कानपुर, जन सामना ब्यूरो। लॉकडाउन की वजह से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम भी अटका हुआ है। सरकारी मुहर न लग पाने की वजह से ये प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहे हैं। नियमत: किसी बच्चे के जन्म होने के 21 दिन के अंदर जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना होता है। नगर निगम में औसतन रोजाना 100 से 120 जन्म प्रमाण पत्र बनते हैं।
नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक तकरीबन हर साल 40 से 45 हजार जन्म प्रमाण पत्र और 30 से 32 हजार तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किये जाते हैं। जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए संबंधित अस्पताल परिजनों से डाटा लेकर नगर निगम की वेबसाइट पर आवेदन कर देते हैं। नगर निगम ने इसके लिए सभी निजी अस्पतालों को डाटा अपलोड करने का राइट दे रखा है।
लॉकडाउन की अवधि में अस्पतालों की ओर से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन तो किया जा रहा है लेकिन नगर निगम की ओर से प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जा रहे हैं। नगर निगम में स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर अन्य सभी विभाग बंद है। जन्म प्रमाण पत्र जारी करने वाला विभाग भी बंद चल रहा है। ऐसे में लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद ही कार्यालय खुलने पर संबंधित प्रमाण पत्र जारी हो पाएंगे। नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी का कहना है कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के जितने भी आवेदन लंबित है वो सभी कार्यालय खुलने पर जारी कर दिये जाएंगे।
जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का महत्व-
जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिये अनिवार्य है। जन्म-मृत्यु पंजीकरण से प्राप्त सूचनाऐं हमारी योजनाओं के नीति निर्धारण में सहायक होती है।
देश एवं प्रदेश की योजनाओं यथा शिक्षण संस्थाएं में, पेयजल एवं विद्युतीकरण कार्य आदि के निर्माण एवं क्रियान्वन हेतु जन्म एवं मृत्यु के आंकडों का उपयोग किया जा सकता है।
जन्म दर का उपयोग परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता ज्ञात करने एवं मृत्युदर, शिशु मृत्यु दर एवं मृत जन्म दर का उपयोग स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के विस्तार हेतु किया जा सकता है।
मृत्यु के कारणों के आधार पर बीमारियों की प्रवृति एवं क्षेत्र विशेष में किस बीमारी का अधिक प्रकोप है, बारे में जानकारी उपलब्ध होती है जिसके आधार पर चिकित्सा सेवाऍं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का महत्व-
जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिये अनिवार्य है। जन्म-मृत्यु पंजीकरण से प्राप्त सूचनाऐं हमारी योजनाओं के नीति निर्धारण में सहायक होती है।
देश एवं प्रदेश की योजनाओं यथा शिक्षण संस्थाएं में, पेयजल एवं विद्युतीकरण कार्य आदि के निर्माण एवं क्रियान्वन हेतु जन्म एवं मृत्यु के आंकडों का उपयोग किया जा सकता है।
जन्म दर का उपयोग परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता ज्ञात करने एवं मृत्युदर, शिशु मृत्यु दर एवं मृत जन्म दर का उपयोग स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के विस्तार हेतु किया जा सकता है।
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