Tuesday, May 13, 2025
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » विद्यार्थी जीवन में ज़रूरी है ‘ऑब्जर्व, फॉलो एवं सी द बेनिफिट’ का कॉन्सेप्ट : प्रो. राज कुमार मित्तल

विद्यार्थी जीवन में ज़रूरी है ‘ऑब्जर्व, फॉलो एवं सी द बेनिफिट’ का कॉन्सेप्ट : प्रो. राज कुमार मित्तल

लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर स्थायी आयोजन समिति एवं इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘बौद्ध धर्म एवं भारतीय सभ्यता’ विषय पर आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इस अवसर पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू, स्थायी आयोजन समिति बीबीएयू के चेयरमैन प्रो. के.एल. महावर, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. आनंद सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो. सुषमा त्रिवेदी, बीबीएयू के इतिहास विभाग की प्रो. शूरा दारापुरी तथा कार्यक्रम समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. वी.एम. रवि कुमार उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं महात्मा गौतम बुद्ध और बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। अतिथियों एवं शिक्षकों को पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. वी.एम. रवि कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। मंच संचालन का कार्य डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय ने किया।
कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह दिन आत्मचिंतन, शांति एवं ज्ञान की ओर अग्रसर होने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध का जीवन करुणा, अहिंसा, संयम और आत्मानुशासन का आदर्श है और आज के समय में विद्यार्थी उनके विचारों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों को ‘ऑब्जर्व, फॉलो एवं सी द बेनिफिट’ का संदेश दिया, जिसका आशय है पहले गहराई से देखना, फिर सकारात्मक सिद्धांतों को अपनाना और अंत में उनके लाभ को अनुभव करना। उन्होंने कहा कि यह मार्ग छात्रों को न केवल शैक्षणिक सफलता दिला सकता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान कर सकता है।
प्रो. एस. विक्टर बाबू ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा ज्ञान, करुणा और शांति का प्रतीक है और विद्यार्थियों को भगवान बुद्ध के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रो. आनंद सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि प्राचीन काल में भारत का अन्य देशों से व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों ने भारतीय संस्कृति से जुड़ी अनेक विधाओं को अपनाया और उन्हें विकसित कर ख्याति अर्जित की। उन्होंने विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करने की प्रेरणा दी।
प्रो. सुषमा त्रिवेदी ने कहा कि बुद्ध के मार्ग पर चलकर विद्यार्थी एक शांत, संतुलित और उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
प्रो. शूरा दारापुरी ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा का दिन गौतम बुद्ध के जीवन और उपदेशों की याद दिलाने वाला अवसर है।
कार्यक्रम के दौरान 13-14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, आशुभाषण, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन, निबंध एवं रंगोली आदि प्रतियोगिताओं के विजेताओं को धनराशि एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंत में स्थायी आयोजन समिति के चेयरमैन प्रो. के.एल. महावर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कल 13 मई को प्रतिभागियों के लिए दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जाएगा।
बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर स्थित बोधि पार्क में बुद्ध वंदना का आयोजन किया गया, जिसमें अतिथियों को ‘खटक’ पहनाकर सम्मानित किया गया। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बुद्ध वंदना का उच्चारण किया गया और उपस्थित जनों को आशीर्वाद दिया गया। सभी ने सामूहिक ध्यान (मेडिटेशन) किया। कार्यक्रम के अंत में सभी को पायस वितरित किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. एम.पी. सिंह, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, शोधार्थी, गैर-शिक्षण कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।