जैसा कि हम जानते हैं उत्तर प्रदेश की ६९००० शिक्षक भर्ती आज करीब दो सालों से किसी न किसी विवाद को लेकर अधर में लटकी हुई है। आज ट्विटर के ट्रेंड में यह मुद्दा जोर-शोर से उठ रहा है और कुछ नकारात्मक लोगों के बीच बहुतायत सकारात्मक जवाब भी देखने को मिल रहा है। आज जहाँ कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन ने बहुतों को बेरोजगार बना दिया ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार का बेरोजगारों को नौकरी देने का फैसला वैश्विक स्तर पर उत्तर प्रदेश सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जा रही है। वहीं इस गुणवत्तापूर्ण भर्ती से नाखुश कुछ अराजक तत्व व चंदाखोरों की वजह से इस भर्ती में लगातार बाधा भी उत्पन्न की जा रही है जबकि भर्ती की पूरी प्रक्रिया नियमावली व न्यायालय के आदेशानुसार ही चल रही है।
भर्ती में असफल हुए छात्र तथा चंदाखोरों की मिलीभगत से इस ६९००० शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में गलत नियमावली का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर बेतुकी बयानबाजी व नोंक-झोंक देखने को मिल रही है। जबकि न्यायालय के आदेशानुसार ही जिला आवंटन सूची को जारी करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने काउंसलिंग की प्रक्रिया जैसे ही शुरू की कुछ अराजक तत्वों ने भर्ती पर फिर से स्टे लेकर भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया। ऐसे में आप ही बताएं कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षक चयन करना गलत है क्या? जबकि शिक्षा ही मानव को असल मानव बनाने का कार्य करती है अगर हमारे पास योग्य शिक्षक ही नहीं होंगे तो एक सुदृढ़ व सुयोग्य समाज की स्थापना कैसे होगी।
इस महामारी से उपजी बेरोजगारी के दौरान यह ६९००० शिक्षक भर्ती प्रक्रिया महज ६९००० लोगों को रोजगार नहीं देगी बल्कि ६९००० परिवार के भरण-पोषण का वीणा उठाएगी जिससे भूखमरी व अपराध के स्तर में भी गिरावट आएगी। जब उत्तर प्रदेश सरकार इस गुणवत्तापूर्ण भर्ती प्रक्रिया के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध है तो फिर इसमें अड़ंगा डालने से क्या फायदा इस पर एक कहावत है कि ‘प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्’ जो सत्य है उसे प्रमाण की क्या आवश्यकता! उन अराजक तत्वों को यह नहीं पता कि सत्य को आखिर कितने दिन तक दबाया जा सकता है आखिर में जीत तो सत्य की ही होती है जो कि शाश्वत सत्य है।
पेपर लीक मुद्दा भी एक अहम मुद्दे के रूप में ट्विटर ट्रेंड पर जोर-शोर से उठाया जा रहा है लगभग हर नौकरियों में यह पेपर लीक का जो मामला सामने आ रहा है उस पर लगाम लगाना बेहद जरूरी हो गया है। जितनी जागरूकता व उत्सुकता हम पेपर लीक को मुद्दा बनाने में दिखा रहे हैं अगर इसकी थोड़ी सी जागरूकता व उत्सुकता हम इसके खिलाफ दिखाते तो हालात कुछ अलग होते। प्रश्न यह है कि इन पेपर लीकरों का हौसला बुलंद आखिर क्यों है? इन्हें रकम मुहैया कौन करा रहा है? सच तो यह है कि वह हमारे ही बीच से हैं! सरकार आखिर कहाँ तक पहुंचेगी उससे जितना हो रहा है वह अपने स्तर से इस पर कार्यवाई कर ही रही है। अगर साफ सुथरी भर्तियां चाहते हैं तो इसमें सबकी सहभागिता जरूरी है।
लॉकडाउन से उपजी बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार जी जान से जुटी है वह विरोधियों के हर एक प्रश्न का जवाब भी दे रही है। उम्मीद है कि इस स्टे प्रक्रिया पर भी सरकार अपनी दलील न्यायालय में सकारात्मक रूप से पेश करेगी और जल्द ही इस ६९००० गुणवत्तापूर्ण भर्ती को पूरा कराएगी। वर्तमान बेरोजगारी को देखते हुए यह शिक्षक भर्ती प्रक्रिया संजीवनी का काम करेगी और राज्य को योग्य शिक्षक भी मिल जाएंगे जिससे एक तरफ बेरोजगारी घटेगी और दूसरी तरफ योग्य शिक्षक मिलने से देश की शिक्षा का स्तर भी ऊँचा होगा। आज की उत्तर प्रदेश सरकार सम-विषम हर परिस्थिति में विकास को केन्द्र बिन्दु पर रखा है जो एक राज्य के साथ-साथ देश के भी हित में है। इसी का एक उदाहरण ६९००० शिक्षक भर्ती प्रक्रिया भी है जो इस कोरोना काल में भी पूरी कराना एक सराहनीय व विकासीय पहल है। इस विकासीय पहल में अड़ंगा डालना बेहद ही निंदनीय कार्य होगा। लोगों बस यही अपील कि इस विषय परिस्थितियों से उपजी बेरोजगारी को दूर करने में इस भर्ती प्रक्रिया का पूर्ण होना बेहद जरूरी इस विकासीय प्रक्रिया में सहयोगी बनें! न कि बाधक!
रचनाकार :- मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’ मरहट पवई आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)