Tuesday, November 26, 2024
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चीन के खिलाफ डिप्लोमैटिक सर्जिकल स्ट्राइक की माँग हुई तेज

भारत-चीन झड़प में भारत के २० जवानों की शहादत ने पूरे देश में भूचाल ला दिया है। देश का हर नागरिक चीन से बदला चाहता है। सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर बस एक ही बात की गूँज सुनाई पड़ रही है कि अब चीन के खिलाफ भी डिप्लोमैटिक सर्जिकल स्ट्राइक होना ही चाहिए। चीन ने हर बार की तरह बुजदिल माफिक इस बार भी पीठ में छूरा घोपने का काम किया है उसकी इस नापाक हरकत का जवाब अब भारत सरकार को जरूर देना चाहिए। चीन की हरकतों के मद्देनजर अब वक्त आ गया है कि चीन के खिलाफ अब आर-पार जरूरी, हालांकि इस पर जल्दबाजी में कोई फैसला लेना गलत होगा। इस पर गहन विचार-विमर्श के बाद ही कोई कार्रवाई की जाए ताकि आने वाले समय में भारत को कोई भी आँख दिखाने से पहले हजार बार सोचे। लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की घिनौनी करतूत उड़ी-पुलवामा से कहीं ज्यादा संगीन है।
हालांकि इस घटना के बाद केंद्र सरकार के बयान “हम किसी को उकसाते नहीं हैं मगर हमें कोई उकसाए यह हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं, हम इसका जवाब देने में पूर्णतः सक्षम हैं ” को देखते हुए ऐसा लगा जैसा फरवरी २०१९ में पुलवामा आतंकी हमले के बाद आया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग और मित्रता का भाव रखते हैं मगर जब भी मौका आया है हमनें अपनी अखंडता और संप्रभुता के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी किया है यह १९६२ का भारत नहीं ! सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि भारत अपने जवानों की शहादत को जाया नहीं जाने देगा वह चीन को चीन की ही भाषा में जवाब देना जानता है। शठे शाट्यम् समाचरेत का फार्मूला अपनाने की मांग अब तेज हो चली है। देश की जनता चीन को शारीरिक व मानसिक दोनों रूपों में प्रताड़ित देखना चाहती है हिंदी-चीनी बाय-बाय का नारा सोशल मीडिया पर जोर-शोर से वायरल हो रहा है। ऐसे में मौके को भुनाने का काम अब सरकार को करना होगा आज समूचा भारत देश भारतीय सेना व सरकार के साथ खड़ी है।
अब समय आ गया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर जोर-शोर से चीन पर आर्थिक प्रतिबंध की आवाज को बुलंद करे ताकि चीन की कमर तोड़ी जा सके। कोरोना जैसी खतरनाक महामारी देकर चीन ने पूरी दुनिया को तबाह करने की जंग पहले से ही छेड़ रखी है अब वह धीरे-धीरे अपनी कूटनीति को अंजाम देने के लिए नये-नये हथकंडे भी अपनाना शुरू कर दिया है जिससे यह बात तो बिल्कुल साफ हो गई है कि चीन विश्व शक्ति बनने की लालच में अंधा हो चुका है उसे अच्छे-बुरे का फर्क भी अब ज्ञात नहीं रहा ऐसे में उसे पागलपन के दौरे का मरीज कहा जाना गलत नहीं होगा और पागलपन का इलाज तो आप सब जानते हैं या तो उसे शॉक दिया जाता है या फिर मार दिया जाता है। अब फैसला सरकार पर है कि वह कौन सी विधि अपनाएगी हालांकि जनता की आवाज डिप्लोमैटिक सर्जिकल स्ट्राइक पर ही बुलंद हैं। अब देश के हर नागरिक ने लोकल को वोकल बनाने की अपील को भी स्वीकृति देनी शुरू कर दी है जिससे इस घटना के बाद और भी तेजी देखी जा रही है लोग चीनी उत्पादों को और उसके ठेकों पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं ऐसे में घरेलू बंदियां भी चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव छोड़ेंगी। गौरतलब है कि भारत चीनी उत्पादों का एक विशालकाय बाजार है अगर यह बाजार बंद हो जाता है तो चीन की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। जिसमें भारत ने अपना पहला कदम बढ़ा दिया है टेलिकॉम क्षेत्र में चीनी कंपनियों पर लगेगा प्रतिबंध ! यह देखने में भले ही छोटा लगे मगर इससे चीन को लगेगा जोरों का झटका। अब वक्त आ चुका है कि चीन को उसकी औकात दिखाई जाए भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी सेना है ऐसे में सेना की शहादत डिप्लोमैटिक सर्जिकल स्ट्राइक की श्रद्धांजलि चाहती हैं जो आज जन-जन की आवाज बन गई है। हर तरफ चीन का जोरदार विरोध जारी है इस विरोध का अब सरकार की प्रतिक्रिया पर सीधा असर जरूर देखने को मिलेगा।
मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’