Wednesday, November 27, 2024
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अरुणाचल प्रदेश ने मार्च 2023 तक सभी को नल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। अरुणाचल प्रदेश द्वारा अपने यहां 100% घरेलू नल कनेक्शनों के लक्ष्‍य को प्राप्त करने के लिए बनाई गई वार्षिक कार्य योजना को राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, जल शक्ति मंत्रालय ने मंजूरी दे दी। इस राज्य ने मार्च, 2023 तक सभी परिवारों को 100% नल कनेक्शन प्रदान करने का प्रस्ताव रखा। भारत सरकार ने वर्ष 2020-21 में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत इस राज्य के लिए 255 करोड़ रुपये मंजूर किए। राज्यों को कार्य-प्रदर्शन अनुदान के रूप में अतिरिक्त धनराशि दी जाती है जो स्‍पष्‍ट नजर आने वाले नतीजों यानी घरेलू नल कनेक्शनों और उसके अनुरूप वित्तीय प्रगति की दृष्टि से उनकी उपलब्धि पर आधारित होती है। राज्य वर्ष 2020-21 में कुल 2.18 लाख ग्रामीण परिवारों में से 77,000 को नल कनेक्शन देने की योजना बना रहा है। योजना बनाते समय आकांक्षी जिले, गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों, सांसद आदर्श ग्रामीण योजना के गांवों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर कवर करने पर विशेष जोर दिया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश में पानी की उपलब्धता कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन योजना के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियां दुर्गम पहाड़ी इलाका, बिखरी हुई बस्तियां और कठोर जलवायु परिस्थितियां हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने सभी गांवों/बस्तियों को कवर करने के लिए एक सुव्‍यवस्थित योजना बनाई है, ताकि हर ग्रामीण परिवार के यहां पेयजल पहुंच सके। ‘जल जीवन मिशन’ दरअसल राज्य को अपने नागरिकों के घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है, ताकि महिलाओं और लड़कियों का इससे जुड़ा बोझ कम हो सके।
राज्य ‘नीचे लटके फलों’ अर्थात उन गांवों/बस्तियों को लक्षित कर रहा है, जहां पाइप के जरिए जलापूर्ति योजनाएं पहले से ही मौजूद हैं, ताकि शेष परिवारों को कम से कम समय में आसानी से नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जा सकें। राज्य की योजना समाज के कमजोर वर्गों के सभी शेष परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत नल कनेक्शन प्रदान करने की है। कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार का प्रयास यह है कि लोग जल कनेक्‍शन वाले सार्वजनिक स्‍थानों/पेयजल स्रोतों पर भीड़ न लगाएं। राज्य को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए गांवों में जलापूर्ति से जुड़े कार्य तत्काल शुरू करने की सलाह दी गई थी, जिससे सामाजिक दूरी बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त करने में मदद मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को भी नई गति मिलेगी।
ग्रामीण समुदाय की सक्रिय भागीदारी के साथ ग्राम कार्य योजना (वीएपी) के प्रभावकारी कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया गया है। स्थानीय समुदाय दीर्घकालिक स्‍थायित्‍व सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना बनाने, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। स्थानीय समुदायों को नियमित देख-रेख और संचालन एवं रखरखाव के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कौशल बढ़ाने वाले कार्यों की योजना बनाई जाती है ताकि बेरोजगार युवाओं को प्लंबिंग, चिनाई, फिटिंग, बिजली इत्‍यादि का प्रशिक्षण दिया जा सके। इससे प्रशिक्षित मानव संसाधनों का एक समूह ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध हो सकता है और उन्‍हें स्थानीय स्तर पर काम में लगाया जा सकता है। मनरेगा एवं एसबीएम(जी) जैसे विभिन्न कार्यक्रमों में समुचित समन्‍वय, पीआरआई को 15वें वित्‍त आयोग से अनुदान, जिला खनिज विकास कोष और कैम्‍पा के साथ-साथ ग्राम स्तर पर स्थानीय क्षेत्र विकास कोष, इत्‍यादि के जरिए पेयजल आपूर्ति प्रणालियों के दीर्घकालिक स्‍थायित्‍व के लिए मौजूदा पेयजल स्रोतों को मजबूत करने की योजना बनाई जाती है, ताकि सभी उपलब्ध कोषों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जा सके। राज्य को वर्ष 2020-21 के दौरान पीआरआई को 15वें वित्त आयोग से अनुदान के तहत 231 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस राशि का 50% जल और स्वच्छता पर खर्च करना अनिवार्य है।
‘जल जीवन मिशन’ के तहत जिला और राज्य स्तरों पर जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता दी जाती है। जल की गुणवत्ता पर करीबी नजर रखने के कार्य में समुदाय को शामिल किया जा रहा है। समुदाय को सशक्त बनाने और उसकी सेवाएं लेने की व्‍यवस्‍था की गई है। इसके लिए कार्य योजना तैयार की जाती है, ताकि समय पर किटों की खरीद, समुदाय को किटों की आपूर्ति, हर गांव में कम से कम पांच महिलाओं की पहचान करने, फील्ड टेस्ट किटों के उपयोग के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने जैसी विभिन्न नियोजित गतिविधियों को शामिल किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वर्ष 2024 तक देश के हर ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 2019 को ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की थी। राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किए जा रहे इस मिशन का लक्ष्य हर ग्रामीण परिवार को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) के सेवा स्तर (सर्विस लेवल) पर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, ताकि ग्रामीणों के जीवन स्‍तर को बे‍हतर किया जा सके।