शिवराजपुर (बिल्हौर), जन सामना संवाददाता। शिवराजपुर नगर पंचायत की लापरवाही से 21 वर्षों से 50 दुकानें बदहाली की भेंट चढ़ गई। आज तक आवंटन नहीं हो सका। प्रशासनिक अनदेखी व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से लाखों की लागत से बनी दुकानों में अब शाम ढलते ही शराबियों नशेड़िओं और आवारा पशुओं का जमावड़ा हो जाता है। इन खाली पड़ी दुकानों को बदहाली की स्थिति में देख कर लोंगों में काफी नाराजगी है। स्थानीय लोगों की मांग है की दुकानें चालू हों और इस जमावड़े की समस्या से निजात मिले।
बता दें कि वर्ष 1997 में तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष ओमप्रकाश वर्मा ने राजा सती प्रसाद महल (गढ़ी) के समीप आधा सैकड़ा दुकानों व टीन सेड चबूतरों का निर्माण कराया था। दुकानों और टिन सेट का उद्देश्य था कि स्थानीय निवासियों को रोजगार मिल सके और लोगों को कस्बे में बेहतर बाजार उपलब्ध हो सके लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होते ही पूरी योजनाएं फाइलों में दबती चली गई। आज दुकानें तैयार हैं लेकिन आवंटित ना हो सकने के कारण यह शराबियों और आवारा पशुओं का अड्डा बन चुकी हैं। स्थानी निजी मार्केट मालिकों ने नगर पंचायत की दुकानों के आवंटन में रोड़ा अटकाने व राजनीतिक दबाव डालने का काम शुरू कर दिया है। बीते 21 वर्ष से दुकानें तो आवंटित नहीं हो सकी लेकिन धीरे-धीरे धराशाई जरूर होने लगी हैं। इनमें लगे शटर व टीन सैड को चोरों ने पार करना शुरू कर दिया है।