Tuesday, November 26, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » अध्यात्म के महाकुम्भ में हाथरस की आध्यात्मिक भूमिका

अध्यात्म के महाकुम्भ में हाथरस की आध्यात्मिक भूमिका

हाथरस। पुण्य सलिला गंगा, यमुना और अदृष्य सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम ‘तीर्थों के राजा प्रयागराज’ की राग, द्वेश रहित पावन नगरी के रेती में जहाँ भारतवर्श के हर प्रान्त से लोग बिना कोई चिट्ठी पाती, बिना निमंत्रण मात्र कलैण्डर और पुरोहितों द्वारा बताई गई तिथियों के आधार पर लाखों की तादात में इन दो पवित्र नदियों के मिलन को देखने और ईष्वरत्व की अनुभूति करने के लिए रास्ते के कश्टों को झलते हुए पहुँचते हैं। मीलों दूर तक फैली गंगा-यमुना की रेतीली भूमि के विषाल प्रांगण में स्थित संस्था के विषाल पांडाल में से एक मण्डप ‘‘परमसत्ता परमपिता परमात्मा’’ और धर्मोत्थान की अविरल यात्रा को संचालित करने का अवसर हाथरस के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के आनन्दपुरी केन्द्र राजयोग षिक्षिका बी0के0 षान्ता बहिन के सानिध्य में बी0के0 वंदना बहिन, बी0के0 मनोज कुमार, बी0के0 केषवदेव आदि को मिल रहा है।
मनोहारी सुप्रभात से पूर्व और संध्या से रात्रि तक सरिस सलिला में स्नान का क्रम चलता रहता है। कल्पवास के रूप में भिन्न-भिन्न षिविरों में एकत्रित शृद्धालू भी देखने में आ रहे हैं। कल्प क्या है, कल्पवास की लम्बी चैड़ी परिभाशाओं से अधिकांष अनभिज्ञ। सिर्फ यह मालूम है कि एक वक़्त का भोजन करना है और गंगा स्नान, सैकड़ों पाण्डालों में होने वाले भजन-कीर्तन, भक्ति स्मरण आदि, ध्यान, हवन और भ्रमण, किसी को दुःख आदि नहीं देना यही दिनचर्या रखने का प्रयास।
हर-हर गंगे और हर-हर महादेव की गूंज के मध्य भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों, अखाड़ों की सवारियाँ गंगा स्नान, संगम स्नान के लिए धूमधाम से निकलती नजर आती हैं। पृथक ढंग और पृथक पहनावा, वेश भूशा, कोई केष बढ़ाये हुए, कोई ने इतने बढ़ाये हुए कि बरगद की तरह जटायें बढ़ गई हैं और कोई ने पूरा सिर मुण्डन, कोई मूछों को एंेठ रहा है तो किसी की दाढ़ी पर बाल तक नहीं, उद्देष्य एक गंगा स्नान और भजन, श्रवण इत्यादि। विदेषी यात्रियों में भी वही शृद्धा और भक्ति नजर आती है जो देषी यात्रियों में होती है। चारों ओर जैसे कि आनन्द पसरा नजर आता है।
देवी दुर्गा से सम्बन्धित स्त्रोत या देवी सर्वभूतेशु षक्ति रूपेण संस्थितः आदि अनेक मंत्रों के उच्चारण के साथ भिन्न भिन्न देवियों के चैतन्य झाँकी जब खुलती थी तो दर्षक स्तम्भ नजर आते हैं। आत्मा पर जमी हुई पुराने दूशित संस्कारों और पापकर्मों की कालिख को मांजने का कार्य इस प्रकार के ज्ञानयुक्त और योगयुक्त षिविर ही कर सकते हैं। इस मण्डप में उपस्थित ब्रह्मावत्स प्रातःकाल 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक निरन्तर देने के लिए तत्पर रहते हैं।
…………………………………………………………………..
राष्ट्रद्रोह का मुकद्दमा व संस्था प्रतिबंधित हो
हाथरस- भारत के नाम को विश्व में प्रसिद्धि दिलाने वाले सत्य, अहिंसा व शांति के दूत के रूप में विख्यात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिनको विश्व स्वीकारता है, परन्तु देश की आजादी के 70 साल बाद भी देश को तोड़ने वाली सोच रखने वाले लोग देश के अन्दर ही अपनी घिनौनी सोच का आयेदिन प्रदर्शन करते हैं। अलीगढ़ में राष्ट्रपिता के पुतले पर गोली दागने वाली घटना को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश सचिव व मंडल प्रभारी योगेश कुमार ओके ने डाक के माध्यम से अलीगढ़ कमिश्नर को कानूनी कार्यवाही हेतु पत्र भेजकर गांधीजी की हत्या की घटना को दोहराने वालों के विरूद्ध राष्ट्रद्रोह का मुकद्दमा पंजीकृत करने तथा उस संस्था को पूर्णतय प्रतिबंधित करने की मांग की है जिसके पदाधिकारियों ने राष्ट्रद्रोह वाली इस घटना को अंजाम दिया है। वही योगेश कुमार ओके ने चेतावनी देते हुये कहा है कि आज भी गांधीवादी विचार इस महान भारत में जिन्दा हैं, जिसे मिटा पाना किसी क्षीण मानसिकताई गौड़से के समर्थक के बस की बात नहीं। गांधी देश को जोड़ने वाली सोच का नाम है। गोड़से जैसे देश विरोधी सोच रखने वालों से देश सदैव बिखरता है जो हमें स्वीकार नहीं।