कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इससे संक्रमित लोगों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें इसके लिए अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ व संसाधनों का होना अत्यंत आवश्यक है परन्तु हमारे देश में ही नहीं प्रदेश में ही फार्मासिस्टों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। फार्मासिस्ट सेवा संस्थान के अध्यक्ष पंकज मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ विभाग में ट्रॉमा सेंटर, पीएचसी, सीएचसी एवं जिला अस्पतालों, मेटरनिटी विंग में करीब 40 हजार फार्मासिस्टों के पद खाली हैं। इस सन्दर्भ में प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य व मुख्य सचिव को कई बार पत्र भेजकर अवगत कराया है लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। वहीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर के पूर्व छात्र राजेश बाबू कटियार का कहा है कि सरकार प्रदेश के प्रशिक्षित फार्मासिस्टों को अवसर दे तो स्वास्थ्य सेवाओं को बदहाली से बचाया जा सकता है।उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट के हजारों पद खाली पड़े हैं। सरकार कभी संविदा पर भर्ती की बात करती है तो कभी बैच बाई बैच चयन करने का दिलासा दिलाती है। कोरोना वैश्विक महामारी के बावजूद फार्मासिस्टों को नियुक्त नहीं कर रही है। फार्मासिस्टों ने कोरोना से निपटने में योगदान देने हेतु उच्च अधिकारियों को कई बार ज्ञापन दिया है फिर भी सब गहरी नींद में सोये हुये हैं। प्रदेश में लगभग 90 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट बेरोजगार घूम रहें हैं। इनमें बहुत से फार्मासिस्ट ओवरऐज भी हो गये हैं। यदि सरकार स्वास्थ्य सेवाएं दुरस्त करना चाहती है तो वह अस्पतालों में रिक्त पड़े फार्मासिस्टों के पदों को तुरंत भरे। फार्मासिस्ट सेवा संस्थान ने मुख्यमंत्री व शासन को इस संदर्भ में कई पत्र भेजें हैं।