लॉकडाउन खुलने के बाद जो आवागमन कम था अब रफ्तार पकड़ने लगा है। कोरोना वायरस आपदा के चलते व्यापार, मजदूर वर्ग और जनजीवन बहुत प्रभावित हो रहा था इन सबके बीच इस वायरस से लड़ते हुए लाकडाउन का खुलना ठप्प पड़े व्यापारी वर्ग और आम जनजीवन को राहत दे सकता है। व्यापार या आर्थिक मंदी को फिर से रफ्तार में लाने के लिए लाकडाउन का खुलना जरूरी था क्योंकि पापी पेट के लिए कब तक बंद रह कर जिया जा सकता है। हालांकि पूरे विश्व के मुकाबले हमारे देश में इस वायरस से संक्रमित आंकड़े कम है और महामारी को देखते हुए लॉकडाउन का फैसला लिया गया लेकिन लंबे समय तक ये फैसला नहीं लागू किया जा सकता।
अनलॉक फेस -1 जहां जनजीवन को राहत देगा वही संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़ाएगा। जिस तरह से मजदूर वर्ग शहरों से पलायन कर गया है उसे रोजगार की समस्या का सामना करना पड़ेगा और जहां कंपनियों में वर्कर्स की छटनी कर दी गई है वहां काम सुचारू रूप से शुरू होने में खासी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ेगा। पीछे जाता हुआ यह साल विकास की गति कब पकड़ेगा यही एक बड़ा सवाल है? सरकार द्वारा स्व रोजगार की घोषणा से श्रमिक वर्ग को कितना लाभ होगा? बड़ी कंपनियां जो बंद होने की कगार पर है इससे अर्थव्यवस्था किस तरह मजबूत हो पाएगी? जिन कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी हो गई है उनके लिए क्या विकल्प है?
इस वायरस के आक्रमण से लाकडाउन अच्छा उपाय रहा क्योंकि प्रकृति के ऊपर अत्याचार करने के बदले में प्रकृति ने हमें जो लौटाया है वो एक सबक से कम नहीं। अब भी हमें चेतना होगा कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें।
अनलॉक फेस -1 एक सवाल बनकर उभरा है कि क्या हम ऐसी परिस्थितियों में अपने आप को सुरक्षित कर पाएंगे? हमारा व्यापार, सामान्य जनजीवन और सुरक्षा को लेकर हम आत्मनिर्भर हो पाएंगे? -प्रियंका माहेश्वरी।
इस वायरस के आक्रमण से लाकडाउन अच्छा उपाय रहा क्योंकि प्रकृति के ऊपर अत्याचार करने के बदले में प्रकृति ने हमें जो लौटाया है वो एक सबक से कम नहीं। अब भी हमें चेतना होगा कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें।
अनलॉक फेस -1 एक सवाल बनकर उभरा है कि क्या हम ऐसी परिस्थितियों में अपने आप को सुरक्षित कर पाएंगे? हमारा व्यापार, सामान्य जनजीवन और सुरक्षा को लेकर हम आत्मनिर्भर हो पाएंगे? -प्रियंका माहेश्वरी।