मथुरा: श्याम बिहारी भार्गव। कई बच्चों का जन्म टेढ़े पंजे के साथ होता है और यह जीवन भर के लिए अभिशाप बन जाता है। लोगों में इस बीमारी को लेकर आज भी तरह तरह की भ्रांतियां हैं। लोग इलाज नहीं कराते, ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इस बीमारी को दैवीय प्रकोप अथवा लाइलाज माना जाता है। जिला चिकित्सालय में इस बीमारी का निः शुल्क इलाज उपलब्ध है। प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज है लेकिन बहुत महंगा है। अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ मिल कर प्रदेशभर में एक अभियान चलाया जा रहा है। फाउंडेशन की ओर से मथुरा और अलीगढ़ जनपद में इस जिम्मेदारी को निभा रहे मोहम्मद ईशान ने बताया कि यह क्लब फुट नामक बीमारी है। यह बच्चे में मां के पेट से ही आती है। इस बीमारी में बच्चे का पंजा अंदर की ओर मुडा होता है। यह जन्मजात बीमारी है और बच्चे में मां के पेट से ही आती है। इसे सीटीईबी भी बोलते हैं, इसका इलाज निःशुल्क किया जा रहा है। इसमें तीन स्टेज होती हैं, पहली स्टेज में प्लास्टर लगाकर बच्चे के पैर को सीधा किया जाता है। दूसरी स्टेज में छोटा सा कट दिया जाता है। उसके बाद बच्चे को पांच साल तक जूता पहनाया जाता है। जिससे कि उसका पैर फिर से न मुड जाए। इस पूरी प्रक्रिया में चार से पांच साल का समय लगता है। इसके बाद बच्चा चल फिर सकता है। सही समय पर इलाज हो रहा है तो उसे कोई समस्या नहीं आएगी। अगर समय पर इलाज न मिले तो वह हमेशा के लिए अपाहिज हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय में डा.नीरज अग्रवाल के निर्देशन में संस्था द्वारा इस अभियान को सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। मथुरा जनपद में फाउंडेशन 2019 से काम कर रहा है और अब करीब 250 बच्चों का इलाज कर चुके हैं। बच्चे पैरों से चल कर हमारे यहां आ रहे हैं। प्राइवेट में एक बच्चे पर करीब एक लाख रुपये तक का खर्चा आ जाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी अगर इस तरह का बच्चा मिलता है तो उन्हें समय पर इलाज दिलाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के चलते लोग यह जानते ही नहीं हैं कि इस बीमारी का इलाज संभव है। इस बीमारी को लेकर लोगों में तमाम तरह की भ्रांतियां भी मौजूद हैं। प्रत्येक गुरुवार को मथुरा में जिला चिकित्सालय में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की ओपीडी की जाती है और फिर पूरा इलाज निशुल्क किया जाता है। प्रदेश भर में संस्था काम कर रही है।