फांसी से 18 वर्षीय फर्नीचर का काम करने वाले अर्जुन कोरी की मौत हो गई। परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया है।
कानपुर, अर्पण कश्यप। डीबीएस कॉलेज कच्ची-बस्ती निवासी किशोर कुमार कोरी जो की पुताई का काम करते है उनका मंझला बेटा अर्जुन (18) कारपेंटर था। रविवार रात करीब साढ़े 11 बजे अर्जुन के मोबाइल पर किसी का फोन आया जिसपर बात करते हुये घर से बाहर निकल गया। देर रात तक न लौटने पर मां अनीता, बड़ा भाई करन और मामा गोपाल उसे खोजने निकले। पर अर्जुन कही नहीं मिला।
परिजनों का आरोप
परिजनों ने आरोप है लगाया पड़ोस में ही रहने वाली युवती के घर वाले अर्जुन को अपने ही घर में मार रहे थे। जिस पर मामा ने छुड़ाने की कोशिश की तो उन्हे भी मारा। जिसके बाद मां-भाई के बीच-बचाव पर आरोपियों ने कहा कि तुम लोग घर जाओ हम समझा-बुझाकर भेज देंगे। इस पर तीनों घर लौट गए। दूसरे दिन आज सोमवार की सुबह पांच बजे रेलवे लाइन किनारे खड़े लोडर के डाले के एंगल से दुपट्टे के सहारे अर्जुन फांसी से लटका मिला। 112 की सूचना पर पहुंची पुलिस को खोजबीन में शव के पास ही सुसाइड नोट और युवती की फोटो पड़ी मिली।
नीमा ने कोरोना वायरस से पीड़ितों की सहायता के लिए जिलाधिकारी को सौंपा चेक
लॉकडाउन के समय पार्षद बना दूत
शव को पार्षद ने पहुंचाया श्मशान
कानपुर, अर्पण कश्यप। लॉकडाउन का डर घाट जाने वाले में भी, ड्राईवर ने गाड़ी चलाने से भी किया मना बताते चले की ओम पुरवा वार्ड 29 के पार्षदीय क्षेत्र में एक व्यक्ति की किसी की बीमारी के कारण मृत्यू हो गई। जिसे क्रियाकर्म के लिये घाट लेकर जाने पर सख्त प्रशासन के चलते न तो कही साधन मिल रहा था न ही कोरोना के संक्रमण की वजह से लोग एकत्र हो रहे थे।
एेसी स्थति में ओमपुरवा के पार्षद शरद मिश्रा ने शव को लोडर में रखवा कर स्वयं ही लोडर चला कर सिद्धनाथ घाट पर ले गये। जहॉ विधिविधान से शव का अंतिम संस्कार हुआ। वही क्षेत्रिय लोगों मे पार्षद जी खास चर्चा का विषय बन गये है।
कोरोना वायरस पर मोमबत्ती और दिये के तापमान का प्रभाव
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे उन डॉक्टर्स, वैज्ञानिकों, एयर इंडिया, सफाई कर्मचारियों नर्सों के हौसले को बढ़ाने के लिए उनका ताली या थाली बजाकर स्वागत और हौसला अफजाई करें। लेकिन भारत देश के अंदर थाली और घण्टा पीटने की बातों में अवैज्ञानिक एवं पाखण्डवाद के कारण उसको वायरस के संबंध से पूरी दुनिया हमारी इन हरकतो पर हंसती है।
अब दिनांक 3 अप्रैल को माननीय प्रधानमंत्री जी ने फिर से 5 अप्रैल की रात को बिजली बंद करके कैंडल और दिए जलाकर वायरस को मारने की अवैज्ञानिक अफ़वाहों मुहिम शुरू कर दी।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके कई लोग अलग अलग तरीके से संदेशों को पाखण्ड विज्ञान से जोड़कर अफवाहों का बाजार गर्म कर रहे हैं। जबकि मोदी जी का बिजली बंद करने का कारण एक ऊर्जा के क्षेत्र में आर्थिक मजबूती हो सकता है लेकिन वायरस को मारने में सिर्फ एक अफवाह। -डॉ अजय कुमार पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फेलो भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
वायरस और लोगों का भ्रम
मार्ग दुर्घटना में पारिवारिक भाइयों की मौत
घाटमपुर/कानपुर, शिराजी। थाना क्षेत्र के ग्राम राहा मोड़ के नजदीक रेवना से घाटमपुर तहसील कार्यालय आ रहा तहसील मित्र व उसका पारिवारिक भाई मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया। हैलट अस्पताल कानपुर ले जाते समय रास्ते में दोनों की मौत हो गई। प्राप्त विवरण के अनुसार ग्राम रेवना निवासी कोटेदार असलम शाह का पुत्र मोहम्मद आरिफ उर्फ राजू 32 वर्ष एलएलबी अंतिम वर्ष का छात्र था। तथा सिविल कोर्ट कैम्पस में जूनियर शिप कर रहा था। जिसे करो ना वायरस महामारी के चलते स्थानीय प्रशासन द्वारा समस्त ग्राम वासियों की सहायता व आम नागरिकों को जागरूक करने व ग्रामीणों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने तहसील मित्र बनाया था। रविवार सुबह करीब 8:30 बजे मोहम्मद आरिफ अपने पारिवारिक भाई गुलवेज(22) पुत्र रईस के साथ मोटरसाइकिल से घाटमपुर तहसील आ रहा था।
Read More »विचार- सफाई कर्मचारियों का सबसे पहले सम्मान करें
इस समय विश्व के सभी देशो में कोरोना वायरस की महामारी से हर देश अपने अपने तरीके से जंग लड रहा है जिसमें हमारा देश भी इस महामारी से एक अनोखे तरीके जैसे प्रधानमंत्री के आवाहन पर पहले थाली, घंटी, शंख बजाकर एक जुट होने का हिन्दुस्तानियों ने परिचय दिया दूसरी बार प्रधानमंत्री के आवाहन के बताए हुए समय पर पूरे हिन्दुस्तान की जनता ने अपने-अपने घरों कि लाईट बन्द करके दीपक, दीया, मोमबत्ती, मोबाईल की टार्च जलाकर हिन्दुस्तान की एकता का परिचय दिया। लेकिन हमारे देश में ऐसी महामारी से हमें हमेशा बचाते चले आ रहे वहां लोग है जो सफाई कर्मचारी कहलाते है उनके विषय में सरकारो को हमारे देश की जनता को सोचना चाहिए क्योंकि हमें जब उनकी आवश्यकता होती है तो हमारे देश के प्रधानमंत्री पैर धोकर यहां संदेश देते है कि यहां लोग भी इंसान है जैसे की इस समय कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए हर शहर, हर गांव हर कसवे में कही नोटों फूलों की माला पहनकर हर हिन्दुस्तानी सम्मान कर रहा है लेकिन सोचने की यहां बात है कि जब डरकर घबराकर मौत को सामने देखकर किसी का सम्मान किया तो क्या किया यहां वो सैनिक है जो कोरोना वायरस महामारी जैसी बिमारियों से पहले से ही हम सब लोगों की सुरक्षा करते चले आ रहे है सरकारो को हमारे देश की जनता को पहले से ही इन लोगो को सम्मान देते चले आना चाहिए था अगर यहां लोग सफाई का कार्य बन्द कर दे तो ना जाने कितनी बीमारियां फैल जायेगी और हमारा देश अन्धकार में चला जायेगा।
भाजपा नेता को भारी पड़ी सत्ता की हनक, वीडियो वायरल
कानपुर, अर्पण कश्यप। बर्रा थाना क्षेत्र में रहने वाले भाजपा नेता भगवा रंग का कुर्ता पहने सड़कों पर बिना मास्क लगाये घूमते नजर आये। पुलिस ने जब उन्हे रोकने का प्रयास किया तो नेता जी अपनी सत्ता का रौब दिखा पुलिस को दबाने लगे व पुलिस पर ही चढ़ गये लेकिन जैसे ही पुलिस ने सख्ती दिखाई तो नेता जी का पेट खराब हो गया कहने लगे मै तो दवा लेने जा रहा था। मेरा पेट खराब है।
आपको बताते चलें कि भाजपा नेता एमपी वर्मा ने मोहल्ले में हनक जमाने के चलते अपने घर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विचार मंच नाम से नेम प्लेट लगवा रखा हैं जिसकी वजह से वो खुद को मोदी से कम नही समझता सत्ता की हनक में वह खुद ही लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे थे।
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कोरोना वायरस क्या प्रधानमंत्री के सामने तालाबंदी ही एकमात्र रास्ता था संजय रोकड़े
देश में कोरोना वायरस के संकट से बाहर निकलने के लिए जो तालाबंदी की गई और उसके बाद जिस तरह की दिक्कतें व परेशानियां सामने आई उसे देख कर हम जैसे तमाम भारतीयों के मन में एक सवाल उठने लगा कि- क्या इस वायरस पर विजयी पाने का एकमात्र हल तालाबंदी ही था। देश का अवाम इस समय कोरोना वायरस जैसे संकट से काफी जूझ रहा है। ऐसे समय में ये सवाल तकलीफ देह भी साबित हो सकता है लेकिन सवाल तो बनता है। और शायद इसीलिए पूछा भी जा रहा है।
हालाकि इसका जवाब बेहद सरल और आसान है – और वो है हां। हां तालाबंदी ही इस वायरस पर काबू पाने का एकमात्र विकल्प या रास्ता था।
पर तालाबंदी के कुछ दिनों बाद ही देश भर में जिस तरह से अफरा-तफरी मची, लोग दो वक्त की रोटी को महरूम हो गए उसी के चलत दिलों-दिमाग में यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या अचानक से पूरी तरह देश भर में तालाबंदी किया जाना ही एकमात्र विकल्प था?
मीन साहित्य संस्कृति मंच ने राजीव डोगरा ‘विमल को किया’ सम्मानित
मीन साहित्य संस्कृति मंच हरियाणा ने मार्च महीने में प्रेम विषय पर रचनात्मक योगदान के लिए राजीव को प्रशस्ति प्रमाण देकर सम्मानित किया गया। उनको यह सम्मान संस्था की संस्थापिका डॉ मीना कुमारी ने दिया और सम्मान देते हुए अत्यंत खुशी व्यक्ति की और ऐसे ही साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए राजीव को उत्साहित किया। सम्मान मिलने पर उनके पिता हंसराज, माता सरोज कुमारी और बड़े भाई पीएचडी शोधकर्ता अमित डोगरा तथा स्कूल के मुख्याध्यापक महेंद्र सिंह, रविंदर नरयाल खण्ड स्त्रोत केंद्रीय समन्वयक खण्ड कांगड़ा के बी.आर.सी, कुल्लू के साहित्यकार तथा संस्कृति के संरक्षक राज शर्मा और शिमला के साहित्यकार रोशन जसवाल ने अत्यंत खुशी व्यक्त की तथा राजीव को ढेरों शुभकामनाएं दी।
Read More »कोविड-19 की महामारी और ताली थाली शंख घंटा व दिया
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर 5 अप्रैल को रात 9 बजे देश भर में जले दियों से दीपावली जैसा नजारा दिखायी दिया| प्रधानमन्त्री जी ने तो मात्र एक दिया जलाने की अपील की थी| परन्तु लोगों ने उत्साह में आकर अपनी-अपनी बालकनियों और दरवाजों को दीप मालाओं से सजा दिया| आम से लेकर खास तक, मन्त्री से लेकर सन्तरी तक, राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक हर किसी ने मोदी जी की अपील पर अमल करने का पूर्ण प्रयास किया| अनेक लोगों ने तो पटाखे भी जमकर फोड़े| लगा जैसे पूरा देश दोबारा दीवाली मना रहा हो| लेकिन दियों की जगमगाहट के बीच शायद ही किसी ने यह विचार किया हो कि देश के उन 89 परिवारों पर क्या बीत रही होगी जिनके चिराग कोविड-19 की महामारी ने बुझा दिये हैं और उन 3900 लोगों की मनः स्थिति क्या होगी जो इस महामारी की चपेट में आकर जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं| दियों की जगमगाहट से प्रसन्न सत्ता पक्ष जहाँ अन्तर्मन से प्रधानमन्त्री की बढ़ती लोकप्रियता का दर्शन करते हुए भविष्य के परिणामों का सुखद आभास कर रहा है वहीँ बहिर्मन से इसे देश की एक जुटता का द्योतक बताते हुए नहीं थक रहा है| विपक्षी दल इसे भाजपा के स्थापना दिवस 6 अप्रैल की पूर्व सन्ध्या पर अघोषित जश्न की संज्ञा दे रहे हैं तो अन्ध भक्त और स्वयंभू विद्वान इसे सनातन धर्म के पौराणिक विज्ञान से जोड़कर कोरोना के विरुद्ध लड़ाई का एक बड़ा हथियार बता रहे हैं|
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