⇒कांग्रेस से लोधी प्रत्याशी होने के बाद भी नहीं हुआ मतों का बिखराव
पुष्पेंद्र मिश्र: मैनपुरी। जिले में दो विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर सपा को मात दी है। इसमें भोगांव विधानसभा में लोधी वोट के ध्रुवीकरण के चलते भाजपा जीतने में कामयाब हुई। लोधी वोट का ध्रुवीकरण इसलिए भी अहम है क्योंकि भोगांव विधानसभा में लोधी प्रत्याशी भी मैदान में था।
सियासत में भोगांव विधानसभा सीट की अपनी अलग ही जगह है। बीते दो चुनावों में यहां से जीतने वाले विधायकों का मंत्रिमंडल में स्थान मिलने से ये और भी अहम हो जाती है। लगातार दूसरी बार इस चुनाव में भाजपा के रामनरेश अग्निहोत्री ने जीत दर्ज की। पिछली सरकार में वे योगी मंत्रिमंडल में बतौर आबकारी मंत्री शामिल हुए थे। इस बार भोगांव के रण में मुकाबला कड़ा था। भाजपा का कोर वोटर कहे जाने वाले लोधी वोटर में बिखराव करने के लिए यहां कांग्रेस ने भी ममता राजपूत को मैदान में उतारा था। विधानसभा सीट के जातीय गणित की अगर बात करें तो यहां सर्वाधिक 70 हजार लोधी वोटर हैं। ऐसे में ये वोटर ही हमेशा भाजपा के लिए निर्णायक रहा है। परिणाम आए तो पता चला कि लोधी वोटरों के बिखराव के लिए चली गई चाल कामयाब नहीं हो सकी। कांग्रेस से प्रत्याशी ममता राजपूत को महज 2121 वोट ही मिले सके। इससे साफ हो गया कि लोधी वोट भाजपा की ओर ही केंद्रित रहा। इसी के चलते रामनरेश अग्रिहोत्री को 97,208 वोट के साथ जीत मिली। प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी आलोक शाक्य को 92,441 वोट मिले।सदर सीट पर भाजपा ने यादव वोट बैंक में लगाई सेंध
मैनपुरी सदर सीट पर भाजपा ने जयवीर सिंह के साथ एक दशक के बाद वापसी की। इस जीत के लिए कहीं न कहीं यादव वोट बैंक में लगाई गई सेंध की भूमिका अहम है। दरअसल, मैनपुरी सदर विधानसभा यादव बहुल है। इसके चलते ही दो बार लगातार सपा को इस सीट पर जीत मिली। सपा का कोर वोटर कहे जाने वाले यादव वोटर में इस बार कुरावली क्षेत्र के साथ ही बन्न दल क्षेत्र में भी भाजपा ने अपनी धाक जमाई। पिछले चुनाव में सपा प्रत्याशी राजकुमार यादव ने लगभग नौ हजार वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं इस बार उन्हें साढ़े छह हजार के करीब वोटों से भाजपा के जयवीर सिंह ने हरा दिया।
करहल में खूब चला सपा का ट्रंप कार्ड
मैनपुरी। यादव वोटबैंक हमेशा से ही सपा का ट्रंप कार्ड रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में करहल सीट पर भी सपा का ये ट्रंप कार्ड खूब चला। इसी का नतीजा रहा है कि पिछले चुनाव की अपेक्षा यहां सपा को इस बार 44 हजार के करीब अधिक वोट मिला। अखिलेश यादव को यहां कुल 1,48,196 वोट मिला। इससे पहले कभी सपा प्रत्याशी को इतना वोट कभी नहीं मिला। हालांकि साइकिल की रफ्तार को थामने के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में भेजे गए प्रो. एसपी सिंह बघेल ने भी यहां कमल खिलाने की पुरजोर कोशिश की। इसी का नतीजा रहा कि इस बार भाजपा को भी यहां बीते चुनाव की अपेक्षा 15 हजार वोट अधिक मिला। प्रो. एसपी सिंह बघेल 80,692 वोट पाकर यहां दूसरे स्थान पर रहे।
सपा के कोर वोटर और एससी ने दिलाई बृजेश को जीत
मैनपुरी। जिले की किशनी सीट पर भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बृजेश कठेरिया को जीत दिलाने में सपा के कोर वोटरों की भूमिका अहम रही। सुरक्षित सीट किशनी पर सर्वाधिक एससी वोटर ही है। इस कारण सपा और भाजपा दोनों ही प्रत्याशी एससी वोट को एकजुट करने में ही जुटे थे। इस जोड़-जुगत के बीच सपा का कोर वोट यादव और एससी वोट मिल गया और बृजेश कठेरिया को जीत हासिल हुई। बृजेश कठेरिया को बीते चुनाव से लगभग 17 हजार वोट अधिक मिले। हालांकि भाजपा प्रत्याशी डॉ. प्रियरंजन आशू ने भी कहीं न कहीं वोट के मामले में बढ़त बनाई। बीते चुनाव की अपेक्षा भाजपा प्रत्याशी को यहां 14 हजार वोट अधिक मिले। हालांकि यहां भाजपा का कोर वोट माने जाने वाले लोधी, क्षत्रिय और ब्राह्मण की संख्या काफी कम है। ऐसे में सपा लंबे समय से इस सीट पर काबिज है। बृजेश कठेरिया भी सपा के टिकट पर लगातार तीसरी बार यहां से विधायक बने हैं।