नीरज चक्रपाणि: हाथरस। जनपद में हर तरफ ठगों का गिरोह पूरे दमखम के साथ सक्रिय है जो कि जनपद में अपने अड्डे बनाकर जनता के साथ ठगी कर रहे हैं वह भी बहुत बड़े पैमाने पर। ठगी का खेल भी बड़ी नामचीन कम्पनियों के नाम से किया जा रहा है। खुलेआम चल रहे ठगी के गोरखधन्धे से रोजाना ही सैकड़ों लोगों को अपनी ठगी का षिकार कुछ माफिया किस्म के लोग बना रहे हैं। इस जिले में काॅल सेण्टर चल रहे हैं वह भी खुलेआम, इस काॅल सेण्टरों की संख्या लगभग 200 से लेकर 300 तक है। जिनमें से कुछ ही काॅलसेण्टरों का रजिस्ट्रेषन है और बाकी के काॅल सेण्टर संचालक अपने पार्सल को काॅल सेण्टरों के यहां से भेजते हैं जिसकी वजह से जिले के कई अधिकारी अपनी मोटी कमाई इन काॅल सेण्टरों से कर रहे हैं और काॅल सेण्टरों को जनपद में पनपा रहे हैं। काॅल सेण्टरों पर लड़के कम लड़कियां ज्यादा काम करती हैं। काॅल सेण्टर संचालक लड़कों से ज्यादा लड़कियों को अपने सेण्टरों पर नौकरी देते हैं, क्योंकि इसमें काॅलिंग करने का काम ही महत्वपूर्ण होता है। लड़कियों उपभोक्ताओं को अपनी बातों में जल्दी ही फंसा लेती है और अपने प्रोडक्ट को 5 हजार से 8 हजार रुपये तक में आसानी से बेच देती हैं, जिससे काॅल सेण्टर संचालकों को बहुत बड़ा फायदा होता है, जो लड़के काॅल सेण्टरों पर काम करते हैं वह तो सिर्फ पार्सल पैकिंग करने, पार्सल डाकघर पहुंचाने और उन उपभोक्ताओं को समझाने का काम करते हैं जो ठगी का शिकार हो चुके होते हैं।
रिबाॅक,एडिडास के बिक रहे नकली प्रोडक्ट: जिले में चल रहे अवैध काॅल सेण्टरों से काॅलिंग करके उपभोक्ताओं को एडिडास और रिबाॅक कम्पनी के प्रोडक्ट को आॅफर के कारण सस्ता बताकर रोजाना जिले में से बेचा जा रहा है, जो कि पूरी तरह नकली हैं। जूता, बेल्ट, टी-षर्ट, ट्राउजर, घड़ी, पर्स और चष्मा रिबाॅक या एडिडास लिखा हुआ बहुत सस्ता आगरा और दिल्ली जैसे बड़े षहरों में बड़ी आसानी से मिल जाते हैं।
मोबाइल का देते हैं आॅफर
जब किसी काॅल सेण्टर पर काम करने वाली लड़की अपने उपभोक्ता से बात करती है तो वह कहती है कि आपको रिबाॅकध्एडिडास की किट के साथ एक सैमसंग गैलैक्सी ग्राण्ड 2 या अन्य मोबाइल जिसकी कीमत लगभग 15000 होगी, वो एकदम फ्री दिया जायेगा। बस इसी लालच में उपभोक्ता फंस जाता है और ठगी का षिकार आसानी से हो जाता है।
अवैध काॅल सेण्टरों पर क्यों नहीं मारे जा रहे छापे: जिले में पनप रहे इन अवैध काॅल सेण्टरों पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी छापा नहीं मारना चाहता है। पुलिस विभाग तो पूरी तरह बस अपनी उगाही में व्यस्त रहता है। कई थानों के प्रभारियों को तो इस बात से कतई मतलब नहीं है कि उनके क्षेत्र में इस तरह का नकली प्रोडक्ट का सामान बेचा जा रहा है जो कि पूरी तरह अवैध है। उनको तो अपनी उगाही से मतलब है ऐसा जनचर्चा में है।
डाकखाने में रोजाना आते हैं सैकड़ों पार्सल: जिले के मुख्य डाकघर पर कभी भी जाकर देखो तो वहां सैकड़ों पार्सल काॅल सेण्टरों के वहां दिख जायेंगे और काॅल सेण्टर पर काम करने वाले लड़के भी मिल जायेंगे। इन पार्सल को भेजने के लिए भी काॅल सेण्टर संचालक डाकघर में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की भी सेवा पानी करते हैं। इतना ही नहीं कुछ डाकघर के कर्मचारी तो रात को होटलों में तावत भी लेते हैं पुलिस को जब काॅल सेण्टरों के स्थानों के बारे नहीं पता तो वह बड़े अधिकारियों से परमीषन लेकर डाकघर पर में आये पार्सलों पर छापा मारकर अपने गिरफ्त में ले सकते हैं और कार्यवाही करके जनता की नजर में अपनी पहचान बना सकते हैं।
इन जगह संचालित है काॅल सेण्टर: मैंडूगेट,विष्णुपुरी ,गौशाला ,मुरसानगेट ,लेबर कालौनी ,साकेत कालौनी ,जलेसर रोड,अशोका टाकीज ,चमन गली सहित अन्य कई जगहो पर छुप छुप कर कालसेन्टर का संचालन किया जा रहा है।