कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत जिले के 227 अंशकालिक अनुदेशकों को तीन महीने से मानदेय नहीं मिला है। ऐसे समय में जबकि लॉकडाउन चल रहा है इन अनुदेशकों के लिए घर का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। महज 7000 रुपये प्रतिमाह में 6वीं से 8वीं तक के बच्चों को शारीरिक शिक्षा, कम्प्यूटर व कला आदि विषय पढ़ाने वाले ये अनुदेशक दो रोज की रोटी को मोहताज हैं। जानकारी के मुताबिक समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से इनके मानदेय का मई माह तक का बजट जारी किया जा चुका है लेकिन बीएसए कार्यालय स्तर से अनुदेशकों के मानदेय का भुकतान नहीं किया जा रहा है।
सरकार श्रमिकों को 3 माह गुजारे के लिए अनाज व धनराशि दे रही है। लेकिन अनुदेशक बेहाल हैं। कर्ज लेकर ड्यूटी करने वाले अनुदेशकों के घर चूल्हा ठंडा होने की नौबत है। उच्च प्राथमिक विद्यालय जलालपुर के अनुदेशक श्याम सुदर राजपूत व हेमंत राव, रनियां विद्यालय के पुष्पेंद्र कुमार यादव, बिल्टी विद्यालय के लोकेंद्र सिंह, मंगटा विद्यालय के ताराचंद, प्रबल कुमार, मनेथू विद्यालय के अजीत सिंह और गीता त्रिपाठी जैसे कई अनुदेशकों का कहना है कि मार्च, अप्रैल व मई का हम लोगो को मानदेय अभी तक नहीं मिला है जबकि हम लोगो की ग्रांट बहुत पहले ही आ गई थी। अनुदेशकों का यह भी कहना है कि एक ओर सरकार लॉकडाउन में सभी तरह के श्रमिकों को 3 महीने का पारिश्रमिक एडवांस में दे रही है। वहीं अनुदेशक तीन महीने से इधर-उधर से कर्ज लेकर अपने परिवार का पालन पोषण करने को मजबूर हैं।