Tuesday, November 26, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद रखेगी ’जमीन के पानी का हिसाब किताब’

जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद रखेगी ’जमीन के पानी का हिसाब किताब’

⇒जिला अधिकारी होंगे इस परिषद के अध्यक्ष, जारी की गई चेतावनी
⇒लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग को नोडल नामित किया गया
मथुराः श्याम बिहारी भार्गव। जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद जमीन से निकाले गए एक एक बूंद पानी का हिसाब किताब रखेगी। जमीन के पानी का दोहन कर रहे लोगों को चेतावनी दी गई है कि वह अगर जमीन के अंदर से पानी निकाल रहे हैं तो इसका रजिस्ट्रेशन अवश्य करा लें, इसका अनापत्ति प्रमाणपत्र भी हासिल करना होगा। तय समय सीमा तक तमाम कामर्शियल उद्देश्य से भूगर्भीय जल का दोहन कर रहे लोगों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।
मुख्य विकास अधिकारी, सदस्य सचिव जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद मनीष मीना ने अवगत कराया है कि जनमानस को गुणवत्तापरक भूजल की आपूर्ति समान रूप से निरन्तर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) अधिनियम 2019 लागू किया गया है। अधिनियम के प्रावधानों के समुचित एवं समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश (प्रबंधन और विनियमन) नियमावली 2020 भी जारी की जा चुकी है। भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के अंतर्गत विविध प्रावधानों जैसे कृषि एवं घरेलू उपयोक्ताओं, वाणिज्यिक, औद्योगिक, अवसंरचनात्मक एवं आरओ प्लांट सामूहिक भूगर्भ जल उपयोक्ताओं एवं भूगर्भ कूप निर्माण की समस्त ड्रिलिंग संस्थयों के पंजीकरण, रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र निर्गमन आदि कार्य के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद का गठन किया गया है। इन सेवाओं के क्रियान्वयन हेतु एक वेब पोर्टल विकसित किया गया है, जिसके संचालन के लिए लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग को नोडल नामित किया गया है।⇒इनके लिए है पंजीकरण और एनओसी अनिवार्य
इस अधिनियम के अन्तर्गत भूगर्भ जल के वर्तमान वाणिज्यिक, औद्योगिक, अवसंरचनात्मक एवं सामूहिक उपभोक्ताओं (अधिष्ठान यथा होटल, लॉज, आवासीय कॉलोनियों, रिजाडो, निजी चिकित्सालयों, परिचर्चा गृहो, कारोबार प्रक्षेत्रों, माला, वाटर पार्क, आरओ प्लांट, कार धुलाई केन्द्र इत्यादि) को अपनी बोरिंग के लिए एनओसी एवं पंजीकरण कराना अनिवार्य है। साथ ही इन फर्मों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना एवं फ्लोमीटर लगाना आवश्यक है।
⇒एक साल तक जेल, पांच लाख तक जुर्माना
भूगर्भ जल अधिनियम 2019 एवं नियमावली 2020 का अनुपालन न करने पर दो लाख से पांच लाख तक अर्थदण्ड अथवा छह माह से एक वर्ष का कारावास निर्धारित किया गया। उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) अधिनियम 2019 के अध्याय दस के नियम 48 में दिये गये प्रावधानों के अनुसार सभी को अपनी फर्म का 15 दिन के अन्दर वेब पोर्टल पर आवेदन कर पंजीकरण, अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत कराना सुनिश्चित कराना होगा, अन्यथा फर्म के विरुद्ध भूगर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) अधिनियम 2019 में निहित प्रावधानों के अनुसार दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी, जिसके लिये उपभोक्ता स्वयं उत्तरदायी होगें।