशी शिक्षा का उत्साह बरकरार रहेगा, और क्या इस वक्त बेहतर विकल्प छात्रों के सामने हैं और इनकी आगाम शिक्षा का क्या होगा आदि फिलहाल संशय कि स्थिति पैदा कर रहें है।
कोख का एहसान…
कर गई पैदा तुझे, उस कोख का एहसान है।
सैनिको के रक्त से, आबाद हिन्दुस्तान है।
हर मोह को उसने है त्यागा, तभी तो सरहद पर आज वीर जवान है।
ममता के मोह को दबाकर, चूम लिया मस्तक तेराय
कहती है माँ तो हूँ मैं पर बाद में, बेटा पहले वतन तुम्हारा।
झुक गया है देश उसके, दूध के सम्मान मेय
पुत्र मोह त्याग कर जिसने, हमें वीर दिया।
चाहती हूँ आसुओ से, पाव उसकी पखार दूं
ए शहीद की माँ, आ मैं तेरी आरती उतार लू ।
कर गईं पैदा तूझे, उस कोख का एहसान है
सैनिकों के रक्त से, आबाद हिन्दुस्तान है।
-श्वेता सिंह
ग्राम-मेदनीपूर
गाजीपुर
पूरी पढ़ाई अभिभावक करवाए और फीस वसूले स्कूल
तरह-तरह की तिकड़मबाजी से अभिभावकों को लूट रहें प्राइवेट स्कूल -प्रियंका सौरभ
देश भर में ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर दिनों दिन निजी स्कूलों में फीस वसूली का खेल धड़ल्ले से जारी है। यही नहीं वो इन सबके के लिए खुलेआम अपनी आवाज़ बुलंद कर रहें है, इसी बीच इस बात को लेकर स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के बीच तनातनी के बहुत से मामले सामने आये है। फीस वसूलने के लिए निजी स्कूल अभिभावकों को लगातार मैसेज और फोन कर रहे हैं। यही नहीं फीस जमा करने के लिए अभिभावकों को छूट का ऑफर भी दिया जा रहा है। कई स्कूलों में तो अप्रैल महीने का भी फीस भी उगाही जा रही है, जबकि अप्रैल महीने में न तो ऑनलाइन क्लासेस लगी और न ही स्कूल खुले थे।
देश भर के प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन कक्षाओं के नाम पर अभिभावकों से अप्रैल, मई और जून की बढ़ी हुई फीस वसूली कर रहे हैं। साथ ही स्कूली शिक्षकों को वेतन न देना पड़े, इसके लिए तरह-तरह की तिकड़मबाजी भी कर रहे हैं। इन सब समस्याओं को लेकर राज्यों के शिक्षा विभाग भी अनजान नहीं हैं, लेकिन वो कर कुछ नहीं पा रहे या फिर करना करना नहीं चाहते है। क्या ये शिक्षा का बाजीकरण कर माफिया तरह की हरकत नहीं है। तभी तो उलटा हो गया है क्योंकि होमवर्क ही नहीं, क्लासवर्क भी पेरेंट को करवाना पड़ रहा है। ऑनलाइन क्लास में टीचर्स इतने छोटे बच्चे को पढ़ाने में सक्षम नहीं है और वह बच्चे की बजाय बच्चे के पेरेंट्स को ही कहते हैं कि इसे एल्फाबेट और नंबर लिखना सिखाएं।
मर गयी इंसानियत कोरोना से लड़े या इंसान से
ठीक होकर घर आये कोरोना पॉजिटिव को मोहल्ले के लोग कर रहे प्रताड़ित
कानपुर नगर, अर्पण कश्यप। अभी एक महीने पहले नौबस्ता थाना क्षेत्र के खाड़ेपुर में शराब ठेके के पास शिव मंगलम गेस्ट हाउस के बगल वाली गली में एक बुजुर्ग की पत्नी की कैंसर से मौत हो गयी थी। जिनकी पीएम रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव निकला। उसके बाद बुजुर्ग की भी कोरोना पॉजिटिव हो गए जिन्हे कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराया गया। जो की हैलट में 14 दिन क्वारंटाइन होने के बाद इलाज कराकर स्वस्थ होकर वापस अपने घर आ गये। उसके बाद भी लगभग 14 दिन खुद को घर में बंद रखा था। रविवार को नौबस्ता पुलिस से बात करने के बाद उन्होंने अपने घर में स्थित दुकान खोली तो पूरा मोहल्ला उन्हे कमेंट पास कर चिढाता हैं। साथ ही मोहल्ले का नाम बदल कर कोरोना मोहल्ला बोल कर कमेंट पास करते है। मोहल्ले वाले बात बात पर कोरोना मरीज कहकर प्रताड़ित कर रहे हैं। पूरे मोहल्ले ने उस अकेले रह रहे बुजुर्ग से मोहल्ले के लोगों ने सभी प्रकार का व्यवहार खत्म कर दिया हैं। उसे मानसिक प्रताड़ना दे रहे है ऐसे में बुजुर्ग घुट-घुट के मरने के लिए मजबूर है। जिसके लिये बुजुर्ग ने अपने घर के दरवाजे पर एक पोस्टर टाॅग दिया है। जिसमे सरकार व प्रशासन से जवाब मांगा है कि या तो हमारे मोहल्ले का नाम बदल कर कोरोना मोहल्ला कर दे या इच्छा मृत्यु दे दे यो इस समास्या से निजात दिला दें।
ढाई सौ साल पुराने कछुए की मौत पर श्रद्धालुओं ने किया प्रदर्शन
कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार जहां एक तरफ धार्मिक स्थलों धार्मिक तालाबों के सुंदरीकरण पर जोर दे रही है। तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लापरवाह ठेकेदार योगी सरकार की कोशिशों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। कुछ यही हाल पनकी में देखने को मिला। पनकी मंदिर के बगल में स्थित कछुआ तालाब में इसका सुंदरीकरण चल रहा है कुछ दिन पहले ठेकेदार दिलीप बाजपेई की लापरवाही से तमाम मछलियां मर गई थी आज उसी लापरवाही का नतीजा निकला कि ढाई सौ साल पुराना एक कछुआ मर गया और बड़ा ही गंभीर विषय है। कि ठेकेदार को कुछ भी नहीं कहा जा रहा है ना किया जा रहा है। तालाब का पानी काटकर उसने पूरा तालाब बिल्कुल दलदल बना दिया है। जिससे सारे जीवो का जीवन संकट में है। कछुआ तालाब के प्रबंधक डीडी पाठक से क्षेत्रीय लोगों ने शिकायत करने की बात कही। वही ढाई सौ साल पुराना कछुआ मर जाने पर लोगों में आक्रोश व्याप्त है और क्षेत्रीय लोगों और श्रद्धालुओं ने मिलकर प्रदर्शन किया और ठेकेदार दिलीप बाजपेई के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई। मुख्य रूप से उपस्थित संजय पाठक एडवोकेट, चंद्र मोहन मिश्रा एडवोकेट, पनकी मंदिर के महंत जितेंद्र आदि लोग उपस्थित रहे।
Read More »भारतीय प्रतिभाओं के बिना भारत आगे नहीं जा सकता
किसी भी देश की शक्ति होते हैं उसके नागरिक और अगर वो युवा हों तो कहने ही क्या। भारत एक ऐसा ही युवा देश है। हाल ही में भारतीय जनसंख्या आयोग के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से तैयार किए गए सैंपल रेजिस्ट्रेशन सिस्टम 2018 की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में 25 वर्ष से कम आयु वाली आबादी 46.9% है। इसमें 25 वर्ष की आयु से कम पुरूष आबादी 47.4% और महिला आबादी 46.3%। यह आंकड़े किसी भी देश को प्रोत्साहित करने के लिए काफी हैं। भारत जैसे देश के लिए भी यह आंकड़े अनेकों अवसर और आशा की किरणें जगाने वाले हैं लेकिन सिर्फ आंकड़ो से ही उम्मीदें पूरी नहीं होती, उम्मीदों को अवसरों में बदलना पड़ता है।
इसे हम भारत का दुर्भाग्य कहें या फिर गलत नीतियों का असर कि हम एक देश के नाते अपने इन अवसरों का उपयोग नहीं कर पाते और उन्हें उम्मीद बनने से पहले ही बहुत आसानी से इन उम्मीदों को दूसरे देशों के हाथों में फिसलने देते हैं। हमारे प्रतिभावान और योग्य युवा जो इस देश की ताकत हैं जिनमें इस देश की उम्मीदों को अवसरों में बदलने की क्षमता है वो अवसरों की तलाश में विदेश चले जाते हैं।
हृदय और बुद्धि की जंग से जन्मा यह प्राकृतिक असंतुलन
इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में अगर किसी ग्रह पर जीवन है तो वह हमारी पृथ्वी है जिसकी अद्भुत व अद्वितीय रचना का श्रेय प्रकृति को जाता है। प्रकृति ने हमारी पृथ्वी को सम्पूर्ण संसाधनों की समस्त समृद्धि से इस प्रकार सजाया है कि पृथ्वी की सजीवता सदैव सुदृढ़ बनी रहे। प्रकृति ने पृथ्वी के समस्त जीवों को समान अधिकार प्रदान कर रखा है वह किसी भी जीव के साथ भेद-भाव नहीं करती। उसी जीव-जगत का एक अभिन्न व अनोखा अंग मानव है जो सम्पूर्ण जीव-जगत में अपनी बुद्धि के द्वारा इस जीव-जगत की श्रेष्ठ पात्रता को हासिल किया है।
मानव को श्रेष्ठ मानव का दर्जा उसके विकल्प चयन ने दिया। कहा जाता है कि मानव विकल्पों में ही जीता है वह विकल्पों का प्रतिनिधित्व भी करता है यही कारण है कि मानव हृदय का साधक बनने के बजाय बुद्धि के स्वामित्व की लालसा में बुद्धि का दास बन गया। बुद्धि और हृदय की इस जंग में बुद्धि ने काफी हद तक अपना लोहा मनवाया परंतु इस जंग में हृदय के घातक वार ने बुद्धि को सदा लहूलुहान किया।
अपराध जगत में राजनीति और नौकरशाही की संलिप्तता -एक चुनौती
आज अपराध जगत और अपराधी इतने बेखौफ क्यो है? बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है हमारी प्रशासनिक व्यवस्था पर, हमारी कानूनी व्यवस्था पर और हमारी सरकार पर। क्या अपराधियों के हाथ इतने लंबे हैं कि क़ानून की पकड़ से बाहर है, शासन प्रशासन मूक दर्शक मात्र है, सरकार भी मौन की मुद्रा में रहे। अवश्य ही बड़े बड़े भ्रष्ट व आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राजनेताओं, प्रशासन के कुछ भ्रष्ट कर्मियों, पाले गए भ्रष्ट मुखबिरों व समाज के कुछ स्वार्थी भ्रष्ट दरबारी प्रवृति के चापलूस तत्वों की सरपरस्ती में अपराध जगत फलता फूलता है। अपराधी कानून व शासन के समानांतर अपनी आपराधिक गतिविधियों को लगातार अंजाम देते रहते हैं और कानून के शिकंजे से बाहर भी आते रहते हैं।
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