नयी दिल्ली: कविता पंत। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नेशनल कोऑपरेटिव फॉर एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) के लोगो, वेबसाइट और ब्रोशर आज लॉन्च किये और कहा कि अब तक एनसीएल के पास 7,000 करोड़ रूपए के ऑर्डर आ चुके हैं और 15,000 करोड़ रूपए के ऑर्डर पर बातचीत चल रही है।
श्री शाह ने कहा कि अब तक लगभग 1500 कोऑपरेटिव एनसीएल के सदस्य बन चुके हैं और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हर तहसील इसके साथ जुड़ कर किसानों की आवाज़ बने।
सहकारिता मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले दिनों में इफको, कृभको और अमूल की तरह राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड भी एक बहुत बड़ा और सफल सहकारी आंदोलन साबित होगा। केंद्रीय मंत्री ने एनसीईएल के सदस्यों को सदस्यता प्रमाण पत्र भी वितरित किए हैं। इस मौके पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी उपस्थित थे।
एनसीईएल द्वारा आयोजित सहकारी निर्यात पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि एनसीईएल का गठन सहकारी समितियों को निर्यात अवसरों की सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया है।
उन्होंने कहा, हमारे देश में बहुत सारे किसान अब जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि 12 लाख से अधिक किसान पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं।
श्री शाह ने कहा कि एनसीईएल यह सुनिश्चित करेगा कि निर्यात लाभ सदस्य किसानों तक पहुंचे। साथ ही निर्यात लाभ का लगभग 50 प्रतिशत एमएसपी के ऊपर उनके साथ साझा किया जाएगा।श्री शाह ने कहा कि निर्यात, किसान की समृद्धि, पैदावार पद्धति सुधारने, ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार, बायोफ्यूल के लिए वैश्विक बाजार में भारत का प्रवेश और सहकारिता को मजबूत करने जैसे उद्देश्यों के साथ सहकारिता क्षेत्र में राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड की शुरूआत हुई है।
उन्होंने भरोसा जताया कि इस नई शुरूआत से किसानों और दूध उत्पादों, इसबगोल, जीरा, इथेनॉल और कई प्रकार के ऑर्गेनिक और अन्य मांग वाले उत्पादों की वैश्विक मांग के बीच एक कड़ी का काम सहकारिता करेगी।
इस मौके पर श्री गोयल ने कहा कि जी 20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू किया। भारत इस गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है, जो इथेनॉल और अन्य जैव ईंधन के बारे में दुनिया में जागरूकता पैदा कर रहा है। इससे मांग बढ़ेगी और भारत के पास उन मांगों को पूरा करने की असीमित संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में बहुत सी कंपनियां इथेनॉल का उत्पादन करती हैं। भविष्य में, हम मक्का का उपयोग करके इथेनॉल का उत्पादन कर सकते हैं। अगर सहकारी क्षेत्र इसमें पहल करता है, तो हम इथेनॉल की बढ़ती मांग को पूरा कर लेंगे।