Wednesday, November 27, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » 20 वर्षों से सूखी नहर को चालू कराने की मांग

20 वर्षों से सूखी नहर को चालू कराने की मांग

हाथरस। मुख्यमंत्री तथा आयुक्त से नहर हाथरस ब्रान्च के समानान्तर 20 वर्षों से सूखी नहर को चालू कराने की मांग की है।
सामाजिक संस्था भारतीय नागरिक कल्याण एवं अपराध निरोधक समिति के केन्द्रीय महासचिव हरीश कुमार शर्मा एडवोकेट ने बीसियों वर्ष पहले सिंचाई विभाग उ.प्र. द्वारा बनाई गई नहर हाथरस के समानान्तर सिंचाई हेतु पानी छुडवाने के लिये मुख्यमंत्री तथा मण्डलायुक्त अलीगढ़ को ई-मेल भेजकर मांग की है।
उन्होंने कहा है कि नहर हाथरस ब्रान्च के समानान्तर एक नहर करीब 20 वर्ष पूर्व सिंचाई विभाग उ.प्र. द्वारा बनाई गई थी। जिसमें किसानों की करोड़ों रूपयों की भूमि अधिग्रहीत करके सिंचाई विभाग द्वारा ली गई थी। किन्तु अभी तक यह नहर अधूरी पड़ी है। आज तक इसमें पानी नहीं आया है। परिणामतः उद्देश्य ही विफल हो गया है। यह नहर इगलास (अलीगढ़) से हाथरस जनपद में होकर जलेसर (एटा) और फिरोजाबाद तक के किसानों को सिंचाई हेतु नहरीय पानी उपलब्ध कराने को बनी थी। इस नहर को अविलम्ब चालू कराकर किसानों को नहरीय पानी सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। इससे अलीगढ़-हाथरस एटा व फिरोजाबाद आदि जिलों के लाखों किसान लाभान्वित हो सकेगें।गत वर्ष मुख्यमंत्री पोर्टल पर उनके द्वारा की गई शिकायत पर अधिशासी अभियंता सिंचाई खण्ड हाथरस द्वारा झूंॅठी और मनगढंत रिपोर्ट लगाकर कहा था कि यह समानांतर नहर खरीफ की फसल हेतु बनाई गई थी जिसमें मील 23 तक पानी आता है। किन्तु अलीगढ़ हाथरस मार्ग पर सड़क पर पुल नहीं बन पाने के कारण पानी यहां से आगे तथा चौनल में नहीं आ पाता, जबकि पानी आज तक कभी नहीं आया। रिपोर्ट पूर्णतः झॅूंठी व मनगढंत थी।
अब तो उक्त पुल भी बन चुका है, किन्तु फिर भी विभागीय निष्क्रियता से उक्त नहर बनाने का उद्देश्य ही विफल हो रहा है। अतः नहर हाथरस ब्रान्च के समानान्तर बनी उक्त नहर में पानी चलवाकर किसानों को लाभान्वित कराया जाये। जहां मरम्मत अपेक्षित हो, ठीक करायें।
उल्लेखनीय है कि चारों जिलों के लिए किसानों की अरबों रूपये की कृषि योग्य भूमि अधिगृहीत करके सिंचाई विभाग उ.प्र. द्वारा यह नहर बनाई गई थी जो आज तक सूखी पड़ी है और विभागीय अंधेरगर्दी के कारण इसमें नहरी पानी चलाने हेतु सिंचाई विभाग के अधिकारी निष्क्रिय हैं। इस प्रकार सरकार का अरबों रूपया और किसानों की लाखों एकड कृषि भूमि बेकार होने से समाज को बहुत बड़ी हानि उठानी पड़ रही है।