वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में योग सप्ताह के अंतर्गत दर्शन एवं संस्कृति विभाग की ओर से 21 जून को ‘योग की भारतीय परंपराएं’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में लंदन की मूल निवासी तथा चंद्रमौलि फाउंडेशन, वाराणसी की सहसंस्थापक, प्रख्यात संस्कृत साधक डॉ. लूसी गेस्ट (दिव्यप्रभा) ने कहा कि योग मोह से मुक्त करने का रास्ता है। स्वयं को पहचाना ही योग की भारतीय परंपरा है।
योग दिवस की संध्या पर महादेवी वर्मा सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की। योग मिशन इंग्लैंड की संस्थापक डॉ. लूसी गेस्ट ने अत्यंत सरल और सहज हिंदी में दिये वक्तव्य में वेद, उपनिषद, रामायण और महाभारत के अनेक संदर्भ देते हुए योग की महत्ता और योग प्रसार में भारत के योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत प्रकाश से भरा हुआ, विद्या से युक्त देश है। पतंजलि के योग विचार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि योग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। यह हजारों वर्ष पुराना है परंतु आज भी नया व उपयोगी है। योग भारतीय ऋषि मुनियों की देन है। इसके महत्व के कारण आज दुनिया के हर देश में योग शब्द प्रचलित हुआ है।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि योग मनुष्य को कर्मवान बनाने का काम करता है। सभी साधना, उपासना और आस्था परंपराओं में समान रूप से उपस्थित योग को समग्रता में देखने की जरूरत है। हमारे सभी धर्म शांति और स्थिरता तलाशने की बात करते हैं, जिनके केंद्र में योग है। स्वागत एवं परिचय वक्तव्य में प्रतिकुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल ने कहा कि इंग्लैंड में जन्मी डॉ. लूसी गेस्ट विशेष परिस्थितियों में भारत आयी। अंग्रेजी मातृभाषी लूसी का भारतीय नाम दिव्यप्रभा है। उन्होंने भारत आने के बाद प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर तक संस्कृत का अध्ययन किया तथा वाराणसी विश्वविद्यालय से संस्कृत व्याकरण में विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भारत और इंग्लैंड की कई संस्थाओं को अपना मौलिक योगदान दिया है। संपूर्ण जीवन योग के लिए समर्पित करने वाली लूसी प्रेरणा पुंज की तरह है। कार्यक्रम का संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया तथा आभार प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।