भारत में प्रौढ़ शिक्षा अभियान तेज़ करने की ज़रूरत – साक्षरता ही कौशल विकास की कुंजी हैं
डिजिटल इंडिया के तेजी से विकास के बावजूद भारत में अधिक निरक्षरता चिंतनीय – एड किशन भावनानी
भारत हर क्षेत्र में बहुत तीव्र गति से विकास कर नए नए आयाम प्राप्त कर रहा है!!! इसमें कोई दो राय नहीं है। पूरे विश्व में डिजिटल भारत के नए भारत की परिकल्पना से विश्व अचंभित है!!! हम जनसंख्यकीय तंत्र का लाभ देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। जिसमें 135 करोड़ जनसंख्या होने का विशाल मात्रा में लाभ भी हम प्राप्त कर सके, इसके लिए कौशलता विकास मंत्रालय भी बनाया गया है, जिसका सकारात्मक परिणाम भी शीघ्र ही हमें आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगा!!! साथियों बात अगर हम डिजिटल भारत व कौशलता विकास में एक चिंतनीय विषय की करें तो वह है भारत में निरक्षरता का अधिक मात्रा में होना!!! साथियों गांव व कृषि प्रधान भारत में निरक्षरता अभी भी बहुत अधिक है। जबकि हमें मालूम है कि साक्षरता का जीवन की गुणवत्ता से सीधा संबंध होता है!! जिसका प्रभाव स्वाभाविक रूप से पढ़ रहा है!! जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमने वैक्सीनेशन अभियान में देखे कि लोग वैक्सीन लगाने में अनेक भ्रमों, कुरीतियों, मायाजाल से गिरे हुए थे, जो निरक्षरता का ही परिणाम है। स्वाभाविक रूप से साक्षरता बौद्धिक क्षमता को विकसित करता है और सामान्य सोच में गुणवत्ता लाता है!!! इसीलिए साक्षरता को बढ़ाने के लिए भारत को तात्कालिक प्राथमिकता से ध्यान देने की ज़रूरत है। हालांकि इसके लिए नई शिक्षा नीति 2020 को सरकार ने लाया है और उस पर तीव्रता से काम चालू है, परंतु जिनकी उम्र शिक्षा ग्रहण करने की निकल गई है हमें अब ज़रूरत है उन्हें शिक्षित करने की!! याने प्रौढ़ साक्षरता!! साथियों बात अगर हम प्रौढ़ शिक्षा की करें तो 40 प्लस 50 प्लस 60 प्लस जो जीवन में अशिक्षित रह गए हैं, अब ज़रूरत है उन्हें शिक्षित करने की ताकि नए भारत और आत्मनिर्भर भारत में उनका भी भरपूर योगदान सहयोग लिया जा सके। हालांकि प्रौढ़ शिक्षा अभियान चालू किया गया था परंतु अभी इस दिशा में हमें धीमी गति महसूस हो रही है!! जिसे बढ़ाने की तात्कालिक ज़रूरत है जिसे निम्नलिखित उपायों से परिपूर्ण किया जा सकता है। 1)निजी औरशासकीय स्कूलों को प्रौढ़ शिक्षा का सालाना लक्ष्य निर्धारित करना होगा। 2) स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों को रविवार या छुट्टी के दिन प्रौढ़ शिक्षा में योगदान के लिए तैयार करना होगा। 3) जिला प्रशासन से मिलकर सामाजिक संस्थाओं को जिलास्तर पर प्रशिक्षण और अभियान चलाना होगा। 4) शासकीय कर्मचारियों को प्रति व्यक्ति प्रौढ़ शिक्षा का वार्षिक लक्ष्य देना होगा। 5) प्रौढ़ शिक्षा के अधिकतम लक्ष्य को प्राप्त करने वाले बेरोजगारों को शासकीय नौकरी में प्राथमिकता देना होगा। 6) प्रौढ़ शिक्षा देने वाले सेवकों को उच्च शासकीय सम्मान व पुरस्कार देना होगा। 7) प्रौढ़ लोगों को उत्साहित करने के लिए शिक्षा ग्रहण के उपलक्ष में अनुदान देना होगा। 8) प्रौढ़ शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक करना होगा। 9) प्रौढ़ शिक्षा के समकक्ष युवा अशिक्षित नागरिकों के लिए भी रणनीतिक रोडमैप बनाना होगा। साथियों बात अगर हम नए भारत और आत्मनिर्भर भारत में साक्षरता के महत्व की करें तो आत्मनिर्भर भारत की कुंजी है कौशलता विकास और साक्षरता ही कौशलता विकास की कुंजी है!!! इसलिए हम नागरिकों को जितना साक्षर बनाएंगे उतनी तीव्र गतिसे नागरिक कौशलता विकास गुणों को प्राप्त करेंगे और आत्मनिर्भर भारत की गति में तीव्रता आएगी, रोजगार में वृद्धि होगी। इसलिए साक्षरता अभियान तीव्र करने की ज़रूरत है। साथियों बात अगर हम दिनांक 19दिसंबर 2021 को माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि आईटी और डिजिटलीकरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बहुत प्रगति करने के बावजूद, भारत में अभी भी दुनिया के सबसे अधिक निरक्षर व्यक्ति हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हुए उन्होंने इच्छा जताई कि साक्षरता अभियान को एक जन आंदोलन बन जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांवों और कॉलोनियों में प्रत्येक शिक्षित युवा को आगे आना चाहिए और अपने क्षेत्रों या समुदायों के कम से कम एक व्यक्ति को यह सिखाना चाहिए कि कैसे लिखना है और डिजिटल उपकरणों को कैसे प्रचालित करना है तथा सरकारी योजनाओं का लाभ किस प्रकार उठाना है। उन्होंने इसे उनका पीएसआर – व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्व करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति एक व्यक्ति को सिखाए केवल एक नारा भर नहीं रह जाना चाहिए, बल्कि यह युवाओं के लिए एक प्रेरक शक्ति बन जानी चाहिए। उन्होंने मिशन मोड में निरक्षरता उन्मूलन का आह्वान करते हुए, स्कूलों को अपने छात्रों को सप्ताहांत पर अपने क्षेत्रों में वयस्क शिक्षा अभियान शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि छात्रों को ऐसे कार्यकलापों के लिए कुछ अतिरिक्त अंक दिए जाने चाहिए। यह देखते हुए कि साक्षरता की उच्च दर सीधे तौर पर किसी देश की आर्थिक प्रगति और उसके नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता से संबंधित है, उन्होंने सुझाव दिया कि भारत जैसे विकासशील देश में साक्षरता और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न विकास कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन और परिणाम में मदद करती है। उन्होंने साक्षरता को कौशल शिक्षा की पूर्व शर्त करार देते हुए कहा कि यह न केवल व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार करती है बल्कि उसके सामाजिक जीवन को अधिक सक्रिय और मर्यादित बनाने में भी मदद करती है। सभी से भारत को पूर्ण रूप से साक्षर और शिक्षित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने कहा कि साक्षरता और शिक्षा लोगों को स्वाधीन बनाती है।वेपरिवर्तन और प्रगति के मूलभूत साधनों के रूप में काम करती हैं। निरक्षरता के अलावा, उन्होंने गरीबी, शहरी-ग्रामीण विभाजन, सामाजिक भेदभाव और लैंगिक भेदभाव जैसी विभिन्न अन्य चुनौतियों पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि साक्षरता का जीवन की गुणवत्ता से सीधा संबंध है!!! भारत में प्रौढ़ शिक्षा अभियान तेज़ करने की ज़रूरत है तथा साक्षरता कौशलता विकास की कुंजी है। डिजिटल इंडिया के तेजी से विकास करने के बावजूद भारत में अधिक निरक्षरता चिंतनीय विषय है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र