कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। निजी कंपनियों के कर्मचारी लॉकडाउन के बाद फिर से अपनी कम्पनी में जाने को लेकर गहरे तनाव में हैं। उन्हें यह आशंका सता रही है कि उनके कार्यस्थल पर उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा का ठीक से ध्यान रखा जायेगा या नहीं। प्राइवेट कंपनियों के कुछ कर्मचारियों के बीच किए गये एक सर्वेक्षण में इसका खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण में शामिल 93 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने कार्यस्थल पर जाने को लेकर गहरे तनाव में हैं। लॉकडाउन के दौरान पिछले दिनों कई तरह की व्यावसायिक गतिविधियों और कामकाज की इजाजत दी गई है। इससे यह उम्मीद बढ़ी है कि 17 मई के बाद लॉकडाउन शायद आगे न बढ़ाया जाये और अगर इसे बढ़ाया भी जाता है तो संभवत: कई और भी चीजें खोली जायेंगी। अभी सरकारी दफ्तर तो खुल ही गए हैं साथ ही निजी क्षेत्रों के व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व कम्पनियों को 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ खोले जाने के निर्देश दिये गये हैं। ऐसे में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के भीतर लॉकडाउन के बाद की स्थिति को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं हैं। सर्वेक्षण के अनुसार 85 फीसदी कर्मचारी चाहते हैं कि वे जब दोबारा काम पर लौटें तो उसके पहले पूरे ऑफिस परिसर या कार्यस्थल को सैनिटाइज किया जाये। यह सर्वे माइंडमैप एडवांस द्वारा दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु की छोटी, मध्यम और बड़ी 560 कंपनियों के कर्मचारियों पर किया गया है। सर्वे में 85 प्रतिशत पुरुषों और 15 फीसदी महिलाओं के विचार लिये गये हैं। 59 प्रतिशत कर्मचारी अपनी सेहत को लेकर चिंतित हैं जबकि 25 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि वे अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर घबराए हुये हैं। बचे 16 प्रतिशत इस आपदा के लंबा खिंचने से डरे हुए हैं। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के साथ जिस तरह से संक्रमण का ग्राफ बढ़ा है उससे एक बात साफ हो गई है कि यह महामारी जल्दी हमारा पीछा नहीं छोड़ने वाली। यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वीकार की है। अब सबने मन बना लिया है कि कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा। आखिर लॉकडाउन की एक सीमा है और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को बहुत लंबे समय तक स्थगित नहीं किया जा सकता। ऐसे में दफ्तरों और कारखानों को खोलना पड़ेगा। कुछ कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम का एक रास्ता जरूर खोजा गया है लेकिन उसकी भी एक सीमा है। कुछ कार्य ऐसे हैं जिनके लिए दफ्तर खोलना ही होगा। ऐसे में कर्मचारियों की चिंता वाजिब है। तमाम नियोक्ताओं और संचालकों को अपने दफ्तर के स्वरूप और कामकाज के तौर-तरीकों को नई चुनौती के अनुरूप ढालना होगा। उन्हें यह काम स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सलाह लेकर करना चाहिए। जिस तरह दफ्तरों में आग से बचाव या अन्य आपातकालीन स्थितियों के लिए इंतजाम होते हैं, वैसा ही कुछ अब कर्मचारियों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए भी करना होगा। बैठने की व्यवस्था से लेकर काम करने की पाली और बाकी चीजों को भी इसी के मुताबिक तय करना होगा। ऐसे हर जरूरी बदलाव को लेकर सरकार ने कुछ मानक भी तय कर दिये हैं जिससे प्राइवेट कम्पनियों में कार्य करने वाले लोगो को भी परेशानी न हो और कोरोना संक्रमण से बचा जा सके।