फिरोजाबाद। नगर में जैन धर्म के अनुयाईओं के दशलक्षण पर्व भले ही समाप्ति की और हैं परन्तु श्रद्धांलुओं में उत्साह पूर्ण भरा हुआ है। जिनालयों में दशलक्षण के नवे दिन उत्तम अकिंचन धर्म एवं रतनत्रय धर्म की आराधना हुई। जिनालयों में प्रातः श्रीजी का जिनाभिषेक एवं शांतिधारा के पश्चात् श्रद्धांलुओं द्वारा देव शास्त्र, गुरु पूजन के बाद उत्तम अकिंचन धर्म तथा सोलह कारण एवं पंच मेरु की पूजा अर्चना की गई। श्रद्धांलुओं ने भक्तिभाव के साथ शुद्ध मन्त्रोंच्चारण करते हुए श्रीजी के सम्मुख अर्घ्य चढ़ाये। श्री दिगम्बर जैन चंद्रप्रभु जिनालय में गुरु माँ दिव्यमती एवं पुराण मती ने तत्वार्थ सूत्र पर धर्म चर्चा करते हुए कहा कि आत्मा के अपने गुणों के सिवाय जगत में अपनी अन्य कोई भी वस्तु नहीं है, इस सृष्टि से आत्मा अकिंचन है। अकिंचन रूप आत्मा-परिणति को आकिंचन करते हैं। उन्होंने कहा कि जीव संसार में मोहवश जगत के सब जड़ चेतन पदार्थों को अपनाता है, किसी के पिता, माता, भाई, बहिन, पुत्र, पति, पत्नी, मित्र आदि के विविध सम्बंध जोड़कर ममता करता है। मकान, दूकान, सोना, चाँदी, गाय, भैंस, घोड़ा, वस्त्र, बर्तन आदि वस्तुओं से प्रेम जोड़ता है। शरीर को तो अपनी वस्तु समझता ही है। इसी मोह ममता के कारण यदि अन्य कोई व्यक्ति इस मोही आत्मा की प्रिय वस्तु की सहायता करता है तो उसको अच्छा समझता है, उसे अपना हित मानता है और जो इसकी प्रिय वस्तुओं को लेशमात्र भी हानि पहुँचाता है उसको अपना शत्रु समझकर उससे द्वेष करता है, लड़ता है, झगड़ता है। इस तरह संसार का सारा झगड़ा संसार के अन्य पदार्थों को अपना मानने के कारण चल रहा है। मीडिया प्रभारी आदीश जैन ने बताया गुरूवार को दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन अनन्त चतुर्दशी को जिनालयों में उत्तम ब्राह्मचार्य धर्म की आराधना होगी। सभी जिनालयों में अनंतनाथ भगवान की विशेष पूजा अर्चना होगी तथा वासुपूज्य भगवान का निर्वाण महोत्सव मनाया जायेगा।
⇒ ‘‘जन सामना’’ वेब न्यूज पोर्टल पर प्रसारित सामग्री जैसे – विज्ञापन, लेख, विचार अथवा समाचार के बारे में अगर आप कोई सुझाव देना चाहते हैं अथवा कोई सामग्री आपत्तिजनक प्रतीत हो रही है, तो आप मोबाइल न0 – 9935969202 पर व्हाट्सएप के माध्यम से संदेश भेज सकते हैं। ई-मेल jansaamna@gmail.com के माध्यम से अपनी राय भेज सकते हैं। यथोचित संशोधन / पुनः सम्पादन बिना किसी हिचकिचाहट के किया जायेगा, क्योंकि हम ‘‘पत्रकारिता के आचरण के मानक’’ का पालन करने के लिये संकल्पवद्ध हैं। – सम्पादक