Saturday, November 30, 2024
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रमजान के महीने में लाउडस्पीकर के नियमों में मांगी छूट

मथुरा: संवाददाता। रमजान के महीने में मस्जिदों पर लाउडस्पीकर बजाने के नियमों में छूट दिये जाने की मांग को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय पर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में में मांग की गई है कि पवित्र रमजान माह में इस्लाम के मानने वालों की रमजान माह के दिनों में दिनचर्या पूजा पद्धति इबादत व खानपान के संपादन के लिए सूचना उद्घोषणा हेतु लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति जनपद भर में दी जाये। भारतीय किसान यूनियन महानगर अध्यक्ष सलीम खान के नेतृत्व में लोग जिलाधिकारी एवं नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन टिकैत महानगर कमेटी के वरिष्ठ सलाहकार लोकेश कुमार राही ने कहा कि प्रशासन को सभी धर्म के सम्मान में लाउडस्पीकर की अनुमति देकर जन भावनाओं एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए।

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शिव मय हुई कान्हा की नगरी, शिवालयों में उमड़ी भीड़

मथुराः संवाददाता। महाशिवरात्रि के अवसर पर कान्हा की नगरी वृंदावन पूरी तरह से शिवमय नजर आई और चहुंओर जय शिव शम्भू बम बम भोले के जयकारों से गुंजायमान होते रहे। महाशिवरात्रि पर सभी शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।
डीएम शैलेंद्र सिंह एवं एसएसपी शैलेश पांडे ने जत्थे के साथ मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लियासाथ ही गोपेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। जहां पर उन्होंने पुष्प, बेलपत्र इत्यादि से पूजन अर्चन किया। इस मौके पर बोलते हुए मथुरा डीएम शैलेंद्र सिंह ने सभी जनपदवासियों को महाशिवरात्रि की बधाई देते हुए कहा कि आज जनपद में सभी देवालयों में बड़े ही हर्ष के साथ महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। प्रशासन के द्वारा उचित व्यवस्थाएं की गई है। जिससे की किसी भी श्रद्धालु को परेशानियों का सामना न करना पड़े। वहीं नगर के प्राचीन गोपेश्वर महादेव मंदिर पर आस्था का सैलाब दिखाई दिया। जहां कांवड़ियों सहित हजारों भक्तों ने बम बम भोले के जयकारों के साथ भगवान शिव का गंगाजल व दूध आदि से अभिषेक कर शिव आराधना की।

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85 वर्ष से अधिक आयु वालों को मिलेगी पोस्टल बैलेट की सुविधा

मथुरा। उप जिला निर्वाचन अधिकारी/ अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व योगानंद पांडेय ने अवगत कराया है कि भारत निर्वाचन आयोग के नवीनतम दिशा-निर्देशानुसार प्रदेश के समस्त 85 वर्ष की आयु वर्ग से ऊपर के मतदाताओं को मतदान करने के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
प्रदेश के समस्त 85 वर्ष की आयु वर्ग से ऊपर के मतदाताओं को सूचित किया जाता है कि वे स्वेच्छा से पोस्टल बैलेट के माध्यम से निवास स्थान पर मतदान करने हेतु निर्धारित फार्म-12डी में आवेदन कर अपने निवास स्थान पर मताधिकार का उपयोग कर सकते हैं।
उपरोक्त फार्म-12डी अधिसूचना जारी होने के 5 दिवसों के अन्दर सम्बन्धित विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के बी०एल०ओ० द्वारा घर-घर जाकर 85 वर्ष की आयु वर्ग से ऊपर के मतदाताओं को उपलब्ध कराया जाएगा तथा भरा हुआ फार्म-12डी प्राप्त किया जाएगा।

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महाशिवरात्रि पर बाल्हेस्वर मंदिर में लगा भक्तों का तांता

लालगंज, रायबरेलीः संवाददाता। तहसील क्षेत्र लालगंज के अंतर्गत ऐहार में स्थित बालेश्वर धाम में महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर जलाभिषेक किया। साथ ही धाम के परिसर में आकर्षण मेला लगाया गया। शिव भक्तों ने शिवालय में दर्शन कर कल्याण की कामना की और मेले का आनंद उठाया।
महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर जिले के सभी शिवालयों में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ते दिखी।

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खोजबीन के बावजूद नहीं मिल सका नहर में डूबा व्यक्ति

बिंदकी/फतेहपुर। एक दिन बीत गया किंतु नहर में डूबे हुए व्यक्ति का कोई भी पता नहीं चल सका। हलांकि पुलिस लगातार स्थानीय गोताखोरों के माध्यम से नहर में जाल डालकर व्यक्ति की खोजबीन में जुटी हुई है।
कोतवाली क्षेत्र के मेंऊना गांव में गुरुवार को देर शाम लगभग 6 बजे नहर किनारे बैठा युवक ज्ञान सिंह पुत्र मन्ना सिंह उम्र लगभग 36 वर्ष अनियंत्रित होकर नहर में गिर गया। नहर में पानी के तेज बहाव के कारण मौके पर उपस्थित लोगों ने उसे ढूंढने का भरसक प्रयास किया किंतु जब सफलता हासिल न हो सका तो पुलिस को सूचना दी गई थी। सूचना मिलने पर सरकंडी चौकी इंचार्ज सरनाम सिंह अपने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और उसकी खोजबीन देर रात करते रहे लेकिन युवक का कोई पता नहीं चला। शुक्रवार को सुबह पुनः पुलिस घटना स्थल पर पहुंची।

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अतरराष्ट्रीय महला दिवस पर सुधा मूर्ति पहुंचीं राज्यसभा

राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। मशहूर बिजनेसमैन और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य सभा के लिए मनोनीत किया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुधा मूर्ति को बधाई देते हुए कहा कि ये नारी शक्ति का एक शक्तिशाली प्रमाण है। सुधा मूर्ति की बेटी अक्षरा मूर्ति ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं।
समाजसेवी और लेखिका सुधा मूर्ति को शुक्रवार को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विविध क्षेत्रों में उनके योगदान की सराहना की। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उच्च सदन में उनकी मनोनयन ‘नारी शक्ति’ का एक सशक्त प्रमाण है, जो राष्ट्र की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण भी है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि भारत की राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विविध क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान असीम और प्रेरणादायक रहा है।’
पिछले साल सुधा मूर्ति ने पहली बार संसद भवन का दौरा किया था। सुधा मूर्ति पुराने और नये संसद भवन को देखने के बाद मीडिया से बातचीत की थी। एएनआई से बातचीत के दौरान उन्होंने संसद की खूबसूरती की जमकर सराहना की थी। उन्होंने कहा था, ‘यह बहुत सुंदर है… वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं इसे लंबे समय से देखना चाहती थी । आज मेरा एक सपना सच होने जैसा था। यह सुंदर है… यह कला है। संस्कृति, भारतीय इतिहास – सब कुछ सुंदर है…।

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महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर शिवालयों में किया जलाभिषेक

पवन कुमार गुप्ताः ऊंचाहार, रायबरेली। शुक्रवार को महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर महर्षि गोकर्ण ऋषि की तपोस्थली गोकना घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई और शिवालयों में जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की और जन कल्याण की कामना की। मां गंगा गोकर्ण जनकल्याण सेवा समिति के सचिव व पुरोहित पं. जितेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि भोर से ही गंगा तट पर हर हर गंगे, हर हर महादेव के जयकारों व घन्टा घड़ियाल की ध्वनि से घाट गुंजायमान रहे।
हजारों लोगों ने गंगा स्नान कर मंदिरों में जलाभिषेक किया।

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क्यों महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं?

जिस दिन किसी भी क्षेत्र में आवेदक अथवा कर्मचारी को उसकी योग्यता के दम पर आंका जाएगा ना कि उसके महिला या पुरुष होने के आधार पर, तभी सही मायनों में हम महिला दिवस जैसे आयोजनों के प्रयोजन को सिद्ध कर पाएंगे।
ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में मानव के रूप में जन्म लेना एक दुर्लभ सौभाग्य की बात होती है। और जब वो जन्म एक स्त्री के रूप में मिलता है तो वो परमसौभाग्य का विषय होता है। क्योंकि स्त्री ईश्वर की सबसे खूबसूरत वो कलाकृति है जिसे उसने सृजन करने की पात्रता दी है।
सनातन संस्कृति के अनुसार संसार के हर जीव की भांति स्त्री और पुरुष दोनों में ही ईश्वर का अंश होता है लेकिन स्त्री को उसने कुछ विशेष गुणों से नवाजा है। यह गुण उसमें नैसर्गिक रूप से पाए जाते हैं जैसे सहनशीलता, कोमलता, प्रेम,त्याग, बलिदान ममता। यह स्त्री में पाए जाने वाले गुणों की ही महिमा होती है कि अगर किसी पुरुष में स्त्री के गुण प्रवेश करते हैं तो वो देवत्व को प्राप्त होता है लेकिन अगर किसी स्त्री में पुरुषों के गुण प्रवेश करते हैं तो वो दुर्गा का अवतार चंडी का रूप धर लेती है जो विध्वंसकारी होता है। किंतु वही स्त्री अपने स्त्रियोचित नैसर्गिक गुणों के साथ एक गृहलक्ष्मी के रूप में आनपूर्णा और एक माँ के रूप में ईश्वर स्वरूपा बन जाती है।
देखा जाए तो इस सृष्टि के क्रम को आगे बढाने की प्रक्रिया में जो जिम्मेदारियां ईश्वर ने एक स्त्री को सौंपी हैं उनके लिए एक नारी में इन गुणों का होना आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमारी सनातन संस्कृति में शिव का अर्धनारीश्वर रूप हमें यह भी बताता है कि स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं प्रतिद्वंद्वी नहीं और स्त्री के ये गुण उसकी शक्ति हैं कमजोरी नहीं।

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भारतीय नारी के उत्पीड़न का समाधान

हर साल वूमेन डे पर स्त्री विमर्श लिखते हुए सोचती हूॅं अगले साल स्त्री स्वतंत्रता पर लिखूॅंगी। लेकिन विमर्श का समाधान होता ही नहीं और अगले साल भी वही प्रताड़ना का मंज़र पन्नों पर उकेरना पड़ता है। जानें कब करवट लेगी ज़िंदगी कमज़ोर शब्द से उलझते थकी महिलाओं की, सदियों से चले आ रहे स्त्री विमर्श पर अब तो पटापेक्ष हो।
‘उत्पीड़न की आदी मत बन पहचान अपनी शख़्सियत को, ए नारी तू संपूर्ण अधिकारी है खुलवा सारी वसीयत को’
भले ही आज हम खुद को खुले विचारों वाले आधुनिक समाज का हिस्सा समझे पर साहित्य के पन्नों को ‘स्त्री विमर्श’ विषय शायद बहुत पसंद है, तभी तो सदियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक मानसिकता के चलते आज भी कहीं न कहीं महिलाएँ उत्पीड़न का शिकार होती रहती है। क्यूँ कोई इस विषय वस्तु के समापन और समाधान की दिशा में कदम नहीं बढ़ाता।
आने वाली आधुनिक पीढ़ी की लड़कियाँ याद रखो। महिलाओं के त्याग, हुनर, सहनशीलता और समझदारी को याद रखना परिवार, समाज और इतिहास ने कभी न जरूरी समझा है, न कभी समझेगा। ‘निगरानी, दमन, बंदिशें या असमानता की चक्की में पीसते सदियों से स्त्री कमज़ोर ही कहलाई है।’
लड़कियाँ अपना कर्तव्य निभाते परिवार के लिए ज़िंदगी खर्च करते लड़की से औरत बन जाती है।

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विकास की बदलती तस्वीर में महिलाओं की भागीदारी

भारत एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहां महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है। ग्रामीण परिदृश्य में महिलाओं की बड़ी आबादी है। आजादी के बाद महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा, लेकिन उनके सशक्तिकरण की गति दशकों तक धीमी रही। गरीबी व निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधा रही हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं को व्यवसाय की ओर प्रोत्साहित कर इन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जा सकता है। विशेषकर कृषि प्रसंस्करण उद्योगों, बैंकिंग सेवाओं और डिजिटलीकरण की सहायता से महिलाओं के सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण की शुरुआत की जा सकती है।
भारतीय महिलाएं ऊर्जा से लबरेज, दूरदर्शिता, जीवन्त उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में “हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी हैं, बल्कि इस रौशनी की लौ भी हैं”। अनादि काल से ही महिलाएं मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं। मदर टेरेसा से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बडे़ उदाहरण स्थापित किए है।
एक समय था जब महिलाएँ चार दिवारी तक सिमित थी, घर परिवारों के दायित्वों के इर्दगिर्द सारा जीवन निर्वाह हो जाता था। समय एवं परिस्थिति के अनुसार आज यह परिवेश में काफी बदलाव आया है। आजादी के बाद महिलाओं की शिक्षा के साथ-साथ रोजगार, राजनीति, आदि में सहभागिता ने देश विकास को एक धुरी प्रदान की है।
महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं। “जब एक आदमी को शिक्षित होता हैं, तो वह एक आदमी शिक्षित होता है हैं परन्तु जब एक महिला को शिक्षित होती है तो मान लीजिये एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं”। भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धि से भरा पड़ा है।

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