विंध्याचल/मीरजापुर, सच्चिदानंद सिंह। विंध्यवासिनी दरबार में अक्षय तृतीया के अवसर पर जहाँ कभी कदम टिकाना अत्यंत दुर्लभ होता था, वही कोरोना के चलते घोषित तालाबन्दी ने ऐसा दृश्य स्थापित कर दिया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। इस पावन तिथि पर माँ विन्ध्यवासिनी दरबार में लाखों भक्तों का हुजूम उमड़ता था, दर्शनार्थियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिलाप्रशासन के हाथपांव फूलने लगते थे। विन्ध्याचल की हर गलियां, हर गंगाघाट के अलावा समस्त वाहन स्टैंडों, रोडवेज परिसर, रेलवे स्टेशन, होटलों, यात्री निवासों व धर्मशालाओ में सिर्फ और सिर्फ माँ के भक्तों के द्वारा जयकारे का उदघोष ही सुनाई देता था। मन्दिर परिसर में हजारों उपनयन व मुण्डन संस्कार संपादित होते थे। विन्ध्यधाम का प्रत्येक निवासी तीर्थपुरोहित, दुकानदार से लेकर अन्य समस्त वर्गों के लोग हज़ारों लाखों की आमदनी किया करते थे, आज विश्ववापी वैश्विक महामारी ने यहाँ के अधिकतम लोगों को अन्नजल के लिए दूसरों की दया पर निर्भर कर रखा है। वर्तमान में अस्सी फ़ीसदी स्थानीय अपने आश्रित परिजनों की दैनिक आवश्यकताएं पूर्ण करने में स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं। यहाँ जीवनयापन के लिए बाहरी आगन्तुओं पर ही निर्भर हैं। तालाबन्दी हटने के पश्चात भी यहाँ का व्यवसाय शुरू होने में महीनों लग सकते है।