फिरोजाबाद। संस्कृति मंत्रालय उ.प्र. सरकार एवं दाऊदयाल महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सप्त दिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिन प्रतिभागियों को विविध सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों से रूबरू कराते हुए सर्वप्रथम आयोजन सचिव डॉ माधवी सिंह ने महाकवि कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक के सफल मंचन हेतु छात्राओं को नाटकीय तत्वों से अवगत कराया। वहीं दूसरी ओर डॉ अंजू गोयल द्वारा काव्य में वर्णित विविध छंदों जैसे दोहा, सोरठा, मुक्तक, कुण्डलियां, पादाकुलक, घनाक्षरी, सवैया छंद एवं गीत लेखन हेतु अनुभूति और अभिव्यक्ति पक्ष को ध्यान में रखते हुए शब्द संयोजन की कला सिखाई गई।
विश्व प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना शिवानी मिश्रा ने कत्थक के विषय में बताया तथा तराना की कोरियोग्राफी भी की। लोकगीत हमारी संस्कृति का प्रमुख आधार हैं ऐसा कहते हुए डॉक्टर स्नेहलता शर्मा ने बधाई गीत पर छात्राओं को लोकनृत्य का प्रशिक्षण दिया। कुसुम ने चित्रकला एवं मूर्ति कला शैली के माध्यम से छात्राओं को चौक पाउडर द्वारा निर्मित मूर्ति में रंग भरने की कला को बारीकी से बताया। शिखा यादव ने पूर्वांचल के विशेष त्योहार पर बनाई जाने वाली दाल की दुल्हन डिश तैयार कर कर छात्राओं मैं पाक कला के प्रति विशेष रूचि जागृत की। नीतू सिंह ने छात्राओं को आधुनिक परिवेश में उत्तर प्रदेश की संस्कृति से जुड़े विविध परिधानों को बनाने तथा उन्हें पहनने के तरीके आदि सिखाकर उन्हें कैटवॉक करने के लिए रैंप पर उतरने का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला की समन्वयक एवं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर रेनू वर्मा ने विषय विशेषज्ञों एवं छात्राओं की अद्भुत कार्य कुशलता को देख खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशाला का आयोजन शहर में पहली बार किया जा रहा है। जिसमें प्रतिभागी अपना रोजगार परक प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बना सकते हैं।