Friday, November 29, 2024
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चीनी उत्पाद का बहिष्कार आसान नहीं…

इन दिनों चीनी सामानों का बहिष्कार का मसला बहुत तूल पकड़ रहा है। सीमा पर भी तनावपूर्ण माहौल है। हमें चीनी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बिल्कुल नहीं करना चाहिए, सही है बिल्कुल। लेकिन अगर आप ध्यान दें तो हमारे देश में चीनी उत्पाद ने बहुत गहरी पैठ बनाई हुई है। छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़ी से बड़ी चीज तक में चीनी बाजार फैला हुआ है।
जिस तरह जनता से अपील की गई चीनी सामानों के बहिष्कार के लिए उसी तरह देश की सरकार से भी अपील होनी चाहिए कि चीनी सामानों का आयात बंद करें। चीनी व्यापारियों से जो समझौते हुए हैं वो रद्द करे। चीनी उत्पाद पर बैन लगाये। जब चीनी वस्तुएं उपलब्ध ही नहीं होंगी तो जनता स्वयं ही देशभक्ति की ओर अग्रसर हो जायेगी। स्वदेशी अपनाओ का नारा बहुत सही है तो स्वदेशी चीजों को प्रोत्साहन देकर विदेशी वस्तुओं के आयात पर रोक लगायें।

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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों को दी गई श्रद्धांजलि

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश कानपुर इकाई की बैठक अध्यक्ष विजय कुमार निगम एवं प्रांतीय महामंत्री सुरेंद्र पाल सिंह पटेल के नेतृत्व में की गई। बैठक में सर्वप्रथम कानपुर नगर में आधी रात पुलिस मुठभेड़ में शहीद पुलिसकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान राज्य कर्मचारी सयुक्त परिषद के कर्मचारियों ने 2 मिनट का मौन रखा। अध्यक्ष विजय कुमार निगम एवं प्रांतीय महामंत्री सुरेंद्र पाल सिंह पटेल ने संयुक्त संबोधन में कहा कि राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले समस्त भत्तों को उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा रोका गया है। जो तत्काल बहाल किया जाए तथा प्राथमिकता के आधार पर महंगाई भत्ता लागू किया जाए बैठक में शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी तथा संबंधित पत्नियों को ओएसडी दर्जा दिलाया जाए। बैठक में मुख्य रूप से विनोद कनौजिया, निखिल शर्मा, पवन निगम, वैभव चतुर्वेदी, अब्दुल वाहिद, संजय अग्रवाल, विकास सक्सेना, सुनीता द्विवेदी, रत्नेश त्रिपाठी, लल्लन, वीरेंद्र कुमार, न्यूटन सक्सेना, खर कुमार, राम ब्रिज रावत, संजय वर्मा, शिवम पटेल, अंकित शर्मा, पौरूष सोनकर मौजूद रहे।

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कानपुर प्रेस क्लब ने शहीद पुलिस जवानो को कैंडेल जलाकर श्रद्धांजलि दी

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। कानपुर प्रेस क्लब द्वारा आज शहीद पुलिस जवानो को कैंडेल जलाकर श्रद्धांजलि दी गई। वही प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद इरफान ने अपने सम्बोधन में कहा कि अपराधी विकास दुबे और उनके साथियों को गिरफ्तार करने की मांग उठाई। अपराधियों के पास अत्याधुनिक हथियार कहां से आए इसकी जांच होनी चाहिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुये अपनी जान को निछावर करने वाले शहीद पुलिसकर्मियों को पत्रकारों ने कानपुर प्रेस क्लब में दी। शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कानपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारी व पत्रकार बंधु और परेड एकता चौकी प्रभारी राजकुमार सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की वही 2 मिनट का मौन रखकर सभी ने शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस मौके पर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष सुनील साहू, कार्यकरणी सदस्य चन्दन जायसवाल, अमन तिवारी, पत्रकार के के साहू, रमन गुप्ता, बबलू जायसवाल, रवि गुप्ता, आमिर सोलंकी, फुरखान खान, अंकित सिंह, शशांक शुक्ला, शुभम शुक्ला, प्रवीण गुप्ता, राहुल बाजपेयी आदि पत्रकार मौजूद रहे।

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सन् 2020, बीस शहादत, बीस दिन, बीस बड़े झटके : चीन चारों खाने चित्त

चीन की एक बड़ी गलती उसे अभी और कितनी महंगी पड़ने वाली है, यह चीन सपने में भी नहीं सोच सकता। १९६२ के उस सीधे-सादे, शांति प्रिय भारत को दिमाग में रख चीन जो हिमाकत की, उसे २०२० का भारत जो सीधा भी है, शांति प्रिय भी मगर उसकी शांति में खलल डालने वालों को वह छोड़ता भी नहीं। शायद उसे यह मालूम न था कि यह २०२० का भारत आज विश्व पटल पर एक चमकता सितारा है, उसके साथ चालबाजियां उसे बर्दाश्त नहीं। यह चाणक्य का देश है, जिन्होंने पूरे विश्व को राजनीति व कूटनीति के गुर सीखाए हैं, उसी से कूटनीति कर बहुत बड़ी गलती कर दी खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा। बीस दिन पहले चीन की अवैधानिक प्रतिक्रिया के खिलाफ भारतीय सेना के विरोधी कार्यवाही में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद हमारे बीस जवानों की शहादत पर पूरा देश चीन का खात्मा चाहता है। दोनों देशों के बीच तब से अभी तक तनाव जारी है। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारत हर तरह से, चीन के खिलाफ हर मोर्चे पर पुख्ता तैयारी कर रहा है, फिर चाहे वो आर्थिक हो, सामरिक हो या फिर कूटनीतिक, सबमें चीन पर भारी पड़ता जा रहा है। ऐसे में पूरे चीनी खेमे में भारत से उलझने की गलती के कारण यह डर व्याप्त हो चुका है कि अगली सुबह भारत की प्रतिक्रिया कैसी रहेगी या यों कहें कि जबसे यह हिंसक झड़प हुई है, तब से हर दिन चीन के ऊपर किसी न किसी प्रकार का हमला भारत के द्वारा जारी है।

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फर्जी शिक्षकों की धरपकड़ के लिए परिषदीय शिक्षकों से मांगा गया 32 बिंदुओं पर जवाब

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के मामले में रोज नये-नये प्रकरण सामने आते जा रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों में फर्जी शिक्षकों की भरमार है। सरकार भी इस मामले पर गम्भीर हो गई है। सरकार ने सिर्फ बेसिक, माध्यमिक ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षण संस्थानों के फर्जी शिक्षकों की धरपकड़ शुरू कर दी है। पूर्व की सरकारों में बेसिक शिक्षा विभाग में सबसे अधिक फर्जी शिक्षक नियुक्त किये गये हैं। इसे देखते हुये सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत वर्ष 2010 से अब तक की सभी शिक्षक भर्तियों की जांच नये सिरे से शुरू कर दी है इसके लिए विभिन्न जांच समितियों का गठन किया गया है। समिति में अब बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी शामिल किया गया है। जांच के दायरे में आये शिक्षक-शिक्षिकाओं को एक 3 पेज का फॉर्म भरना होगा जिसमें 32 बिंदुओं पर जानकारी दर्ज करनी होगी। फॉर्म जमा होने के बाद जांच कमेटी सभी दस्तावेजों का सत्यापन करेगी।

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योगी सरकार में अपराधियों का बोलबाला -यशवंत सिंह यादव

भदोही, जन सामना ब्यूरो। ज्ञानपुर भदोही समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिंह यादव ने अपने एक अनौपचारिक बातचीत में कानपुर मे पुलिस पर अपराधियों के तरफ से किये गये अंधाधुंध फायरिंग से आठ उच्च सिपाहियों के शहीदों पर चिंता जताते हुए कहा की पूरे प्रदेश मे अपराध हत्या बलात्कार की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया की भाजपा की योगी सरकार अपराधियों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल है। इस सरकार में अपराधियों के हौसले बुलंद है कहा कि इस गोलीकांड की घटना ने योगी सरकार के हकीकत को उजागर कर के रख दिया है। उन्होंने आरोप लगाया की योगी सरकार में पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं। यह सब केंद्र की मोदी सरकार एंव प्रदेश की योगी सरकार के नाकामी का नतीजा हैं। जो हमारे जवान, पुलिसकर्मी देश के सीमा पर या फिर प्रदेश मे अपराधियों के हाथों शहीद हो रहे है कहा की योगी राज में बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हैं की ना तो उन्हें योगी सरकार से भय है ना ही प्रदेश के पुलिस और प्रशासन का डर भय हैं ! श्री यादव ने आरोप लगाया की प्रदेश भर मे  गुंडे माफियाओं का ही बोलबाला है ऐसा प्रतिक होता है की अपराधियों को भाजपा सरकार के ही लोग संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। वही युवा सपा नेता इंजीनियर अजीत यादव ने भी उत्तर प्रदेश में बढते अपराध पर चिंता जताते हुए कहा की जल्द ही अपराधियों पर योगी सरकार अंकुश नहीं लगाती है तो यही अपराधी बेलगाम होकर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देना शुरु कर देते है और सबकुछ जानते हुए भी योगी सरकार कुंभकर्णी निंद सो रही है। यही कारण है की अब प्रदेश की जनता भाजपा सरकार से उब गई है और आनेवाले समय मे भाजपा सरकार को हटाकर ही दम लेगी।

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विकास दुबे को सोशल मीडिया पर बनाया जा रहा हीरो

कानपुर नगर, अर्पण कश्यप। कुख्यात बदमाश विकास दुबे और उसके साथियों से मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के बाद जहां प्रदेशभर में लोग शोकाकुल हैं वहीं, काकादेव के कोचिंग संचालक किलकिल ने सोशल मीडिया पर विकास दुबे को शेर बताकर एक पोस्ट लिखी, जिसमें लिखा कि ब्राहमण होतो विकास दुबे जैसा शेर, दुर्बल जनता को नहीं बल्कि पुलिस को मारा है। सेल्यूट यू विकास दुबे जी। सोशल मीडिया पर ये पोस्ट वायरल होते ही काकादेव पुलिस ने किलकिल पर आईटी एक्ट सहित धारा में रिपोर्ट दर्ज की गई।
महिला पर भी दर्ज हुई रिपोर्ट
किलकिल ही नहीं एक महिला पर भी सोशल मीडिया पर विकास दुबे को ब्राहृमण बताकर भ्रामक पोस्ट करने पर फजलगंज पुलिस ने साइबर सेल की मदद से मुकदमा दर्ज किया।

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अधिकारी व कर्मचारी कार्य के प्रति रहे संवेदनशील, लापरवाही पर होगी कार्यवाही: नोडल अधिकारी

शासन के आदेशों का हर हाल में किया जाये पालन: अनुराग पटेल
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद के कोविड-19 नोडल अधिकारी आईएएस अनुराग पटेल ने रसूलाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, एम्बुलेंस 102, 108 चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टॉफ की उपस्थिति, पुरुष व महिला वार्ड के शौचालय, कोविड हेल्प डेस्क-नगर पंचायत कार्यालय, ब्लॉक कार्यालय, तहसील व थाना रसूलाबाद का निरीक्षण किया तथा 2 निगरानी समिति नगर पंचायत रसूलाबाद के अध्यक्ष व सदस्यों से बातचीत भी की।
नोडल अधिकारी ने रसूलाबाद तहसील क्षेत्र का निरीक्षण किया गया इस दौरान उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रसूलाबाद का निरीक्षण के दौरान जहां वार्ड के शौचालयों में गंदगी मिली वही डॉक्टरों अनुपस्थित मिले पर कडी नाराजगी जाहिर की। वहीं एंबुलेंस का निरीक्षण करते हुए एम्बुलेंस संचालक को निर्देश दिये कि एम्बुलेंस में सभी उपकरण उपलब्ध रहे तथा साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाये।

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पद्म पुरस्कार-2021 के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 15 सितंबर, 2020

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। गणतंत्र दिवस, 2021 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन नामांकन/सिफारिश की अंतिम तिथि 15 सितंबर, 2020 है। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की शुरुआत 1 मई, 2020 से हो चुकी हैं। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/सिफारिशें केवल पद्म पुरस्कार https://padmaawards.gov.in/ पोर्टल पर ऑनलाइन माध्यम से ही प्राप्त की जाएंगी।
पद्म पुरस्कारों में पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में शामिल हैं। 1954 में स्थापित किए गए इन पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। यह पुरस्कार ‘काम में विशिष्टता’ की पहचान करने का प्रयास करता है और कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामलों, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है। इन पुरस्कारों के लिए लिये व्यवसाय, स्थिति या लिंग आदि बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्ति पात्र हैं। सरकारी कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, डॉक्टर और वैज्ञानिक इन पद्म पुरस्कारों के लिए पात्र नहीं हैं।

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निजी स्कूल संचालकों और शिक्षा माफियाओं के दबाव से हटकर ले स्कूल खोलने का फैसला

कोरोना संकट के बीच में शिक्षा मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि राज्य सरकार चाहे तो जुलाई से स्कूलों को खोल सकती है। इसी बीच करीब 5 से ज्यादा राज्य सरकारों ने जुलाई से स्कूलों को खोलने के आदेश भी जारी कर दिए हैं मगर प्रश्न और चिंता की बात ये है कि क्या स्वास्थ्य मानकों को पूरा करते हुए स्कूल प्रबंधन स्कूल खोलने को तैयार है और पूरे देश भर में क्या जुलाई से खुलने वाले स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को भेजने को तैयार भी है या फिर वो इस वक्त अपने बच्चों के भविष्य और जान को लेकर असमंजस कि स्थिति में है.स्कूल खुले तो कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अभी लगातार कोरोना पॉजिटिव केस बढ़ रहे हैं। ऐसे बिगड़े हालात में अगर स्कूल खुले और बच्चों को विद्यालय भेजा गया तो संक्रमण फैलाव पर काबू पाना और भी मुश्किल हो जाएगा। अधिकांश सरकारी और निजी विद्यालयों के अंदर प्रत्येक बच्चे के लिए अलग से शौचालयों का प्रबंध कर पाना मुश्किल है और सामुदायिक दूरी के नियमों का अनुपालन भी संभव नहीं है।

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