कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। पुस्तकों को ज्ञान का बाग भी कहा जाता है। यदि कोई इन पुस्तकों से सच्ची दोस्ती कर ले तो यकीन मानिए उसे जीवन भर का ज्ञान कुछ ही समय में मिल जाता है। लॉकडाउन में भी पुस्तकें दोस्ती का पूरा फर्ज निभा रही हैं। लॉकडाउन के 42 दिन बीत चुके हैं, किताबें पढ़ने के शौकीन इस वक्त को बेशकीमती मानते हुये अपनी पसंदीदा किताबों में रमे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट सर्फिंग के मुकाबले किताबें पढ़ते हुए गुजारा जाने वाले वक्त ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होता है और किताबें मनोबल बढ़ाती हैं।
शायद यही कारण है कि इस मुश्किल घड़ी में कई पुस्तक प्रेमी इन्हीं पुस्तकों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता रहे हैं। आधुनिक युग में जैसे-जैसे हम उन्नति कर रहे हैं वैसे-वैसे किताबों से भी दूर होते चले जा रहे हैं। इंटरनेट की इस दुनिया में कुछ ही लोग ऐसे हैं जो किताबों के महत्व को आज भी जानते हैं। शायद इन्हीं लोगों की वजह से किताबों का अस्तित्व आज भी बना हुआ है। पुस्तक प्रेमी इस बात को अच्छे से जानते हैं इसलिए इस शांत वातावरण में उनका दिन और रात पुस्तकों के साथ ही बीत रहा है। इसके अलावा उन लोगों की भी पुस्तकों से नजदीकियां बढ़ी हैं जो सालों से समय न मिल पाने के कारण इनसे दूरी बनाए हुए थे।बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए करें प्रोत्साहित-
सर्वविदित है कि किताबें पढ़ने से हमारा भाषा ज्ञान व शब्दकोश बढ़ता है। किसी विषय की गहरी जानकारी पता लगती है जिससे संवाद क्षमता बढ़ती है। कहानी पढ़ने से मन में आगे जानने की उत्सुकता और कल्पनाशक्ति बढ़ती है। विजुअल कंटेंट देखते समय हम विजुअल पावर में बंध जाते हैं और आगे नहीं सोच पाते हैं। किताबें पढ़ना याददाश्त को बढ़ाने के साथ-साथ हमें प्रेरित भी करती हैं। सोने से पहले किताब पढ़ने की आदत से अच्छी नींद आती है। इसका कारण है कि हम अपनी उठापटक भरी जिंदगी में हजारों विचारों से घिरे रहते हैं जिससे हमारा मन अशांत रहता है। ऐसे विचारों से ध्यान हटाने के लिए किताब पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर होता है। किसी एक चीज पर ध्यान केंद्रित होने से कंसंट्रेशन पावर बढ़ती है जो नींद लाने में सहायक है।