कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के मामले में रोज नये-नये प्रकरण सामने आते जा रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों में फर्जी शिक्षकों की भरमार है। सरकार भी इस मामले पर गम्भीर हो गई है। सरकार ने सिर्फ बेसिक, माध्यमिक ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षण संस्थानों के फर्जी शिक्षकों की धरपकड़ शुरू कर दी है। पूर्व की सरकारों में बेसिक शिक्षा विभाग में सबसे अधिक फर्जी शिक्षक नियुक्त किये गये हैं। इसे देखते हुये सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत वर्ष 2010 से अब तक की सभी शिक्षक भर्तियों की जांच नये सिरे से शुरू कर दी है इसके लिए विभिन्न जांच समितियों का गठन किया गया है। समिति में अब बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी शामिल किया गया है। जांच के दायरे में आये शिक्षक-शिक्षिकाओं को एक 3 पेज का फॉर्म भरना होगा जिसमें 32 बिंदुओं पर जानकारी दर्ज करनी होगी। फॉर्म जमा होने के बाद जांच कमेटी सभी दस्तावेजों का सत्यापन करेगी।
शासन के निर्देश पर जिला अधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को जांच कमेटी में शामिल किया गया है। इससे पहले जांच समिति एडी बेसिक सदस्य के रूप में थी। अब उनकी जगह बीएसए को शामिल किया गया है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से शिक्षकों को फॉर्म मुहैया कराया जायेगा। जनपद के 2010 के बाद के सभी चयनित शिक्षकों को यह फॉर्म भरना होगा। साथ ही इन शिक्षकों को समस्त शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन की कार्यवाही हेतु संबंधित मूल अभिलेखों व 2 सेट में स्वप्रमाणित छायाप्रतियों तथा इस आशय का नोटरी द्वारा शपथपत्र देना होगा जिसमें यह उल्लेख किया गया हो कि जो अभिलेख प्रस्तुत किये जा रहे हैं वे अभिलेख नियुक्ति के समय प्रस्तुत किये गये अभिलेख ही हैं। इसमें कोई भी तथ्य छुपाया नहीं गया है। मेरे सभी शैक्षिक, आरक्षण सम्बन्धी व अन्य अभिलेख फर्जी या कूट रचित पाये जाने पर मेरा अभ्यर्थन निरस्त कर दिया जाये। इसके लिए मैं स्वयं उत्तरदायी होऊंगा एवं किसी भी प्रकार की विधिक कार्यवाही मुझे मान्य होगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने बताया की जांच कमेटी के पास जब सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के फॉर्म भरकर प्राप्त हो जायेंगे तब जांच कमेटी सभी के शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराना शुरू करेगी। सत्यापन का कार्य जांच कमेटी विभागीय टीम बनाकर भी करा सकती है।