बागपत। बडौत दिगंबर जैन समाज समिति के तत्वावधान में बड़ौत नगर के ऋषभदेव सभागार में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज का मंगल प्रवचन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से शुभम् जैन द्वारा किया गया। चित्र अनावरण, जिनवाणी भेंट और पाद प्रक्षालन सोनू जैन मुंबई और उनके सहयोगी द्वारा किया गया। सभा मे दिगम्बराचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने कहा कि जिनका आचरण पवित्र होता है, उनके चरणों की भी पूजा होती है। आचरण से चरण भी पूज्य हो जाते हैं। पवित्र-विचार ही श्रेष्ठ चारित्र निर्माण में सहायक होते हैं।
दुनिया पूछती और पूजती है, परन्तु जिनका आचरण ठीक नहीं है उन्हें कोई नहीं पूजता। अच्छे-विचारों के साथ आचरण ही श्रेष्ठ होता है। जीवन में उच्चता प्राप्त करना है, तो विचारों को पवित्र करो, आचरण को शुद्ध करो। मंगल- आचरण ही श्रेष्ठ मंगलाचरण होता है। पवित्र भावों से ही श्रेष्ठ भव प्राप्त होते हैं। भाव सँभालो, भव सँभर जायेंगे। सुखी होना है तो नशा छोड़ो, नाशवन्त पर दृष्टि डालना बंद कर दो। नशा धन नाश करता है और आकांक्षा सर्वनाश करती है।
पुण्य बढ़ाओ, पुण्यात्मा जीव के आने पर जंगल में भी मंगल हो जाता है और पापी के संयोग से महल भी श्मशान बन जाता है। पुण्य से ही सुख-सुविधायें मिलती हैं। सुख और समाधि चाहिए, तो संतोष और समता धारण करो। निसंग जीवन जियोगे तो निर्भय रहोगे।स्व आत्मा की शरण प्राप्त करो, स्वात्मा का चिंतन करो। स्वात्मा ही परम-शरण है, स्वात्मा ही मंगलभूत है, स्वात्मा ही उत्तम है। आत्मा ही परमात्मा बनता है। धर्म सभा में प्रवीण जैन, अतुल जैन, पकज जैन, धनपाल जैन, जैन वीर, बहादुर जैन, सुनील जैन, जयकिशन जैन, संदीप जैन, वरदान जैन, सौरभ जैन बम्बई, मद्रास, अहमदाबाद, इन्दौर, दिल्ली, रायपुर आदि से काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।