Sunday, November 24, 2024
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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की पूर्ण पीठ 9 से 11 अगस्त तक लखनऊ में

2017.08.09 07 ravijansaamnaलखनऊ, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश सरकार मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति अत्यंत गंभीर एवं संवेदनशील है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार शासन कि मूल मंशा ‘‘सबका साथ-सबका विकास’’ की भावना को दृृष्टिगत रखकर प्रदेश में अनुसूचितजाति/जनजाति, कमजोर एवं निर्बल वर्ग सहित हर वर्ग के लोगों के मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रति कृत संकल्पित होकर इस दिशा में आगे बढ़कर प्रयास रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस दिशा में शुरू किये गये प्रयासों के सार्थक परिणाम सामने आ रहे है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्ण पीठ के तीन दिवसीय लखनऊ प्रवास के दौरान योजना भवन में आयोजित कैम्प सिटिंग एवं जनसुनवाई के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव गृह, अरविन्द कुमार ने उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जन समस्याओं के प्रति संवेदनशील एवं साफ-सुथरी अच्छी छवि के अधिकारियों की तैनाती जिलों में की गई है। प्रदेश के सभी जिलो में वरिष्ठ अधिकारियों को प्रातः 9 से 11 बजे तक अपने कार्यालय में उपस्थित रहकर जनता से भेंटकर उनकी शिकायतों व समस्याओं की गंभीरता से सुनवाई कर उनके निस्तारण हेतु हर संभव प्रयास करने के निर्देश दिये गये है। प्रमुख सचिव गृह, ने बताया कि जनता कि शिकायतों के त्वरित एवं प्रभावी निस्तारण हेतु ‘‘आई0जी0आर0एस0’’ के माध्यम से आॅनलाइन व्यवस्था की गई है, जिसकी सीधी समीक्षा मुख्यमंत्री के निर्देशन में उनके कार्यालय द्वारा की जा रही है। अरविन्द कुमार ने बताया कि थाना दिवस व तहसील दिवस की शिकायतों को भी इस पोर्टल से जोड़ने की योजना बनाई गयी है। उन्होंने बताया कि शिकायतों के निस्तारण एवं कार्यवाही की गुणवत्ता की सघन समीक्षा की जा रही है। अरविन्द कुमार ने बताया कि प्रदेश में विगत तीन चार माह में घटित सभी संवेदनशील घटनाओं को पूरी तत्परता एवं पारदर्शिता से वर्कआउट किया गया है और इनमें शामिल सभी आपराधिक तत्वों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। उन्होंने बताया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की व्यवस्था को और सुदृृढ़ किया गया है।आॅनलाइन ‘‘ई-एफआईआर’’ की व्यवस्था की गई है। ऐसे मामले जिनमें अभियुक्तों की नामजदगी नहीं होती है, ‘‘ई-एफआईआर’’ के तहत लोगों द्वारा सीधे आनलाइन एफआईआर दर्ज कराये जा रहे है। इसके अलावा समी जिलो में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को उनके कार्यालय के माध्यम से भी एफआईआर दर्ज कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये है।
प्रमुख सचिव गृह, ने बताया कि जमीनों पर अवैध कब्जे की समस्या से निपटने के लिए ‘‘एण्टी भू-माफिया टास्क फोर्स’’ का गठन प्रदेश सरकार द्वारा किया गया है। इसके माध्यम से गरीब एवं निर्बल वर्ग के लोगों की जमीनों पर कब्जे की घटनाओं को कड़ाई से रोकने के प्रयास किये जा रहे है। जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है। महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा हेतु 1090 सेवा प्रभावी ढंग से कार्य कर रही है। इसके अलावा हर जिले मे ‘‘एण्टी रोमियों स्क्वायड’’ का गठन भी महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि आयोग के निर्देशों का तत्परता से अनुपालन कराया जा रहा है और प्रयास किये जा रहे है कि प्रदेश में मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी शिकायते न्यूनतम हों।
आयोग के सदस्य जस्टिस पी0सी0 घोष ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम देश के विभिन्न राज्यों में किये जा रहे है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश इसका आयोजन किया गया है। उन्होंने आयोग के क्रियाकलापों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि बदलते समय में नई चुनौतियां भी सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि लोगों कि सेवा करना शासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। समाज के निर्बल व कमजोर वर्ग के व्यक्तियों की सेवा भाव को प्राथमिकता देते हुए सबकी सेवा-भाव को लेकर हमे आगे बढ़ना है। आयोग के सेक्रेटरी जनरल अम्बुज शर्मा ने कहा कि पूरे देश में इस प्रकार के जनसुनवाई जैसे कार्यक्रम से जहां एक ओर लम्बित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण होता है वहीं क्षेत्र विशेष की समस्याओं एवं वहां किये जाने वाले मानव संरक्षण के प्रयासों की जानकारी भी मौके पर ज्ञात होती है। आयोग के संयुक्त सचिव डा0 रंजीत सिंह ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद दिया। इस अवसर पर आयोग के सदस्य जस्टिस डी0 मुरगेशन, सदस्य एस0सी0सिन्हा, सदस्य श्रीमती ज्योतिका कालरा के अलावा पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह, गृृह सचिव, मणि प्रसाद मिश्र, विशेष सचिव, गृृह डी0के0 सिंह, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अन्य अधिकारीगण, गृह, पुलिस एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र के बाद योजना भवन में मामलों की जन सुनवाई आयोग द्वारा चार बेंच के माध्यम से की गई। आयोग के सदस्य जस्टिस पी0सी0 घोष की अध्यक्षता में 36, सदस्य जस्टिस डी0 मुरगेशन की अध्यक्षता में 54, सदस्य एस0सी0 सिन्हा की अध्यक्षता में 42 तथा सदस्य श्रीमती ज्योतिका कालरा की अध्यक्षता में 39 मामले सुनवाई के लिए रखे गये।