रायबरेली। गोकर्ण ऋषि की तपस्थली पर मां गंगा के पावन गोेकना घाट के वरिष्ठ पुरोहित पंडित जितेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में संकष्टी गणेश चतुर्थी, करवा चौथ का व्रत 01 नवम्बर 2023 दिन, बुद्धवार को है। यह महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण निर्जला व्रत है। इस दिन महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत ,अखंड ,सौभाग्य के लिए रखा जाता है ।माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक रहने से पति की आयु लम्बी होती है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है, यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत अन्य व्रतों की अपेक्षा कठिन होता है ,करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं ,सोलह श्रृंगार करके व्रत रखती हैं , करवा चौथ व्रत के एक दिन पूर्व सुहागिन महिलाएं मेहंदी आदि लगाकर श्रंगार करती हैं और शाम के समय शिव परिवार अर्थात भगवान शिव जी, माता पार्वती जी, भगवान गणेश जी, भगवान कार्तिकेय जी और नंदीश्वर की प्रतिमा चौकी पर रखकर विधि विधान से पूजा के बाद चंद्रोदय पर चंद्रदेव को अर्घ्य देती हैं, अर्घ्य देने के बाद पति द्वारा लोटा से जल पिलाकर व्रत का परायण होता है।
करवा चौथ व्रत के पूजन का शुभ मुहूर्त –
1- दिनांक 01 नवम्बर 2023 दिन बृहस्पतिवार को पूरे दिन करवा चौथ का व्रत।
2-चंद्रोदय का विशेष मुहूर्त रात्रि 8 बज कर 01 मिनट पर है। शिवपरिवार की पूजा के पश्चात चंद्रदेव को अर्घ्य देना चाहिए, चंद्रोदय के 1 घंटा पूर्व पूजा प्रारंभ करनी चाहिए।
3-चंद्रदेव को यह मंत्र पढ़कर अर्घ्य दें और क्षमा प्रार्थना करें।
सौम्य रूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम।
मम पूर्व क्रतम पापम औषधीश क्षमस्व में।
पूजन सामग्री-
करवा चौथ निर्जला व्रत, मिट्टी या धातु का टोटीदार करवा व ढक्कन, पानी का एक लोटा, चलनी, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, पुष्प, पुष्पमाला, चंदन, रोली, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर , मिठाई, धूप, दीपक, गंगाजल, श्रंगार सामग्री सहित विधि-विधान से पूजन करें।
करवा चौथ पूजन एवं व्रत का विधान –
1-सूर्याेदय से पहले और चंद्रोदय के पश्चात निर्जला व्रत रखकर विधि विधान से पारणा करना चाहिए।
2-संध्या के समय चंद्रोदय से लगभग 1 घंटा पूर्व शिवपरिवार अर्थात भगवान शिव जी ,माता पार्वती जी ,भगवान गणेश जी, भगवान कार्तिकेय जी और नंदीश्वर की विधि विधान से पूजा के बाद चंद्रदेव की पूजा की जाती है।
3-पूजन के समय एक चौकी पर लाल वस्त्र डालकर, स्वास्तिक बनाकर,देव प्रतिमा का मुंह पश्चिम की ओर होना चाहिए तथा व्रत महिला को सोलह श्रृंगार करके लाल या पीले वस्त्र पहनकर समस्त पूजन सामग्री के साथ पूर्व की ओर मुंह करके पूजन करना चाहिए।
4-व्रत वाली महिलाओं को करवा चौथ की कथा जरूर सुनना चाहिए । कथा सुनने से घर में सुख ,शांति ,समृद्धि आती है और संतान का सुख मिलता है। कथा सुनते समय साबुत अनाज और मीठा बहुओं को अपनी सास/ जेठानी को बायना रूप में देना चाहिए।
5-चंद्र उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं चलनी से चंद्रमा को देखें फिर अपने पति को इसके बाद पति अपनी पत्नी को लोटे में से जल पिलाकर व्रत का पारण करवाएं। उसके बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन करने का प्रावधान है। पति- पत्नी उस दिन किसी से भी वाद -विवाद ना करें और सपरिवार प्रेम से रहें।
-पंडित जितेन्द्र द्विवेदी
वरिष्ठ पुरोहित/सचिव/ प्रबंधक
मां गंगा गोकर्ण जन कल्याण सेवा समिति गोकनाघाट ऊंचाहार रायबरेली उत्तर प्रदेश,