चीन की एक बड़ी गलती उसे अभी और कितनी महंगी पड़ने वाली है, यह चीन सपने में भी नहीं सोच सकता। १९६२ के उस सीधे-सादे, शांति प्रिय भारत को दिमाग में रख चीन जो हिमाकत की, उसे २०२० का भारत जो सीधा भी है, शांति प्रिय भी मगर उसकी शांति में खलल डालने वालों को वह छोड़ता भी नहीं। शायद उसे यह मालूम न था कि यह २०२० का भारत आज विश्व पटल पर एक चमकता सितारा है, उसके साथ चालबाजियां उसे बर्दाश्त नहीं। यह चाणक्य का देश है, जिन्होंने पूरे विश्व को राजनीति व कूटनीति के गुर सीखाए हैं, उसी से कूटनीति कर बहुत बड़ी गलती कर दी खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा। बीस दिन पहले चीन की अवैधानिक प्रतिक्रिया के खिलाफ भारतीय सेना के विरोधी कार्यवाही में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद हमारे बीस जवानों की शहादत पर पूरा देश चीन का खात्मा चाहता है। दोनों देशों के बीच तब से अभी तक तनाव जारी है। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारत हर तरह से, चीन के खिलाफ हर मोर्चे पर पुख्ता तैयारी कर रहा है, फिर चाहे वो आर्थिक हो, सामरिक हो या फिर कूटनीतिक, सबमें चीन पर भारी पड़ता जा रहा है। ऐसे में पूरे चीनी खेमे में भारत से उलझने की गलती के कारण यह डर व्याप्त हो चुका है कि अगली सुबह भारत की प्रतिक्रिया कैसी रहेगी या यों कहें कि जबसे यह हिंसक झड़प हुई है, तब से हर दिन चीन के ऊपर किसी न किसी प्रकार का हमला भारत के द्वारा जारी है। फिर चाहे वह हमला आर्थिक हो, मानसिक हो या फिर शारीरिक, भारत सब पर बराबर चोट दे रहा है, जिससे घबराए व हड़बड़ाए चीन की हालत त्रिशंकु के समान हो गई है, वह न आगे जा सकता है न पीछे क्योंकि उसे भारत आगे आने नहीं देगा और उसकी लालच व भूल उसे पीछे भी नहीं जाने देंगी। सन् २० में २० जवानों की शहादत, लगातार २० दिनों तक २० बड़े झटकों ने चीन की नींव तक को हिलाकर रख दिया है। सबसे पहला कार्य चीन की ठेकेदारी पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने चीन के ५९ एप्लीकेशनों पर पूर्ण पाबंदी लगाकर यह जाहिर कर दिया है कि चीन की दुकान अब भारत में लगभग बंद ही समझिए। इन एप्लीकेशनों के बंद होने से चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है, गौरतलब हो कि इन ५९ एपों में केवल दो एप टिक-टॉक व हेलो एप से ही उसको करीब ४५००० करोड़ का फायदा होता रहा था। उसके बाद भारत ने चीन को 5जी इंटरनेट सेवा दौड़ से चीन की छुट्टी करने से चीन के अरबों रुपये के कांट्रैक्ट निरस्त कर दिए गए। ऐसे में चीन की बौखलाहट लाजमी है, उसकी हर प्रतिक्रिया उसके वैश्विक बहिष्कार में पूर्ण सहायक होता जा रहा है। इसके बाद ड्रैगन को २१००० करोड़ वोल्ट के बिजली करंट दिए गए अर्थात् चीन से आयात किए जाने बिजली के उपकरणों को उपयोग में लाने से साफ-साफ मना कर दिया गया है। भारत प्रतिवर्ष ७१००० करोड़ का बिजली उपकरण आयात करता है जिसमें २१००० करोड़ का आयात केवल चीन से किया जाता रहा था। इसके बाद हीरो साइकिल कंपनी ने चीन के ९०० करोड़ के व्यापार को रद्द कर चीन को एक और बड़ा झटका दिया। आगे एक और झटका चीन को कानपुर-आगरा मैट्रो ठेके से बाहर का रास्ता दिखाने से लगा। उधर बिहार सरकार ने भी चीन पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए चीन से २९.२६ अरब के ठेके को छीन लिया। इस चीन विध्वंस प्रतियोगिता में शिरकत करते हुए रेलवे ने भी चीन से हुए ४७१ करोड़ रुपये के ठेके को निरस्त कर दिया। इस यज्ञ में दिल्ली सरकार ने भी चीन को बहिष्कृत करते हुए दिल्ली ई-बस प्रोजेक्ट से चीन की छुट्टी कर दी। भारत सरकार ने चीनी सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा कर चीन को अरबों के नुकसान का जोरदार झटका दिया। भारतीय बाजारों के व्यापारियों ने भी चीनी सामानों की खरीद-फरोख्त से तौबा करना शुरू कर दिया है जिसके कारण भारतीय बाजारों में चीनी सामानों की तादात लगभग सिमटती जा रही है जो चीन को सबसे बड़ा और अहम झटका है जिससे चीन का कोमा में जाना तो तय है। भारत सरकार ने चीन को एक और बड़ा झटका देते हुए एफडीआई के जरिए चीनी निवेशों पर भी नियंत्रण लगाना शुरू कर दिया है। यह सभी झटके इतने बलशाली हैं कि चीन शायद ही इससे बाहर आ पाए, इन कार्यवाहियों को देखते हुए यह कहना बिल्कुल भी गलत न होगा कि भारत के लगभग हर क्षेत्र से चीन का सफाया निश्चित है जो चीनी अर्थव्यवस्था के लिए बिलकुल भी हितकारी नहीं है। उसकी एक गलती उस पर इतनी भारी पड़ जाएगी उसने सपनों में भी न सोचा रहा होगा।
रचनाकार – मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’