Monday, November 25, 2024
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राहुल गांधी को सुप्रीम राहत, बहाल होगी संसद सदस्यता !

राजीव रंजन; नाग नई दिल्ली। “मोदी” सरनेम केस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल की सजा पर रोक लगा दी है।
जज ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा, हम सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगा रहे हैं। राहुल मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बीआर गवई ने कहा-गुजरात से इन दिनों काफी दिलचस्प आदेश आ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्री गांधी को दो साल की अधिकतम सज़ा देने के लिए ट्रायल जज द्वारा दिए गए कारण ‘‘पर्याप्त नहीं है तथा उसका कोई आधार नहीं है। “
शीर्ष अदालत के इस ताजा फैसले के बाद राहुल गांधी का लोक सभा में वापसी तय हो गई है। वह 2024 का चुनाव भी लड़ सकेंगे। राहुल गांधी को राहत मिलने पर कांग्रेस ने ट्वीट में कहा, यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। सत्यमेव जयते-जय हिंद। लोक सभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने इस संवाददाता से कहा- यह तुरंत करना होगा।
उन्होंने कहा कि श्री गांधी सोमवार से चल रहे संसद सत्र में भाग लेना शुरू कर सकते हैं। भारत को तीन प्रधान मंत्री देने वाले राजवंश के 53 वर्षीय गांधी को दो साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन जेल की सजा पर रोक लगा दी गई और उन्हें जमानत दे दी गई। दोषसिद्धि के बाद उन्होंने अपनी संसदीय सीट भी खो दी, क्योंकि दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा पाने वाले विधायक स्वतः ही अयोग्य हो जाते हैं। सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप संसद के निचले सदन को अब औपचारिक रूप से गांधी को बहाल करना होगा।
भारत को तीन प्रधान मंत्री देने वाले राजवंश के 53 वर्षीय गांधी को दो साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन जेल की सजा पर रोक लगा दी गई और उन्हें जमानत दे दी गई। दोषसिद्धि के बाद उन्होंने अपनी संसदीय सीट भी खो दी, क्योंकि दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा पाने वाले विधायक स्वतः ही अयोग्य हो जाते हैं। सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप संसद के निचले सदन को अब औपचारिक रूप से गांधी को बहाल करना होगा।
गांधी को मार्च में गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक पुर्नेश द्वारा लाए गए एक मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया था, जिसमें उन्होंने 2019 में की गई टिप्पणियों को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और विधायक सहित मोदी उपनाम वाले अन्य लोगों के लिए अपमानजनक माना था।
सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के साथ, उनकी अयोग्यता भी अब स्थगित हो गई है। शीर्ष अदालत के आदेश ने निचली अदालत द्वारा गांधी को सुनाई गई सजा पर सवाल उठाया। ट्रायल जज ने लिखा है कि सांसद होने के आधार पर आरोपी को कोई विशेष रियायत नहीं दी जा सकती। आदेश में काफी की नसीहत भी दी गई है। न्यायमूर्ति बी.आर. की पीठ गवई, पी.एस. नरसिम्हा और पी.वी. संजय कुमार ने कहा कि निचली अदालत ने अपराध के तहत अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया।
सूरत की एक अदालत ने पहले राहुल गांधी को दोषी पाया था और उन्हें अधिकतम दो साल की कैद की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.।
निचली अदालत के फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर दी थी कि वायनाड की सीट खाली है। अब इसे वापस लेते हुए एक नई अधिसूचना जारी की जाएगी कि पुरानी अधिसूचना को वापस लिया जा रहा है. इसमें कितना समय लगेगा यह अभी स्पष्ट नहीं है। इसमें एक दिन भी लग सकता है और एक महीना भी।
राहुल गांधी के इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी।
राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में तर्क देते हुए कहा कि खुद शिकायतकर्ता (पूर्णेश मदी) का मूल सरनेम ही मोदी नहीं है। उनका मूल उपनाम भुताला है। फिर यह मामला कैसे बन सकता है। सिंघवी ने कोर्ट को ये भी बताया कि राहुल ने जिन लोगों का नाम लिया, उन्होंने केस नहीं किया। उन्होंने कहा, यह लोग कहते हैं कि मोदी नाम वाले 13 करोड़ लोग हैं, लेकिन ध्यान से देखा जाए तो समस्या सिर्फ बीजेपी से जुड़े लोगों को ही हो रही है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में राहुल का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में मानहानि केस की अधिकतम सज़ा दे दी गई। इसका नतीजा यह होगा कि राहुल गांधी 8 साल तक जनप्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया हाईकोर्ट ने 66 दिन तक आदेश सुरक्षित रखा। राहुल लोकसभा के 2 सत्र में शामिल नहीं हो पाए हैं। जिस पर जस्टिस गवई ने पूछा कि लेकिन ट्रायल जज ने अधिकतम सजा दी है। इसका कारण भी विस्तार से नहीं बताया गया है। जस्टिस गवई ने आगे कहा कि ऐसी सजा देने से सिर्फ एक व्यक्ति का ही नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र का अधिकार प्रभावित हो रहा है।
राहुल पर आदेश लिखवाते हुए पीठ ने कहा, राहुल की अपील सेशंस कोर्ट में पेंडिंग है, इसलिए हम केस पर टिप्पणी नहीं करेंगे। जहां तक राहुल की सजा पर रोक की बात है, ट्रायल कोर्ट ने राहुल को मानहानि की अधिकतम सजा दी है लेकिन इसका कोई विशेष कारण नहीं दिया है। साल की सजा के चलते राहुल जनप्रतिनिधित्व कानून के दायरे में आ गए अगर उनकी सजा कुछ कम होती तो उनकी सदस्यता नहीं जाती। इसमें कोई शक नहीं है कि राहुल का बयान अच्छा नहीं था। सार्वजनिक जीवन मे बयान देते समय संयम बरतना चाहिए।
लिहाजा हम सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल की सजा पर रोक लगा रहे हैं। राहुल गांधी को दी गई यह राहत फौरी राहत है। अगर सेशंस कोर्ट दो साल की सजा सुनाता है तो यह अयोग्यता फिर से लागू हो जाएगी। लेकिन अगर राहुल गांधी को बरी कर देता है या सजा को घटाकर दो साल से कम कर देता है तो सदस्यता बहाल रहेगी।
अपनी शिकायत में, भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने आरोप लगाया कि टिप्पणियों ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है। हालाँकि, श्री गांधी ने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए की थी और यह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं थी।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 2019 के चुनावों से पहले कोलार में गांधी की टिप्पणी – जिसके लिए मामला दायर किया गया था – ‘अच्छे स्वाद में नहीं थी।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं थे और सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है।
गांधी ने कहा था, ‘‘मेरा एक सवाल है। इन सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों है चाहे वह नीरव मोदी हो, ललित मोदी हो या नरेंद्र मोदी हो? हम नहीं जानते कि ऐसे और कितने मोदी सामने आएंगे।’’
बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था और कहा था कि उन्होंने ‘मोदी समुदाय’ को बदनाम किया है. गांधी ने कहा है कि वह दोषी नहीं हैं और इसलिए माफी नहीं मांगेंगे, साथ ही उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि मोदी उपनाम साझा करने वाले सभी लोगों का कोई एक समुदाय नहीं है।