पूरब शरीरा प्राथमिक विद्यालय की चहार दीवार गिरने से आवारा पशुओं का रहता है जमावड़ा
कौशाम्बी, विकास सिंह। सरसवां विकास खण्ड के पूरब शरीरा में लाखों रुपये की लागत से बना प्राथमिक विद्यालय प्रथम को लोगों ने शुलभ शौचालय बना दिया है। विद्यालय में बनी चहार दिवारी वर्षों से गिरी पड़ी है जिसे बनाया नहीं जा रहा है। जिससे गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। भाजपा सरकार के एक मंत्री ने विद्यालय की इमारत और चहार दिवारी की आधारशीला रखी था जिसे ठेकेदार ने बनाकर विभाग को सौंप दिया लेकिन कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के कारण गुणवत्ता का खयाल नहीं रखा गया। जिससे चहार दिवारी कुछ दिन बाद गिर गई। चहार दिवारी गिरते ही लोग इसे शुलभ शौचालय में तब्दील कर दिए है। भोर में आस-पास के लोग इस परिसर में शौचकर गंदगी फैला देते है। शिक्षा के इस मंदिर के हाल बद से बद्तर है। इतना ही नहीं इसे आवारा पशु भी अपना ठिकाना बना रखे है। यदि चहार दिवारी न बनाई गई तो इमारत भी सुरक्षित नहीं रहेगी। इस पर शासन और प्रशासन चहार दिवारी बनवाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ में क्या स्वाति का विश्वास देगा देवी पाॅलोमी के दुष्ट इरादों को मात?
शो के हालिया एपिसोड्स में, दर्शकों ने देखा कि देवी पाॅलोमी (सारा खान) की कुटिल चालों के कारण स्वाति (तन्वी डोगरा) को उसकी शादी-शुदा जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। देवी पाॅलोमी ने इंद्रेश (आशीष कादियान) से तलाक के कागजात साइन करवा लिये हैं और इंद्रेश चाहता है कि अब स्वाति भी उन पर साइन कर दे। डाॅ निधि (धरती भट्ट) और पूरा सिंह परिवार इंद्रेश के इस फैसले से बेहद खुश है। अपनी शादी बचाने की स्वाति की सारी कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं, लेकिन उसे अभी विश्वास है कि वह फिर से इंद्रेश का दिल जीत लेगी। इंद्रेश का परिवार स्वाति पर तलाक के कागजों को साइन करने का दबाव बना रहा है और इसलिये सभी ने उससे नाता तोड़ते हुये घर की किसी भी चीज का इस्तेमाल करने पर उस पर पाबंदी लगा दी है। जिसके बाद अपना जीवन यापन करने और इंद्रेश के करीब रहने के लिये स्वाति उससे जरूरी सामान खरीदने के लिये पैसे मांगती है, लेकिन इंद्रेश इनकार कर देता है। इसके विरोध में स्वाति उस घर के अन्न और जल का त्याग कर देती है। देव लोग में देवी पाॅलोमी स्वाति की यह हालत देखकर बेहद खुश हो रही हैं। क्या अपनी शादीशुदा जिंदगी में इंद्रेश को वापस लाने की स्वाति की कोशिशें सफल हो पायेंगी? क्या देवी पाॅलोमी इंद्रेश और स्वाति की शादी तोड़ने में कामयाब होंगी? क्या प्यार, ईष्र्या से जीत पायेगा? इस तनावपूर्ण ड्रामा के बारे में बताते हुये तन्वी डोगरा, जोकि स्वाति का किरदार निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘डाॅ. निधि की एंट्री के साथ, स्वाति और इंद्रेश को उनकी शादीशुदा जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इंद्रेश, स्वाति के बारे में सबकुछ भूल चुका है और उससे छुटकारा पाना चाहता है। इसलिये, उसने तलाक के कागजात साइन कर दिये हैं और अब स्वाति को इन कागजों पर साइन करने के लिये मजबूर कर रहा है। स्वाति को अपनी शादी पर भरोसा है और संतोषी मां पर अटल विश्वास है। अपने इसी विश्वास के साथ स्वाति खुद पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ लड़ने और इंद्रेश को अपनी जिंदगी में वापस लाने के लिये तैयार है।
Read More »जातिवाद का जहर बोते राजनेता
राजनीति में हमेशा खाने और दिखाने के दांत अलग-अलग होते हैं। राजनीतिक पार्टियां अक्सर कहती तो यह हैं कि हम जाति आधारित राजनीति नहीं करते हैं, पर इन राजनीतिक पार्टियों के ज्यादातर निर्णय जाति आधारित राजनीति के आसपास ही होते हैं। मुख्यमंत्री बनाना हो या फिर किसी राज्य का पार्टी अध्यक्ष बनाना हो या फिर विधानसभा चुनाव का टिकट देना हो, या फिर जिला, तहसील या पंचायत सदस्य के उम्मीदवार का चुनाव करना हो, इन तमाम निर्णयों के आसपास जातिगत राजनीति की जबरदस्त पकड़ होती है। जिस विधानसभा क्षेत्र में जिस जाति के वोट अधिक होते है, उस क्षेत्र में उसी जाति का उम्मीदवार उतारा जाता है या फिर जाति का काम्बिनेशन कर के उम्मीदवार पसंद किया जाता है। इस मामले में सारी योग्यताएं धरी की धरी जाती हैं। मात्र जातिगत योग्यता को महत्व दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश में इस समय ब्राह्मण वोटरों को खुश करने के लिए राजनीतिक पार्टियों में होड़ चल रही है। इन दिनों ब्राह्मण शिरोमणि कहे जाने वाले परशुराम की मूर्ति लगवाने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के बीच होड़ लगी है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी के तीन महत्वपूर्ण ब्राह्मण नेताओं अभिषेक मिश्रा, मनोज कुमार पांडेय और माताप्रसाद पांडेय से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद अभिषेक मिश्रा ने घोषणा की कि पार्टी की ओर से लखनऊ में 108 फुट ऊंची भगवान परशुराम की प्रतिमा लगवाई जाएगी। इस घोषणा के कुछ घंटे बाद ही उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कान्फ्रेंस कर के घोषणा की कि अगर बसपा-2022 में सत्ता में आती है तो परशुराम की 108 फुट से भी ऊंची मूर्ति लगवाएगी। इसके अलावा पार्कों एवं अस्पतालों के नाम भी परशुराम के नाम से किए जाएंगे।
बसपा नेता मायावती की इस घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी के नेता भड़क उठे। पूर्व कैबिनेट मंत्री अभिषेक मिश्रा ने तो यहां तक कह दिया कि मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। तब उन्हें परशुरामजी की मूर्ति लगवाने की याद क्यों नहीं आई? सपा सरकार ने परशुराम जयंती पर छुट्टी की घोषणा की थी, जिसे बाद की सरकार ने रद्द कर दिया। समाजवादी पार्टी के एक अन्य नेता पवन पांडेय ने कहा कि तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार का नारा देने वाली बसपा की नेता मायावती को आज ब्राह्मणों की याद आ रही है और ब्राह्मणों के सम्मान की बात कर रही हैं। लेकिन अब परशुरामजी के वंशजों ने मन बना लिया है कि वे कृष्ण के वंशजों के साथ ही रहेंगे।
दूसरी ओर कांग्रेस आरोप लगा रही है कि कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जतिन प्रसाद ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण चेतना संवाद की घोषणा की है। जतिन प्रसाद की इस घोषणा के बाद ही सपा और बसपा को ब्राह्मणों की चिंता सताने लगी है। जतिन प्रसाद का कहना है कि पिछले कुछ समय से ब्राह्मणों पर उत्तर प्रदेश में लगातार अत्याचार हातो रहा है और इन दोनों पार्टियों के नेता चुप बैठे रहे। उनका कहना है कि मूर्ति लगवाने की अपेक्षा जरूरत इस बात की है कि ब्राह्मणों को न्याय दिलाया जाए। इस समय की बीजेपी की सरकार में उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों पर खूब अत्याचार हुआ है। ऐसे में ब्राह्मण समाज का एक होना जरूरी है। कांग्रेस के नेता जतिन प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर परशुराम जयंती पर रद्द की गई छुट्टी को फिर से बहाल करने की मांग की है। कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं जतिन प्रसाद सहित पूर्व सांसद राजेश मिश्रा लगातार ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठा कर पीड़ित ब्राह्मणों से मुलाकात कर रहे हैं। इसी तरह लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद कृष्णम् तथा उत्तर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया पेनलिस्ट अंशु अवस्थी भी ब्राह्मणों के मुद्दे को जोर-शोर से उछालते हुए समाज में घूम-घूम कर सभी से मिल रहे हैं।
विश्वास पर आज भी अंधविश्वास है भारी
आज जबकि तकनीकी का युग है और इस युग में जहां चंद्रमा और सूर्य पर जाने की होड़ मची है और वैज्ञानिकों ने अपनी कार्यक्षमता और बुद्धि विवेक से सूर्य के विक्रम प्रकाश व किरणों तथा चंद्रमा पर प्लाट काटना, चंद्रमा पर व्यक्तियों का पहुंचना इतना सब कुछ अर्जित कर लिया है । लेकिन आज भी इस दुनिया और समाज में एक वर्ग ऐसा है जो इन तकनीकी दुनिया से हटकर और इन पर विश्वास ना करते हुए आज भी अंधविश्वास पर अपने आप को बलि चढ़ा रहा है ।
आज जहां घातक बीमारियों जैसे टीवी, कैंसर और भी कई बीमारियों का इलाज वैज्ञानिक पद्धति से लोग कराते हैं और बड़े-बड़े डॉक्टरों से ऐसी बीमारियों के लिए देश दुनिया के अस्पतालों में रहकर भारी भरकम पैसा खर्चा करते हैं । परंतु आज भी हमारे वर्ग में वैचारिक भ्रांतियाँ उत्पन्न है जो इंसानों की जान जोखिम में डाल रही है । तंत्र , मंत्र की यदि हम बात करें तो यह न केवल समाज के निम्न स्तर और अनपढ़ों की बीच में ही अपनी पैठ बनाए हुए हैं बल्कि यह हमारे समाज के बुद्धिजीवी, पढ़े लिखे और फिल्मी हस्तियों में भी इस पर विश्वास किया जाता है ।
नेता अपने चुनावी हथ कंडो को जीतने के लिए इसका प्रयोग करते हैं । घर में अगर किसी प्रकार की लगातार विपत्तियां आती है तब भी घर के लोग अंधविश्वास की और अपने आप को ढाल लेते हैं क्या आज हमारे समाज में परमात्मा और वैज्ञानिक युग में विश्वास पर अंधविश्वास अपनी जड़ें मजबूत करे हुए हैं । यही कारण है कि यदि किसी गांव, शहर या परिवार में किसी जीव, जंतु, बिशेष कर साँप के द्वारा काटा जाता है तो सबसे पहले ऐसे लोग जड़ी बूटियां झाड़-फूंक पर विश्वास करते हैं और ऐसे लोगों की तलाश की जाती है जो मंत्रों के द्वारा उस जीव जंतु के जहर को उतार सकें । जबकि यथार्थ में ऐसा संभव नहीं है क्योंकि वैज्ञानिक पद्धति में यदि हम बात करते हैं तो हमारे शरीर की रक्त मांसपेशियां , रक्त को हृदय के पंपिंग के द्वारा या तो शरीर में ऊपर या नीचे की ओर नियमित रूप से संचार करती रहती है । जिसके द्वारा हमारे अंगों का नियमित रूप से काम करना, चलाना, तारतम्यता बनी रहती है । यदि हमारे किसी भी अंग में हमारे रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है, तो वह अंग हमारा वैज्ञानिक पद्धति से काम करना बंद कर देता है अर्थात् जिसे हम लकवा या अंग का शून्य हो जाना कहते हैं ।
बवर्दी स्वतंत्रता दिवस को कदमों तले रखा
कौशाम्बी, जन सामना संवाददाता। स्वतंत्रता दिवस के दिन जब पूरा देश स्वतंत्रता का गीत गा रहा था। स्वतंत्रता के लिए बलिदान सेनानियों को याद किया जा रहा था। तब इस स्वतंत्रत भारत में कानून रक्षक ही स्वतंत्रता को जूते तले रखे हुए थे। मामला जेके चैरिटेबल हास्पिटल थाना पश्चिम शरीरा तिराहा का है। जहां स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते समय पुलिस इंस्पेक्टर संजय शर्मा व उनके हमराही उपनिरीक्षक और समाज को आइना दिखाने वाले और वहा मौजूद लोगों ने जमीन पर लिखे स्वतंत्रता दिवस को जूतो के नीचे दबाकर खड़े रहे। और उसी के ऊपर से चलकर इंस्पेक्टर ने झंडारोहण भी किया। इतना ही नहीं इस पोस्ट को सोशल मीडिया फेसबुक में भी पोस्ट करके शेयर किया गया। लेकिन जैसे ही इस गलती पर ध्यान गया तत्काल पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। फिर भी इसी बीच कुछ लोग ने स्क्रीनशाट ले लिया। परिस्थिति को भाप कर कुछ लोग उसी समय पीछे हट गए थे। आखिर स्वतंत्रता दिवस जमीन पर लिखा क्यो गया। और यदि लिखा गया तो उसे सुरक्षित कर देना चाहिए। ताकि कोई पैर न रख सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ स्वतंत्रता दिवस को पैरो तले कुचलने में ही अपनी बहादुरी समझ रहे थे। यदि अधिकारी इस गलती को संज्ञान में ले लिया तो कार्यवाही तय है।
Read More »काली पतंगें और काले गुब्बारे उड़ाकर विरोध करेंगे अभिवावक
कानपुर। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार फीसमाफी आंदोलन में हिदुंत्व वादी सरकार तक अपनी बात पहुचाने के लिए अभिवावकों ने उ0प्र0 अभिवावक विचार मंच व फलक एजूकेशन के तत्वावधान में जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर कहा गया कि मां गंगा के तट पर जितनी गंगा की सफाई की आवश्यकता है उतनी ही शिक्षा के मंदिरों में काबिज शिक्षा माफिया की सफाई की आवश्यकता है। वहीं आज जिलाधिकारी के बुलावे पर पहुंचे आंदोलनकारियों से वार्ता के समय जिला विद्यालय निरीक्षक एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सीबीएसई और आईसीएससी बोर्ड के कान्वेंट विद्यालयों पर कोई भी नियंत्रण न होने की बात कही। इस पर आंदोलनकारियों ने कहा कि फिर वार्ता किससे करें? ऐसे में अच्छा रहता कि मौके पर विद्यालय प्रबंधन होता तो वार्ता सार्थक होती। जिलाधिकारी ने पुनः वार्ता के लिए कहा और वर्तमान परिस्थितियों पर शासनादेश का हवाला दिया। अभिवावकों ने हरियाणा एवं गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि एक ही दल की सरकार अलग-अलग प्रदेशों में और निर्णय अलग-अलग समझ से परे हैं। अभिभावकों ने कहा कि अब विरोध और तेजी से किया जायेगा और काली पतंगें और काले गुब्बारे उड़ाकर विरोध किया जायेगा। इस मौके पर मनीष शर्मा सहित काफी संख्या में अभिभावक मौजूद रहे।
Read More »भारत विकास परिषद ने की निःशुल्क शिक्षा केंद्र की स्थापना
हाथरस। भारत विकास परिषद द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर आगरा मार्ग पर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परिषद के प्रांतीय महासचिव कैलाश वाष्र्णेय व विद्यालय अध्यक्ष रमेशचन्द्र अग्रवाल एवं परिषद के नगर अध्य्क्ष अनिल कुमार वाष्र्णेय ने सयुक्त रूप से ध्वजारोहण किया। इसके साथ ही भारत विकास परिषद ने एक स्थायी प्रकल्प के रूप में निशुल्क शिक्षा केंद्र की स्थापना की। जिसमें गरीब और बस्ती के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। जिसमें प्रारंभ में 30 बच्चों ने अपना नामांकन कराया। जिनको स्कूल बैग, पाठ्य सामग्री व फर्नीचर की सुविधा संस्था द्वारा प्रदान की गयी। जिसके प्रभारी वीरीसिंह आचार्य रहेंगे।
इस अवसर आयोजित उद्घाटन समारोह पर प्रांतीय महासचिव कैलाश वाष्र्णेय ने बताया कि आज हाथरस इकाई ने गरीब बच्चों के निशुल्क शिक्षा केन्द्र की स्थापना कर ईश्वरीय कार्य किया है। परिषद नर सेवा नारायण सेवा के मूल मंत्र पर काम कर रही है।
इस अवसर पर नगर के सर्वश्रेष्ठ 20 विद्यार्थियों में दसवीं और बारहवीं के छात्रों का सम्मान किया गया। साथ ही गुरु वंदन छात्र अभिनंदन के अंतर्गत 5 शिक्षकों का सम्मान किया गया। जिसमें मनोज शर्मा, महेश आचार्य, कुमुद गुप्ता, हिमांशु गुप्ता, ऋषि वाष्र्णेय का सम्मान गुरुजन के रूप में किया गया।
विशिष्ट प्रतिभा के सम्मान के अंतर्गत अंजलि पोनिया, कीर्ति लवानिया, आयुषी अग्रवाल, नंदिनी अग्रवाल व शिव बंसल का सम्मान किया गया। साथ ही संस्था द्वारा 21 हजार रूपये प्रधानमंत्री कोरोना राहत कोष सहायता हेतु सचिव नरेश अग्रवाल व कोषाध्यक्ष तरुण अग्रवाल द्वारा ब्रज प्रांत को प्रदान किये।
दबंग मकान मालिक ने महिला किराएदार से की अभद्रता
कानपुर। घाटमपुर थाना क्षेत्र के ग्राम कठेठा निवासी महिला के साथ रनिया में मकान मालिक ने छेड़छाड़ की महिला सुरक्षा के लिए हंड्रेड डायल व 112 पर सहायता के लिए फड़फड़ा ती रही। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र के ग्राम कठेठा निवासी प्रमोद कानपुर देहात जनपद के रनिया कस्बा स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी करता था। तथा परिवार सहित रनिया कस्बा निवासी विजय कनौजिया के मकान में किराए पर रहता था। लॉकडाउन लगने के बाद बेरोजगार प्रमोद जब परिवार सहित फाके करने लगा तो परिवार को लेकर गांव लौट आया। 17 अगस्त सोमवार दोपहर प्रमोद की पत्नी शशि कमरा खाली करने के लिए कानपुर देहात जनपद के रनिया कस्बा निवासी विजय कनौजिया के घर पहुंची जहां विजय कनौजिया द्वारा पूर्व में कमरे का ताला तोड़कर सामान गायब करने का जब शशि ने उलाहना दिया तो विजय कनौजिया ने अपने साथियों को बुलाकर महिला के साथ अभद्रता व मारपीट शुरू कर दी। विरोध पर महिला के साथ गए दो लोगों को भी दबंगों ने बंधक बनाकर मारा पीटा।
Read More »नहर के घटिया निर्माण कार्य पर ऊर्जा राज्यमंत्री ने लगाई लताड़
मीरजापुर। आज मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल जी ऊर्जा एवं अतिरिक्त स्रोत ऊर्जा राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश शासन ने ग्राम- अतरैला विकासखंड- मड़िहान विधानसभा- मड़िहान में जिला पंचायत मीरजापुर द्वारा नाली का निर्माण हो रहा है जिसका ग्रामीणों की शिकायत पर स्थलीय सत्यापन करने पहुंचे माननीय मंत्री जी ने देखा तो नाली में ईट नंबर 3 और गंगा बालू का प्रयोग हो रहा है काफी घटिया निर्माण कराया जा रहा है जिस पर माननीय मंत्री जी ने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि हमारी सरकार की प्राथमिकता है किसी भी कीमत पर निर्माण की क्वालिटी और क्वांटिटी में कोई समझौता नहीं होगा कार्य अच्छा होना चाहिए, घटिया कार्य कतई बर्दाश्त नहीं होगा।
Read More »उर्वरक लेने के लिए किसानों की उमड़ी भीड़
मीरजापुर। राजगढ़ विकासखंड क्षेत्र के तेंदुआ कलां साधन सहकारी समिति पर सोमवार को खाद लेने के लिए किसानों की भीड़ उमड़ी। खाद पाने की चाहत में लाइनों में लगे किसानों ने शारीरिक दूरी का पालन तक नहीं किया। सभी किसान एक-दूसरे से सटकर खड़े थे। किसान कोरोना महामारी के दौर में भी यूरिया के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर भीड़ के रूप में समितियों पर एकत्र हो रहे हैं। कुछ किसान मास्क और शरीरिक दूरी तक का पालन नहीं कर रहे। इससे उनको और उनके और उनके परिवार वालों को भी जान खतरा पैदा हो रहा है।
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