Tuesday, November 26, 2024
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पंचायतों में महिला जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी की मांग

पंचायतों में है 33 प्रतिशत महिला आरक्षण और भागीदारी बहुत कम
उरई/जालौन, जन सामना ब्यूरो। पंचायत सशक्तिकरण अभियान की महिला पदधिकारियों ने आज पंचायतो पर महिला जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने तथा पंचायतों में महिलायों के आरक्षण को सकारात्मक रूप में लाने के उद्देश्य का एक ज्ञापन जिलाधिकारी सहित मुख्य विकास अधिकारी व जिला पंचायत राज को अधिकारी को दिया। मांग की कि महिला जनप्रतिनिधि स्वंम काम व बैठकों में आंगे आये और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भागीदारी करें।
अभियान की महासचिव सारिका तिवारी आंनद ने बताया कि पंचायतों में महिलायों का आरक्षण 33 प्रतिशत है, पूरे प्रदेश में बीस हजार के लगभग महिला ग्राम प्रधान आरक्षण के आधार पर निर्वाचित होकर आती है, अगर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के महिला सदस्यों को भी जोड़ा जाए तो यह संख्या और भी बहुत ज्यादा होती है, वावजूद इसके महिलाएं पंचायतों के नेतृत्व में बहुत पीछे है। उन्हें महिला आरक्षण में सिर्फ प्रत्यासी बना कर चुनाव लड़ाया जाता है और जीतने के बाद उनके पति, पुत्र या अन्य परिजन प्रतिनिधि का नाम रखकर कार्य करते हैं। सारिका ने बताया की जनपद में ही 150 से ज्यादा महिला ग्राम प्रधान हैं, जबकि प्रशिक्षण, बैठक तथा अन्य कार्यक्रमों में इनकी भागीदारी न के बराबर होती है। ग्राम स्तर भी महिला जनप्रतिनिधि अपवाद स्वरूप ही दिख रही है, उनकी जगह बैठकों, प्रशासनिक कार्यों तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में उनके परिजन प्रतिनिधि बनकर भागीदारी कर रहे हैं। यह असंवैधानिक तो है ही साथ ही महिला सशक्तिकरण और आरक्षण का मजाक भी है। पंचायत सशक्तिकरण अभियान “पंचायतों में महिलायों की भूमिका “नाम से एक कार्यक्रम शुरू कर रहा है, जिसमें महिला जनप्रतिनिधियो के अनुभव, उनकी स्थिति और उनकी क्षमतायों व सम्भवनायों पर कार्य किया जाएगा। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता राज तथा संस्थान की समन्वयक आराधना चौहान भी उपस्थित रही।