बौद्धाचार्य शान्ति स्वरूप बौद्ध बोले सरकार म्यूजियम बना संरक्षित करे अयोध्या की बौद्ध विरासत
भारतीय बौद्ध महा सभा विदर्भ प्रदेश महासचिव शंकर राव ढेगरे की मांग, खुदाई में मिले अवशेषों का पुनर्निमाण हो
कानपुर/नईदिल्ली। अयोध्या में कहीं भी किसी भी स्थान पर खुदाई करवा के देख लो वहां बुद्ध विरासत ही मिलेगी हम यह लिख कर दे सकते है। यह बात बौद्धाचार्य शान्ति स्वरूप बौद्ध ने कही और सरकार से मांग की है कि अयोध्या के समतलीकरण के दौरान खुदाई में निकली बौद्ध विरासत के अवशेषों को सहेजा जाना चाहिए। उन्होंने एक वार्ता में कहा कि राम मन्दिर मुबारक हो लेकिन अयोध्या बौद्ध नगरी है। खुदाई में निकले साक्ष्य इसके प्रमाण है। राम मन्दिर परिषर की जगह जगह खुदाई कराकर वहां के बौद्धकालीन अवशेषों को और बौद्ध विरासत को म्यूजियम में सहेजा जाना चाहिए। इलाहबाद के किले में कैद बुद्ध विरासत को भी सहेजें। इधर भारतीय बौद्ध महासभा ने सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार व महानिदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखकर अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण हेतु समतलीकरण की खुदाई में मिले अवशेषों के संरक्षण सहित प्रचीन अवशेषो की जमीन को अधिगृहित करें और उसकी सम्पूर्ण खुदाई कराई जाए। अवशेष नष्ट करने वालों पर दण्डात्मक कर्यवाही हो। खुदाई के दौरान संस्था के पुरातत्वविद चार प्रतिनिधि नियुक्त करने की मांग की है।साथ ही खुदाई मे मिले अवशेषों का पुनर्निमाण कराने की मांग है। इसके लिए सरकार को संस्था मदद करेगी। संस्था के विदर्भ प्रदेश महासचिव शंकर राव डेगरे ने स्पष्ट किया है कि न्यायालय जाने को मजबूर न करते हुए उनके निवेदित मांगो पर कार्यवाही की जाएगी। उधर भिक्खु सुमित रत्न ने साकेत मुक्ति आंदोलन छेड़ा है उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमत्री सहित मुख्यमंत्री और पुरातत्व विभाग के महानिदेशक को बौद्ध विरासत के सरक्षण को ज्ञापन भेजा है। भिक्खु सुमित की अगुवाई में अब तक 123 जनपदों के जिलाधिकारियों की मार्फ़त ज्ञापन दिए गए है।