उपवन से चुन-चुन फूलों का,
यह गुलदस्ता तैयार किया।
हे अतिथि आपके स्वागत का,
हम नेह बिछाए इंतजार किया।
है आज प्रफुल्लित हृदय हमारा,
हम करते हैं अभिनंदन तेरा।
तू मालिक हो सब खुशियों का,
जीवन में तेरे ठहरें खुशियां।
तेरे अरमानों की जागीरों का,
जगमग जलता रहे दिया।
जब तक महिमा है गंगाजल का,
तब तक तेरे दामन में रहे दुनियां।
‘नाज़’ ने सुंदर भावनाओं का,
अतिथि गण को हार्दिक उपहार दिया।
✍️डॉ० साधना शर्मा (राज्य अध्यापक पुरस्कृत)
इ0 प्र0 अ0 पूर्व मा0 वि0 कन्या सलोन, रायबरेली।