-नहीं दिखते रेट, न पानी, न ही फर्स्ट ऐड बॉक्स, शिकायत पुस्तिका भी गायब, ‘नो हेलमेट-नो पेट्रोल’ वाला नियम भी ताक पर
पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। जनपद के अंदर अधिकांश फिलिंग स्टेशन पर उपभोक्ताओं को जनसुविधाएं सुलभ नहीं हो पा रही हैं। यहां तक कि ज्यादातर पेट्रोल पंप मानक के विपरीत भी काम करते दिख रहे हैं और संचालक की गैर मौजूदगी में यहां काम करने वाला कर्मचारी किसी भी भाषा का अनियंत्रित ढंग से उपभोक्ता पर उपयोग करता हुआ देखा जा सकता है। उल्लेखनीय यह है कि कई महीनों से जिलाधिकारी और जिला पूर्ति निरीक्षक को जनपद के किसी भी तहसील क्षेत्र में फिलिंग स्टेशन की जांच करते हुए भी नहीं देखा गया, जबकि कई बार खबरों के प्रकाशन के साथ साथ, ट्विटर पर संबंधित विभाग और अधिकारियों का ध्यान भी आकर्षित कराया जा चुका है। जिले भर में खुले अधिकांश पेट्रोल पंप बिना हवा, बिना पानी, शौचालय में गंदगी और यहां तक कि न तो उनके पास फर्स्ट एड बॉक्स है और न ही वहां की अव्यवस्थाओं को दर्ज करने के लिए शिकायत पुस्तिका और न ही उपयोगी नंबर। जिससे कि संचालक या वहां के मैनेजर तक उपभोक्ताओं की शिकायत आसानी से पहुंच सके। उपर्युक्त इन जन सुविधाओं के ना होने पर भी जिले के उच्चाधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। उपभोक्ताओं को सुविधा दिलाने के नाम पर पेट्रोल पंप संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखा जा रहा है और प्रशासन पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है।
पेट्रोल पंप कर्मियों की भाषा शैली बताती है कि अशिक्षित हैं या अनट्रेंड-
बता दें कि गांव देहात ही नहीं हाईवे पर स्थित पेट्रोल पंप पर भी कर्मचारियों और उपभोक्ताओं द्वारा आपसी बातचीत के दौरान प्रयोग की जाने वाली भाषा शैली से अंदाजा लगाया जा सकता है, किस फिलिंग स्टेशन का कर्मचारी अशिक्षित है या अनट्रेंड । उच्चाधिकारियों को यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि पेट्रोल पंप पर काम करने वाला कर्मचारी ड्रेस कोड के साथ साथ, आई कार्ड को भी पहन कर रखता हो और उसकी भाषा भी संतुलित हो, जिससे कि समाज में अच्छा संदेश जाए। परंतु अधिकतर देखा गया है कि उपभोक्ता यदि किसी भी तरह की शिकायत पेट्रोल पंप पर मौजूद कर्मचारियों से करता है, तो वह अपनी खामियों को छुपाते हुए अभद्रता पर उतर आते हैं। गौरतलब है कि प्रशासन की बनाई हुई गाइडलाइन भी इनके लिए कोई मायने नहीं रखती है।
उपभोक्ताओं की समस्याएं –
किसी भी उपभोक्ता को यदि पेट्रोल और डीजल का रेट पता करना है तो उसे पेट्रोल पंप के अंदर से होकर गुजरना पड़ता है जबकि नियमतः प्रत्येक फिलिंग स्टेशन पर एक बड़े बोर्ड में सुनहरे अक्षरों में पेट्रोल और डीजल का रेट लिखा होना चाहिए। पेयजल की समस्या के साथ-साथ अधिकांश पेट्रोल पंप पर बने शौचालय में भी पानी की समस्या बनी रहती है, इसके साथ ही यहां के कार्यालय में न ही फर्स्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध होता है और शिकायत पुस्तिका भी गायब ही मिलती है, कहीं-कहीं तो केवल पेट्रोल पंप संचालकों द्वारा वहां लगी मशीनों को ही शेड से ढका जाता है, बाकी उपभोक्ता खुले आसमान के नीचे ही खड़े होकर रिफिलिंग करवाते हैं। खास बात तो यह है कि प्रशासन के बनाए हुए नियम की भी अवहेलना देखी जा सकती है, जो कि सड़क सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है पूर्व में नियम बनाए गए थे कि बिना हेलमेट अथवा सीट बेल्ट लगाए वाहन चालक को पेट्रोल पंप कर्मियों द्वारा पेट्रोल डीजल का वितरण नहीं किया जाएगा, परंतु इसका चलन भी अब पूरी तरह से बंद हो चुका है।