कोविड – 19 के संक्रमण से बचाव स्वरूप अपनाए गए लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुई बेरोजगारी को दूर करने की पहल केंद्र सरकार की गरीब कल्याण रोजगार योजना मील का पत्थर साबित हो इसके लिए जोर-शोर से इसे लागू किया गया। यह योजना अभी ६ राज्यों उत्तर प्रदेश , बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा व राजस्थान के ११६ जनपदों में लागू की जा चुकी है। योजना के शुरू होने पर केंद्र सरकार ने कहा कि यह हमारा प्रयास है कि श्रमिकों को उनके घर के पास ही काम मिले , जो कार्य करके अब तक आप शहरों का विकास कर रहे थे वही काम अपने घर के निकट करके आप अपने गाँव के विकास में योगदान करें। इस योजना के सुंदरतम स्वरूप को देखते हुए यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि यह योजना हमारे श्रमिकों , जो बेरोजगार हो चुके हैं के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। महामारी रूपी लॉकडाउन ने जहाँ उनकी रोजी-रोटी छीन ली थी उसी रोजी-रोटी को फिर से बहाल करने के लिए केंद्र सरकार ने यह गरीब कल्याण रोजगार योजना चलाकर बड़ा ही नेक कार्य किया है। इससे जनता में केंद्र सरकार के प्रति सुंदरतम संदेश का संचार भी तेजी से हो रहा है।
गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत केंद्र सरकार ने श्रमिक मजदूरों हेतु २५ तरह के कार्यों का विकल्प उपलब्ध कराएगी। इसके अन्तर्गत मजदूरों को १२५ दिन तक रोजगार दिया जाएगा। जल जीवन मिशन ग्राम सड़क योजना जैसी कई सरकारी योजना के तहत मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा। जिसके अंतर्गत बहुत सारे कार्यों को संचालित किया जा सकेगा जिससे गांवों का विकास तो होगा ही साथ में मजदूरों की माली हालत में सुधार आएगा। यह योजना समाज कल्याण व मानव कल्याण दोनों ही दृष्टिकोण से हितकारी साबित होगी। मगर हर योजना की तरह इस योजना पर भी सियासत ने तूल पकड़ लिया है। इस योजना को भी लेकर विपक्ष की सियासत जारी है। विपक्ष की मांग है कि बंगाल व छत्तीसगढ़ में भी यह योजना लागू होनी चाहिए। इनका कहना है कि सरकार पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है क्योंकि यहाँ कांग्रेस की सरकार है जबकि इन बातों का खण्डन करते हुए केंद्र ने कहा कि इस योजना में शामिल दो राज्यों में कांग्रेस व एक में बीजेडी की सरकार है । अगर हमें पक्षपात ही करना होता तो यहाँ यह योजना आखिर लागू ही कैसे होती। केंद्र ने कहा कि विपक्ष को विकासीय योजनाओं में सहमति दिखानी चाहिए न कि राजनीति ! केंद्र का कहना है कि जब इस योजना का सूत्रपात किया जा रहा था तब पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ़ की सरकारों ने अपने प्रवासी मजदूरों के आंकड़ें उपलब्ध नहीं कराई थी तो ऐसे में वहाँ इसका लाभ कैसे मिल सकता था। ग्रामीण विकास मंत्री एन एन सिन्हा ने कहा कि भविष्य में अगर इनके आंकड़ें मिलते हैं तो इन राज्यों को भी इस योजना का लाभ जरूर दिया जाएगा।
हालांकि इस योजना के अंतर्गत करीब २५००० प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिए जाने का प्रावधान है जिससे यह उम्मीद जाहिर की गई है कि कोरोना से उत्पन्न हुई देश की बेरोजगारी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा। अब समय आ गया है कि देश का हर नागरिक आत्मनिर्भर बने ताकि नगरों के साथ-साथ गांवों का भी विकास सुनिश्चित किया जा सके घर के निकट जो भी रोजगार होगा उसमें मजदूरों को रहने व आने-जाने पर विशेष खर्च वहन नहीं करना पड़ेगा जिससे उनकी आमदनी खर्च के मुताबिक अधिक होगी और साथ ही साथ गांवों का स्तर भी ऊँचा होगा। इस महत्वपूर्ण विकासीय योजना पर भी कोई सियासत करे, बिलकुल ही गलत है। देश में ऐसी योजनाओं को पक्ष और विपक्ष दोनों को सहयोगी भाव दिखाना चाहिए क्योंकि जब देश की माली हालत ठीक होगी तभी तो राजनीति का स्तर भी ऊँचा हो सकेगा।
– मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’