महँगाई भत्ते को फ्रीज किये जाने से शिक्षक हैं आक्रोशित
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। कोरोना की त्रासदी से निपटने के लिए सरकार की मदद के लिये हजारों लोग आगे आ रहे हैं। ऐसे में गुरुजन भला कैसे पीछे रहते। जिले के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और लीपिकों ने एक दिन का वेतन दान किया था। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ से अधिक की धनराशि का योगदान दिया था। अब एक बार पुनः बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए समस्त खण्ड शिक्षा अधिकारियों, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों तथा लीपिकों से जनपद की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करने के लिए सहयोग के रूप में एक दिवस का स्वैच्छिक वेतन अंशदान जिला सदभावना सहयोग समिति में जमा करने हेतु सहमति प्रदान करने के संबंध में अपील की है। साथ ही समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने विकासखंड के समस्त शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों एवं लिपिकों से 1 दिन के वेतन कटौती की सहमति लेकर जल्द से जल्द अधोहस्ताक्षरी कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
शिक्षक पुनः एक दिन के वेतन कटौती के लिए सहमत नहीं- शिक्षक पुनः एक दिन के वेतन कटौती के लिए सहमत नहीं हैं। शिक्षकों का कहना है कि हम लोगों द्वारा पहले ही एक दिन का वेतन दिया जा चुका है इसके अलावा सरकार ने हम लोगों का महंगाई भत्ता डेढ़ साल के लिए फ्रीज कर दिया है, साथ ही अन्य भत्तों पर भी रोक लगा दी है। अतः हम लोग अब किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि अगर सरकार को हम लोगों से सहयोग लेना ही है तो हम लोगों के महंगाई भत्ते पर लगाई गई रोक को सरकार तत्काल वापस ले। हम लोग एक दिन का नहीं बल्कि एक माह का पूरा वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दे देंगे किंतु जब हम लोगों के साथ सरकार अच्छा नहीं कर रही है तो हम भी सरकार के साथ नहीं है, वैसे भी सरकार हम लोगों के महँगाई भत्ते को फ्रीज करके प्रति शिक्षक प्रति वर्ष एक लाख से ज्यादा का नुकसान कर रही है। हम लोगों के महँगाई भत्ते का पैसा तो वैसे ही सरकारी कोष में जा रहा है।